हरियाणा से भी चौंकाने वाले होंगे दिल्ली के चुनावी नतीजे, कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने किया दावा
सुभाष चोपड़ा का कहना है कि दिल्ली के चुनावी परिणाम हरियाणा से भी चौंकाने वाले होंगे। सर्वे में जमीनी हकीकत को आधार नहीं बनाया जा रहा।
नई दिल्ली। तीनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार घोषित होने के बाद दिल्ली विधानसभा का चुनावी मुकाबला रोचक होता जा रहा है। सभी पार्टियों का प्रचार भी अब जोर पकड़ने लगा है। मतदाताओं को साधने और अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कोई पार्टी कुछ दावे कर रही है तो कोई कुछ। ऐसे में क्या हो सकता है दिल्ली का चुनावी रुझान, किसके पक्ष में जा सकता है परिणाम, फिलहाल क्या चल रहा चुनावी माहौल, इन मुददों पर संजीव गुप्ता ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :
विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस कितनी तैयार है?
-चुनाव के लिए पार्टी पूरी तरह से तैयार है। विधानसभा स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठकें हो चुकी हैं। पार्टी का प्रचार अभियान जोरों पर चल रहा है। प्रचार गीत भी दिल्ली वासियों की जुबान पर है। हमारे उम्मीदवार मतदाताओं के बीच जाकर उन्हें शीला दीक्षित सरकार के 15 साल लंबे कार्य काल की उपलब्धियां याद करा रहे हैं। जल्द ही हमारी चुनावी रैलियां, रोड शो एवं जनसभाएं भी शुरू हो जाएंगी।
उम्मीदवारों के नाम तय करने में इतना विलंब क्यों हुआ?
-70 विधानसभा सीटों के लिए हमारे पास करीब 800 दावेदारों के नाम और आवेदन थे। इतने अधिक नामों में से योग्य उम्मीदवार का चयन करना आसान नहीं है। इसीलिए इस प्रक्रिया में समय लगा। इसके अलावा कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रणाली से काम करने वाली पार्टी है। यहां किसी एक व्यक्ति की रजामंदी से किसी को टिकट नहीं मिल जाता बल्कि विभिन्न स्तरों पर वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही किसी उम्मीदवार के नाम को हरी झंडी मिलती है।
राष्ट्रीय जनता दल से गठबंधन करने की जरूरत क्यों आन पड़ी?
-दिल्ली में पूर्वांचल के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं। दिल्ली को संवारने और इसे सुचारू ढंग से चलाने में उनका बड़ा योगदान है। इसी योगदान को सम्मान देने के लिए बिहार के प्रमुख सियासी दल राजद के साथ गठबंधन किया गया है। इससे पूर्वांचलियों को यह संदेश भी जाएगा कि कांग्रेस उन्हें लेकर कितनी संजीदा है।
कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा?
-फिलहाल कोई नहीं। चुनाव के बाद आलाकमान की सहमति और विधायक दल की संस्तृति से ही किसी योग्य व्यक्ति का नाम तय किया जाएगा। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय किए बिना ही विधानसभा चुनाव लड़ा था।
कांग्रेस को इस चुनाव में कितनी सीटें मिलने का अनुमान है?
-देखिए, सीटों के आंकड़े पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। मैं इतना ही कह सकता हूं कि हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा और हम अपने दम पर सरकार बनाएंगे।
तमाम सर्वे में कांग्रेस की स्थिति बहुत मजबूत नजर नहीं आ रही?
-सर्वे पर विश्वास करके कोई धारणा नहीं बनाई जा सकती। हरियाणा में भी विभिन्न सर्वे में भाजपा को 90 में से 68 और कांग्रेस को महज तीन सीटें दी जा रही थीं। परिणाम इसके उलट आए। दिल्ली के चुनावी परिणाम हरियाणा से भी चौंकाने वाले होंगे। सर्वे में जमीनी हकीकत को आधार नहीं बनाया जा रहा। आज दिल्ली का नागरिक झूठ की राजनीति से ऊब चुका है और अब विकास की बाट जोह रहा है और उसे इसके लिए कांग्रेस के सिवाय कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा।
लोकसभा चुनाव में जिस तरह पार्टी का ग्राफ बढ़ा था, मुस्लिम वर्ग का भी पार्टी को काफी समर्थन मिला था, क्या वह इस बार भी जारी रहेगा?
-बिल्कुल रहेगा। हमें केवल एक वर्ग विशेष नहीं बल्कि समाज के हर तबके का वोट मिलेगा। दिल्ली की जनता आज कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए विकास को याद कर रही है। वह समझ चुकी है कि कांग्रेस ही दिल्ली को संवार सकती है।
दिल्ली की जनता आपको क्यों वोट दे?
-क्योंकि कांग्रेस सरकार ने पहले भी दिल्ली का विकास किया है और आगे भी करेगी। कांग्रेस विज्ञापनों के जरिये जनता को गुमराह नहीं करती बल्कि जमीन पर काम करती है। 15 साल में राजधानी की सूरत कांग्रेस सरकार ने ही शीला दीक्षित के नेतृत्व में बदली थी। हमारा घोषणा पत्र भी जनता को कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित करेगा।