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दिल्‍ली विधानसभा चुनाव 2020 : दांव पर लगी BJP के इन महारथियों की प्रतिष्‍ठा

आम आदमी पार्टी के पास सत्‍ता बचाने की चुनौती है वहीं केंद्र में सत्‍तारूढ़ भाजपा की नजर दिल्‍ली के सिंहासन पर टिकी है। कांग्रेस को अपने वजूद बचाने की चुनौती है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 05:21 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 09:13 AM (IST)
दिल्‍ली विधानसभा चुनाव 2020 : दांव पर लगी BJP के इन महारथियों की प्रतिष्‍ठा
दिल्‍ली विधानसभा चुनाव 2020 : दांव पर लगी BJP के इन महारथियों की प्रतिष्‍ठा

नई दिल्‍ली,  जागरण स्‍पेशल। Delhi Election 2020 : दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में कुल 70 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। यहां प्रमुख मुकाबला तीन राजनीतिक दलों के बीच है। आम आदमी पार्टी के पास सत्‍ता बचाने की चुनौती है, वहीं केंद्र में सत्‍तारूढ़ भाजपा की नजर दिल्‍ली के सिंहासन पर टिकी है। कांग्रेस को अपने वजूद बचाने की चुनौती है। आइए जानते हैं दिल्‍ली के उन प्रमुख भाजपा नेताओं के बारे में इस चुनाव में जिसकी प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है।

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 विजेंद्र गुप्ता

इसमें सबसे अग्रणी नाम विजेंद्र गुप्ता का है। विजेंद्र को वर्ष 2013 में उन्हें दिल्ली की सबसे बड़ी सीट नई दिल्ली से भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा गया। हालांकि, इस चुनाव में वह तीसरे स्‍थान पर रहे। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल चुनाव में निर्वाचित हुए। दूसरे नंबर कांग्रेस की  शीला दीक्षित रहीं।साल 2015 में गुप्ता को सबसे बडी जीत हासिल हुई। उन्होंने आप के उम्मीदवार को करीब पांच हजार वोटों से हराया। वे भाजपा के उन तीन विधायकों में से एक थे, जो आम आदमी पार्टी की आंधी के बावजूद अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थी। गुप्ता को 16 अप्रैल 2015 को दिल्ली विधानसभा में विपक्ष का नेता भी नियुक्त किया गया। विजेंद्र गुप्ता साल 1997-98  में एमसीटी की लॉ एंड जनरल कमेटी का हिस्सा थे। 1998-2010 तक विजेंद्र गुप्ता स्टैंडिंग कमेंटी के मेंबर रहे। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता विजेंद्र गुप्ता श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र रहे। उन्होंने यहां से एमकॉम की पढ़ाई की। वह छात्र राजनीति में भी काफी सक्रिए रहे, वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष भी रहे। विजेंद्र गुप्ता तीन बार रोहिणी क्षेत्र से निगम पार्षद रहे, वे भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पद पर भी थे।

कपिल मिश्रा

कपिल मिश्रा वर्ष 2015 में पहली बार दिल्ली के करावल नगर विधानसभा से विधायक चुने गए। उन्होंने आप के टिकट पर 44 हजार से ज्यादा मतों के अंतराल से भाजपा के चार बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट को मात दी थी। केजरीवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्हें मुख्यमंंत्री अरविंद केजरीवाल का करीबी माना जाता था। कपिल मिश्रा को सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद मंत्री पद से हटा दिया गया। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कपिल ने आप के खिलाफ प्रचार किया। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। इसके बाद उन्‍होंने भाजपा का दामन थाम लिया। हाल में वह अपने ट्वीट के कारण सुर्खियों में रहे।  मुख्य चुनाव अधिकारी ने इस पर उनसे सवाल जबाव किया।

 तजिंदर पाल सिंह बग्गा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हरिनगर सीट पर भाजपा ने तजिंदर पाल सिंह बग्गा को अपना उम्मीदवार बनाया है। तजिंदर पाल सिंह बग्गा भाजपा दिल्ली के प्रवक्ता हैं। बग्गा आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और वकील प्रशांत भूषण को थप्पड़ मारने, अरुंधति राय के पुस्तक समारोह को बाधित करने और मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी के विरोध में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर चाय बेचने जैसे विवादों को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। वह नई दिल्ली स्थित भगत सिंह क्रांति सेना नाम के संगठन के संस्थापक सदस्य भी हैं। तजिंदर बग्गा ने राजनीति में अपने सफर की शुरुआत 16 साल की उम्र में भाजपा के युवा मोर्चा से जुड़ कर की थी। वह सिर्फ 23 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने। बग्गा को 2017 में भाजपा का दिल्ली प्रवक्ता बनाया गया था। तीन साल के भीतर, वह एक केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में अपने पहले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, जहां पार्टी दो दशकों से सत्ता से बाहर है। बग्गा ने 10वीं के बाद स्कूल छोड़ दिया था। 


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