गुजरात चुनावः सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हैं गुजराती
विकास के मॉडल पर तो हमेशा चर्चा का विषय रहने वाला गुजरात सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील इलाका है।
नई दिल्ली (प्रशांत मिश्र)। गुजरात यानी रेगिस्तान, दलदल, मैदान और 1600 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्रों का इलाका। एक ऐसा प्रदेश जो विकास के मॉडल पर तो हमेशा चर्चा का विषय रहा ही है, सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील भी है।
भारत के नक्शे में गुजरात की स्थिति देश के अन्य तटीय राज्यों के मुकाबले बहुत अलग है। इसके लगभग एक दर्जन जिलों की सीमाएं अरब सागर के उस पार हमारे पारंपरिक शत्रु पाकिस्तान से जुड़ी है। जो हर घडी सीमावर्ती गुजरात के इलाके में अस्थिरता और जानमाल को हानि पहुंचाने की ताक में बैठा रहता है। नशीले पदार्थों की तस्करी व अवैध हथियारों को अपने गुर्गे तक पहुंचाने के हथकंडे अपनाता है तो दूसरी ओर कच्छ का रेगिस्तान जहां चिलचिलाती धूप के पारे में भी सीमा सुरक्षा बल के जवानों की निगाहें हर पल सतर्क होती है। ऐसे में जाहिर है कि चुनाव के घोर राजनीतिक माहौल में भी लोग बाहर से फैलाने वाली अशांति और आतंक को लेकर सतर्क हैं। दिल के अंदरूनी कोने में यह सोच गहरी पैठ बनाये है कि सुरक्षा पर आंच न आये।
वलसाड, नवसारी, सूरत, भरूच व अंकलेश्र्वर पश्चिमी तटों पर बसे जिले है। इसी तरह दूसरे क्षेत्र भावनगर, अमरेली, पोरबंदर और जामनगर जैसे जिले इस्टर्न कोस्टल व बाउंड्री क्षेत्र में आते है। दोनों तटों की रक्षा के लिए लगभग डेढ़ दशक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन जिलो की संवेदनशीलता को समझते हुए तटीय पुलिस बल की परिकल्पना के साथ इसका गठन भी किया। इसी सोच का नतीजा है कि दमन, दीव, पोरबंदर से लेकर की सीमाओं की ओर से होने वाले गुपचुप हमले, स्मगलिंग, नशीले पदार्थों के साथ घुसपैठ अब एक कहानी बनकर रह गई। अन्यथा गुजरात का तटीय इलाका तस्करी और सीमावर्ती हमलों व घुसपैठ के लिए कुख्यात था। सीमा सुरक्षा तटरक्षक पुलिस की सतर्कता का नतीजा है कि शांति प्रिय गुजराती भाई ‘मजा मा’ नींद लेते है।
हमारी गाड़ी को जामनगर में चुनावी ड्यूटी निभा रहे सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने रोका है। पूरी गाड़ी की चेकिंग कर रहे है और मैं अधिकारी पांडेय से बातचीत में लगा हू। वह कहते हैं कि किसी भी दल या राजनीति से हमारा कोई लेना देना नहीं है। किसी की हार जीत की हमें चिंता भी नहीं है। चुनावी नियम क़ायदे और उसकी आचार संहिता का कोई व्यक्ति उल्लंघन करता हुआ पाया गया तो हम बख्शेंगे भी नहीं। बीएसएफ़ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राज्य तटरक्षक पुलिस के जवान समुद्र और रेतीले रेगिस्तान पर कड़ी नजर रख रहे हैं। ताकि चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच गुजरात का चुनाव बिना किसी गड़बड़ी के संपन्न हो सके।
गुजरात में चुनावी प्रचार तेज है। आरोप प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर है। जातिगत राजनीति को सुलगाने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस की ओर से उस पूरी पीढ़ी को विकास पागल हो गया बताया जा रहा है जिसने सही मायने यह देख ही नहीं कि विकास का अभाव क्या होता है। जनता भी कई मुद्दों पर बटी हुई दिखेगी। लेकिन एक बात पर गुजरात में किसी के बीच कोई मतभेद नही है- सरकार मजबूत होनी चाहिए।
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