दिल्ली में रहने वाले किराएदारों को मतदाता पहचान पत्र बनवाने में नहीं होगी परेशानी, पढ़ें खबर
किरायेदार भी मतदाता पहचान पत्र बनवा सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति कहीं दूसरे स्थान से आकर कहीं किराये पर रहता है तो पहले वाले स्थान के कटवाए गए मतदाता पहचान पत्र की जानकारी देगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने की अटकलों पर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) डॉ. रणबीर सिंह ने कहा है कि वह फरवरी में प्रस्तावित चुनाव के आधार पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। उसी हिसाब से काम किया जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या अक्टूबर में भी चुनाव हो सकते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि आप लोगों के इस बारे में क्या सूत्र हैं मुझे नहीं मालूम। मेरे पास चुनाव आयोग से ऐसे कोई संकेत नहीं दिए गए हैं कि समय से पहले चुनाव हो सकते हैं। इस बार किराएयदारों के लिए यह खास होगा कि वह अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा सकेंगे और मतदान कर सकेंगे। इसके लिए मकान मालिक से दस्तावेजों के लिए इंतजार करने की अावश्यकता नहीं।
निष्पक्ष चुनाव की जिम्मेदारी
हालांकि प्रस्तावित समय से छह माह पहले भी चुनाव कराए जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि उनकी जिम्मेदारी है कि राज्य में निष्पक्ष और व्यवस्थित तरीके से चुनाव हों। इसके लिए वह दृढ़संकल्प हैं।
किरायेदार भी बनवा सकते हैं मतदाता पहचान पत्र
किरायेदार भी मतदाता पहचान पत्र बनवा सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति कहीं दूसरे स्थान से आकर कहीं किराये पर रहता है तो पहले वाले स्थान के कटवाए गए मतदाता पहचान पत्र की जानकारी देगा। यदि ऐसा भी नहीं है तो जिस स्थान पर व्यक्ति रहा है तो उसे जरूरी नही है कि वह मकान मालिक से कोई दस्तावेज ले।
मकान मालिक नहीं दे रहा कागज तब भी बनेगा आपका मतदाता पहचान पत्र
मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए तीन चीजें चाहिए होती हैं। उसके लिए उम्र का प्रमाण पत्र, फोटो व पते का प्रमाण देना होता है। यदि किसी के पास पते के प्रमाण पत्र के नाम पर कोई पत्र आता है तो उसे भी पते का प्रमाणपत्र माना जा सकता है। यदि मकान मालिक को किसी को मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराता है तो भी उसका मतदाता पहचान पत्र बनेगा।
दिल्ली में एनआरसी की कोई योजना नहीं
सीईओ ने कहा कि दिल्ली में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के तहत गणना कराने की कोई योजना नहीं है। बता दें कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर किसी राज्य या देश में रह रहे नागरिकों की विस्तृत रिपोर्ट है। भारत में पहला नागरिक रजिस्टर 1951 में जनगणना के बाद तैयार हुआ।