Delhi Election 2020: दिल्ली के भाजपा प्रभारी का दावा, लोकसभा चुनाव जैसे ही आएंगे दिल्ली के नतीजे
दिल्ली भाजपा का पुराना गढ़ रहा है। लोगों के सामने एकमात्र सशक्त विकल्प भाजपा है। लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर हमें जीत मिली है और 65 विधानसभा क्षेत्रों में हमारी बढ़त थी।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके साथ ही चुनाव प्रचार में भी तेजी आने लगी है। चुनावी मुद्दों, भाजपा की तैयारी, प्रत्याशियों के चयन सहित अन्य पहलुओं पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व दिल्ली के प्रभारी श्याम जाजू से संतोष कुमार सिंह ने विस्तार से बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार कैसा है दिल्ली का सियासी मिजाज?
-लोग निराश व हताश हैं। दिल्ली भाजपा का पुराना गढ़ रहा है। लोगों के सामने एकमात्र सशक्त विकल्प भाजपा है। लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर हमें जीत मिली है और 65 विधानसभा क्षेत्रों में हमारी बढ़त थी। पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस आगे रही थी। आम आदमी पार्टी (AAP) को एक सीट पर भी बढ़त नहीं मिली थी। विधानसभा चुनाव में भी दिल्ली का यही मिजाज रहेगा।
दिल्ली को आप भाजपा का गढ़ बता रहे हैं, फिर सत्ता से 21 वर्षों तक दूर क्यों रहे?
-निश्चित रूप से वर्ष 1998 से भाजपा दिल्ली की सत्ता से दूर रही है, लेकिन नगर निगमों व लोकसभा चुनाव हम जीतते रहे हैं। पिछला चुनाव छोड़ दें तो अन्य विधानसभा चुनावों में भी हमें अच्छा समर्थन मिलता रहा है। नगर निगम में भाजपा का शासन है और पिछले दो लोकसभा चुनावों में सातों सीटों पर जीत मिली है। यह साबित करता है कि दिल्ली हमारा गढ़ है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की बुरी तरह हार हुई थी। फिर पांच वर्षों में ऐसा क्या हो गया कि भाजपा जीत को लेकर आशान्वित है?
-दिल्ली के इतिहास में पिछला चुनाव अपवाद था। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन का असर था। लोगों ने इनके वादों पर विश्वास किया। आम आदमी पार्टी ने लोगों से 70 वादे किए थे, जिसमें से 67 वादे पूरे नहीं हुए। लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई। पार्टी का भी लोकपाल हटा दिया गया। गाड़ी व बंगला नहीं लेने की बात करने वाले सभी सुविधाएं ले रहे हैं। स्कूल-कॉलेज खोलने का वादा पूरा नहीं हुआ। आधारभूत ढांचा मजबूत करने के लिए कोई काम नहीं हुआ। प्रदूषण की समस्या हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। दिल्ली देश का पहला शहर है, जहां प्रदूषण की वजह से बच्चे 15 दिनों तक स्कूल नहीं जा सके।
मुफ्त बिजली-पानी व महिलाओं की मुफ्त बस यात्र जैसी लोकलुभावन योजनाओं का भाजपा के पास क्या काट है?
-केजरीवाल ने साढ़े चार साल कोई काम नहीं किया और अंतिम समय में कुछ घोषणाएं करके लोगों को रिझाना चाहते हैं। लोग सब समझते हैं। बसों की समस्या दूर नहीं हुई। आप के मंत्रियों व उनके परिवार के इलाज पर लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं और जनता को मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर गुमराह किया जा रहा है। केंद्र की प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना से गरीबों को वंचित किया जा रहा है। किसानों को भी केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। नए स्कूल नहीं बना सके और कह रहे हैं स्कूलों में कमरे बढ़ा दिए। मुफ्त पानी के साथ साफ पानी की भी जरूरत है। दूषित पानी से जलजनित बीमारियां बढ़ रही हैं। लोग आप सरकार की झूठ को समझ रहे हैं।
अनधिकृत कॉलोनियों में लोगों को उनके घर का मालिकाना हक दिए जाने के फैसले का भाजपा को कितना चुनावी लाभ मिलेगा?
-इस योजना से 40 लाख से ज्यादा लोगों को फायदा मिल रहा है। मालिकाना हक के नाम पर इन्हें वर्षों से गुमराह किया जाता रहा है। आप सरकार भी इस काम में रोड़ा अटका रही थी, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने लाखों लोगों के साथ इंसाफ किया है। लोगों को उनके मकान की रजिस्ट्री मिलने लगी है। इस योजना का लाभ लेने के लिए करीब डेढ़ लाख लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं। यह बहुत बड़ा काम हुआ है। जहां झुग्गी वहीं मकान योजना के तहत गरीबों को मकान देने के लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), जामिया व जेएनयू विवाद का चुनाव पर कितना असर पड़ेगा?
-सीएए कानून को लेकर भ्रांतियां दूर करने के लिए कार्यकर्ता घर-घर जा रहे हैं। लोग इसका महत्व समझ रहे हैं। दिल्ली हमेशा राष्ट्रवाद के साथ खड़ी रही है। अन्ना आंदोलन हो या अन्य आंदोलन, यहां के लोग उसके साथ खड़े हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक पर सुबूत मांगने वाला मुख्यमंत्री लोगों को पसंद नहीं है। बटला हाउस को लेकर शक जताने और 1984 के सिख विरोधी दंगों का समर्थन करने वाली कांग्रेस को भी यहां के लोगों ने नकार दिया था। मोदी सरकार इन दंगा पीड़ित सिख परिवारों को इंसाफ देने के लिए काम कर रही है। देशविरोधी नारे लगाने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करना यहां के लोग पसंद नहीं करते हैं। राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने का लोगों ने समर्थन किया है। इन मुद्दों पर मुख्यमंत्री व आप नेताओं ने जिस तरह की टिप्पणी की, उससे दिल्लीवासियों में नाराजगी है।
क्या दिल्ली का चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होगा या राष्ट्रवाद व हिंदुत्व हावी रहेगा?
-दिल्ली देश की राजधानी हैं। यहां सभी राज्यों के लोग रहते हैं। यहां के लोग राष्ट्रीय मुद्दों को भी ध्यान में रखते हैं इसलिए इसका असर चुनाव में रहेगा। साथ ही आप सरकार की नाकामी को देखकर भी मतदान करेंगे।
प्रत्याशियों के चयन में देरी क्यों हो रही है?
-भाजपा एक व्यक्ति या एक परिवार की पार्टी नहीं है। यह कैडर आधारित पार्टी है। लोकतांत्रिक तरीके से प्रत्याशियों का चयन हो रहा है। बहुत जल्द घोषणा कर दी जाएगी।