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Delhi Assembly Election: शीला के निधन के बाद भी दिल्‍ली में कांग्रेस और आप में गठबंधन की संभावना कम

Delhi Assembly Election आगामी दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की संभावना कम दिख रही है। दोनों दलों का अलग अलग लड़ना तय माना जा रहा है।

By Rizwan MohammadEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 12:41 PM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 12:45 PM (IST)
Delhi Assembly Election: शीला के निधन के बाद भी दिल्‍ली में कांग्रेस और आप में गठबंधन की संभावना कम
Delhi Assembly Election: शीला के निधन के बाद भी दिल्‍ली में कांग्रेस और आप में गठबंधन की संभावना कम

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Delhi Assembly Election: आगामी दिल्‍ली विधानसभा चुनाव फरवरी में कराने के संकेत मिलने के बाद सभी राजनीतिक दलों ने सियासी सक्रियता बढ़ा दी है। इस कड़ी में गठबंधन की योजनाओं पर भी विचार शुरू हो गया है। दिल्‍ली में शीला दीक्षित के निधन के बाद सुगबुगाहट थी कि चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन होगा। लेकिन, इसकी संभावना कम दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों की ओर से इस तरह के किसी भी कदम की तैयारी नहीं की गई है। चुनाव के लिए कम समय को देखते हुए दोनों दलों का अलग अलग लड़ना तय माना जा रहा है।

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सत्‍ता वापसी के सभी प्रयास तेज
दिल्‍ली में केजरीवाल सरकार का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो रहा है। दिल्‍ली चुनाव आयोग कार्यालय के संकेतों के तहत फरवरी में विधानसभा चुनाव होने की तैयारी दिख रही है। कम समय के कारण आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्‍यमंत्री पद के चेहरे के तौर अरविंद केजरीवाल को पेश किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्‍ली में कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन होते होते रह गया था। चुनाव परिणाम में सभी 7 लोकसभा सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। जानकारों के मुताबिक चुनाव परिणाम के बाद आप को दिल्‍ली में अपनी जमीन खिसकती दिख गई थी। स्थिति को भांपते हुए आप नेता आगामी विधानसभा चुनाव में जी जान से जुटे हुए हैं। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह इस चुनाव में ठोस रणनीति के साथ उतर रहे हैं और सभी 70 सीटे जीतेंगे। हालांकि, चुनाव पूर्व गठबंधन पर किसी भी तरह की सकारात्‍मक बात अब तक सामने नहीं आई है।

पिछले सबक कांग्रेस के काम आएंगे
जानकारों का कहना है कि अपने घटते जनाधार को बचाने के लिए जूझ रही कांग्रेस दिल्‍ली में अपनी कद्दावर नेता शीला दीक्षित के निधन के बावजूद किसी से गठबंधन के मूड में नहीं है। यही वजह है कि पार्टी ने चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है। जबकि चुनाव के लिए समय बहुत कम बचा है। पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्‍ली में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से ज्‍यादा वोट प्रतिशत हासिल हुआ था। ऐसे में कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है और वह किसी भी दल से गठबंधन पर विचार नहीं कर रही है। वहीं, पिछले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़कर करारी हार का सामना कर चुकी है। ऐसे में वह अपने पिछले सबक से सीखकर अकेले लड़ने की तैयारी में है।

जेडीयू अकेले लड़ेगी चुनाव
दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के लिए जनता दल यूनाइटेड ने अपना रुख साफ कर दिया है। जेडीयू के दिल्‍ली प्रदेश प्रभारी संजय झा ने पिछले दिनों कहा था कि केंद्र में एनडीए के साथ वह बने रहेंगे, लेकिन दिल्‍ली में विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी गठबंधन से अलग होकर लड़ेगी। उनका मानना है कि वह दिल्‍ली में इस बार जेडीयू का शानदार प्रदर्शन देखने को मिलेगा।

जेजेपी और बसपा एक साथ लड़ेंगे
दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के पांसे जरूर फिट नहीं बैठ रहे हैं, लेकिन हरियाणा में जननायक जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठजोड़ बन गया है। पिछले दिनों जेजेपी के दुष्‍यंत चौटाल और बसपा के दिग्‍गज नेता सतीश चंद्र मिश्र ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ जीत हासिल करने के लिए एक साथ लड़ने का ऐलान किया था। दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी सामंजस्‍य बन गया है।


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