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'अक्लमंद को इशारा काफी होता है' पानी के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने केजरीवाल पर किया कटाक्ष

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से कांग्रेस आम आमदी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 03:40 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 04:09 PM (IST)
'अक्लमंद को इशारा काफी होता है' पानी के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने केजरीवाल पर किया कटाक्ष
'अक्लमंद को इशारा काफी होता है' पानी के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने केजरीवाल पर किया कटाक्ष

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से कांग्रेस, आम आमदी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। ताजा मामले में दिल्ली में जारी पानी पर पॉलिटिक्स को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया है- 'अक्लमंद को इशारा काफी होता है।'

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वहीं, एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 के मुकाबले दिल्ली में आम आमदी पार्टी की हालत खराब है।

पानी के 98.59 फीसद सैंपल साफ

दिल्ली जल बोर्ड ने इस साल साढ़े 10 माह में पानी की गुणवत्ता जांच के लिए जल शोधन संयंत्रों व राजधानी के विभिन्न इलाकों से एक लाख 82 हजार 919 सैंपल उठाए हैं, जिनमें से 98.59 फीसद सैंपल सही पाए गए, जबकि 1.41 फीसद सैंपल दूषित पाए गए। इस तरह जल बोर्ड ने दावा किया है कि सप्लाई का पानी साफ है और जल बोर्ड का पानी पीने में स्वास्थ्य को बिल्कुल खतरा नहीं है।

जल बोर्ड के पानी की गुणवत्ता नियंत्रण के निदेशक आशुतोष कौशिक ने कहा कि पानी की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाता। जल शोधन संयंत्रों, भूमिगत जलाशयों, विभिन्न कॉलोनियों व प्याऊ से प्रतिदिन करीब एक हजार सैंपल लिए जाते हैं और नियमित पानी की गुणवत्ता जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि पानी में पैथोजेन की भी जांच की जाती है। पानी की गुणवत्ता जांच में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के मानकों का पालन किया जाता है, जिस पर जल बोर्ड का पानी खरा है।

दो लैब में आरटी-पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल

आशुतोष कौशिक ने दावा किया है कि जल बोर्ड इस साल अप्रैल से पानी की गुणवत्ता जांच के लिए अपनी दो लैबों (वजीराबाद और हैदरपुर) में पैथोजेन (जीवाणु और पैरासाइट) की जांच के लिए आरटी-पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, जो अत्याधुनिक तकनीक है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस साल 15 नवंबर तक एक लाख 82 हजार 919 सैंपल उठाए गए, जिनमें से एक लाख 80 हजार 323 सैंपल संतोषजनक पाए गए और केवल 2596 सैंपल असफल रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुसार पांच फीसद सैंपल असफल हो सकते हैं, जबकि जल बार्ड के डेढ़ फीसद से भी कम सैंपल असफल हुए हैं।

इन 29 मानकों की होती है जांच

पॉली एल्युमिनियम क्लोराइड (पीएसी), प्री क्लोराइड डोज, पोस्ट क्लोराइड डोज

फिजिकल पैरामीटर

तापमान, रंग, गंध, पीएच वैल्यू, टर्बिडिटी (मैलापन), इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, टीडीएस

जानें रासायनिक और जैविक जांच के नाम

पीटीएच अल्कलाइनिटी, टोटल अल्कलाइनिटी, टोटल हार्डनेस, अमोनिया-एन, नाइट्रेट, डिजाल्व ऑक्सीजन, ऑक्सीजन क्लोराइड, आयरन, फ्लोराइड, क्रोमियम, साइनाइड, आर्सेनिक, क्लोरीन डिमांड, रेसिड्युअल एल्यूमिना, रेसिड्युअल क्लोरीन, कॉलिफॉर्म इत्यादि।


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