Delhi Election 2020: पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ ने इंटरव्यू में कहा- दिल्ली वाले चाहते हैं कांग्रेस करे वापसी
Delhi Election 2020 केंद्र में भाजपा और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार से लोग परेशान हैं। देश और दिल्ली दोनों का बुरा हाल है।
नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली में चुनावी प्रचार अब अपने चरम पर आने लगा है। रविवार को दो घोषणा पत्र जारी कर कांग्रेस ने भी एक बार फिर अपनी मजबूत सक्रियता का एहसास करा दिया है। पार्टी के अनेक स्टार प्रचारक सड़कों पर उतर चुके हैं तो अगले कई दिन पार्टी के दिग्गज भी रैली और जनसभाओं को संबोधित करते दिखाई देंगे। ऐसे में दिल्ली के तेजी से बदल रहे सियासी माहौल पर संजीव गुप्ता ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटेल नगर से पार्टी प्रत्याशी कृष्णा तीरथ से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :
कैसा चल रहा है इस समय दिल्ली का सियासी माहौल?
-दिल्ली का सियासी तेजी से बदल रहा है और कांग्रेस के पक्ष में बनता जा रहा है। केंद्र में भाजपा और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार से लोग परेशान हैं। देश और दिल्ली दोनों का बुरा हाल है। दिल्ली वासी दिल से चाहते हैं कि कांग्रेस वापसी करे और दिल्ली में सरकार बनाकर उसी तरह राजधानी को संवारे जैसे कि 15 साल के कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विकास हुआ था। 15 साल तक मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने हर क्षेत्र में दिल्ली का अभूतपूर्व विकास किया था। ऐसा विकास न उनसे पहले भाजपा सरकार ने किया और न उनके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार कर पाई।
लेकिन चुनाव प्रचार में तो कांग्रेस लगातार पिछड़ रही है?
-यह कहना बिल्कुल गलत है। कांग्रेस का हर प्रत्याशी दिल्ली वासियों के घर-घर तक पहुंच रहा है। कांग्रेस का प्रचार हवा-हवाई नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर होता है। भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता रोड शो और रैलियों के जरिये मीडिया तक भले पहुंच पा रहे हों, लेकिन मतदाताओं के दिल तक नहीं पहुंच पा रहे। कांग्रेस यहीं पर बाजी मार रही है। हालांकि, अब अंतिम दौर के चुनाव प्रचार में हमारे भी तमाम बड़े नेता प्रचार में पहुंच रहे हैं। अंतिम तीन दिनों में कांग्रेस का हर प्रमुख नेता दिल्ली के चुनाव प्रचार में नजर आएगा।
विभिन्न चुनावी सवरें में भी कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नजर आ रही है?
-मैं चुनावी सर्वे से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखती। यह सर्वें पूर्व नियोजित होते हैं और किसी के पक्ष में जबकि किसी के खिलाफ चलाए जाते हैं। मैंने दशकों से इस तरह के चुनावी सर्वे का परिणाम देखा है, अमूमन विश्वसनीय नहीं रहे। पिछले दिनों हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी सर्वे गलत साबित हुए थे। इस बार भी ऐसा ही होने वाला है।