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पटपड़गंज सीट: मनीष सिसोदिया तीसरी बार चुनाव में ठोक रहे ताल, जानिए कांग्रेस और भाजपा का हाल

मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री तो है ही साथ ही वह पार्टी में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद नंबर दो पर हैं। उनके पास महत्वपूर्ण मंत्रालय है।इसलिए यह सीट काफी वीआइपी बन जाती है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 09:36 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 09:36 PM (IST)
पटपड़गंज सीट: मनीष सिसोदिया तीसरी बार चुनाव में ठोक रहे ताल, जानिए कांग्रेस और भाजपा का हाल

नई दिल्ली [सुधीर कुमार]। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने दो बार पटपड़गंज विधानसभा सीट से जीत हासिल की है, लेकिन इस बार उनके सामने भाजपा और आप दोनों ने ही अपने नए प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है। जहां दोनों पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं वहीं दोनों ही उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। जिससे इस विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोचक हो गया है।

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शिक्षा के लिए बढ़ाया बजट

मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री तो है ही साथ ही वह पार्टी में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद नंबर दो पर हैं। उनके पास महत्वपूर्ण मंत्रालय है। शिक्षा विभाग में किए गए नूतन प्रयोगों की वजह से वह देश-विदेश में चर्चा के केंद्र में रहे हैं। वित्त मंत्रालय भी उन्हीं के जिम्मे है, जिससे उन्होंने शिक्षा विभाग के लिए हर वर्ष अधिक बजट की व्यवस्था की। अपने विधानसभा क्षेत्र में भी वह खासे लोकप्रिय हैं। जहां उन्होंने पहले चुनाव में 11,476 वोटों से जीत दर्ज की थी वहीं दूसरे चुनाव में जीत का अंतर बढ़कर करीब 28,761 हो गया।

बिन्नी नहींं दे पाए टक्कर

मत प्रतिशत में भी भारी इजाफा हुआ। यह स्थिति तब हुई जब यहां से भाजपा ने आप के ही बागी व उस समय बगावत करने की वजह से दिल्ली से लेकर देशभर में चर्चित विधायक विनोद कुमार बिन्नी को मैदान में उतारा था। दोनों विधायकों के बीच हो रही इस जंग में माना जा रहा था कि जीत का अंतर मामूली रहेगा। लेकिन परिणाम आए तो पता चला कि सिसोदिया के टक्कर में बिन्नी कहीं भी नहीं थे।

भाजपा लगातार बदलती रही प्रत्याशी

सिसोदिया के दोनों ही चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी अनिल कुमार तीसरे नंबर पर खिसक गए थे। भाजपा इस सीट से लगातार प्रत्याशी बदलती रही है। इस बार भी नया चेहरा रविंद्र नेगी हैं। नेगी को भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में निगम का टिकट दिया था, लेकिन उनका नामांकन ही रद हो गया। इस बार उन्होंने बहुत ही संभल कर और विशेषज्ञों की देखरेख में नामांकन दाखिल किया।

कांग्रेस ने लक्ष्मण पर लगाया दांव
कांग्रेस ने भी लगातार चुनाव लड़ने वाले और दो बार से हार रहे अनिल कुमार का टिकट काट कर लक्ष्मण रावत को मैदान में उतारा है। रावत संगठन से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं और काफी समय तक जिलाध्यक्ष का कार्यभार संभाला है। अभी तक सिसोदिया के सामने दोनों ही प्रत्याशियों को कमजोर आंका जा रहा है हालांकि भाजपा के कई लोग दावा करते हैं कि युवा प्रत्याशी यहां से अप्रत्याशित परिणाम दे सकता है वहीं आप के कार्यकर्ता कहते हैं कि वह जीत का अंतर बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

उत्तराखंड के वोटरों से आस

कांग्रेस का भी दावा है कि यहां से उन्हें पर्याप्त वोट मिल रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में उत्तराखंड के लोगों की अच्छी खासी संख्या है। पिछले दो चुनावों से सिसोदिया को उत्तराखंड के लोगों का वोट मिलता रहा है लेकिन इस बार तीनों ही उम्मीदवारों में वोट बंटने की संभावना है। निगम चुनाव में यहां के चार वाडरें में से तीन पर भाजपा का कब्जा हुआ था, एक वार्ड जहां से रवि नेगी चुनाव नहीं लड़ पाए थे वहां से आप उम्मीदवार व उत्तराखंड की गीता रावत ने चुनाव जीता था। लोकसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर आगे रही थी।

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