गुजरात के नए सीएम का 15 साल पहले राजनीति से हुआ था मोहभंग
विजय ने जब होश संभाला तो पूरा परिवार राजकोट आ गया था। इस कारण उनकी शिक्षा राजकोट में ही हुई।
अहमदाबाद। ब्यूरो पंद्रह साल पहले विजय रुपानी के एक बेटे की मौत घर की छत से गिरने के कारण हो गई थी। तब उनका राजनीति से मोहभंग हो गया था। फिर करीबी लोगों ने उन्हें संभाला और आज वह गुजरात की कमान संभालने जा रहे हैं।
स्वर्गीय बेटे के नाम पर उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया है जो गरीब बच्चों की मदद करता है। उनकी एक बेटी लंदन में है और दूसरा बेटा पढ़ाई कर रहा है।
रुपानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों के करीबी हैं। 75 बरस की होने जा रही आनंदीबेन की जगह 60 के रुपानी को कमान सौंपी गई है। रुपानी ने तीन दिन पहले ही अपना जन्मदिन मनाया है।
म्यांमार में हुआ जन्म, इमरजेंसी में गए जेल
रुपानी का जन्म पड़ोसी देश म्यांमार (बर्मा) के यांगून में 2 अगस्त 1956 को हुआ था। उनके पिताजी रमणिकलाल तब यांगून में दुकान चलाते थे।
विजय ने जब होश संभाला तो पूरा परिवार राजकोट आ गया था। इस कारण उनकी शिक्षा राजकोट में ही हुई। वह छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे।
अमित शाह की पसंद विजय रूपाणी बने सीएम
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान वे लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य रहे। उसी दौरान उनकी मुलाकात अरुण जेटली, रजत शर्मा और सुशील कुमार मोदी से हुई थी।
24 की उम्र में इमरजेंसी में जा चुके हैं जेल
इमरजेंसी का विरोध करने पर रुपानी को 24 साल की उम्र में जेल भी जाना पड़ा था। निकलने के बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। 1971 में जनसंघ ज्वाइन किया। वह भाजपा महासचिव और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। जब गुजरात की राजनीति में केशुभाई पटेल का सिक्का चलता था, तब भाजपा ने विजय रुपानी को चुनाव घोषणा-पत्र का अध्यक्ष बनाया था। गुजरात की राजनीति में रुपानी की सौराष्ट्र क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस इलाके में जैन बनिया समुदाय की अधिकता है।