छत्तीसगढ़ में कर्ज माफी का बोझ, न धान खरीद का लोड, सरकार गठन से पहले ही प्लान किया तैयार
राज्य वित्त विभाग ने इन वादों को पूरा करने से बढ़ने वाले बजट भार का आकलन शुरू कर दिया है।
रायपुर, नईदुनिया, राज्य ब्यूरो। कर्ज माफी और समर्थन मूल्य से करीब 770 रुपये प्रति क्विंटल अधिक की दर पर धान खरीद के बड़े वादे के साथ कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सत्ता में पहुुंच गई है। नई सरकार को कर्ज माफी के लिए करीब 3264 करोड़ रुपये चाहिए। वहीं, धान खरीद के लिए 5450 करोड़ रुपये अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ेगी। राज्य वित्त विभाग ने इन वादों को पूरा करने से बढ़ने वाले बजट भार का आकलन शुरू कर दिया है।
जीएसटी लागू होने से राज्य के पास टैक्स लगाने का भी कोई अधिकार नहीं है। इसके बावजूद अर्थशास्त्री व वित्त विभाग में रहे पूर्व आइएएस अफसर मान रहे हैं कि सरकार इन वादों को आसानी से पूरा कर देगी। नई सरकार के लिए अच्छी बात यह है कि तीन महीने के बाद नया वित्तीय वर्ष शुरू हो जाएगा।
सहकारी बैंकों का कर्ज इसलिए एक आदेश में होगा माफ
सरकार केवल केसीसी यानी किसान क्रेडिट कार्ड का ही लोन माफ करेगी। अर्थशास्त्री प्रो. जेएल भारद्वाज के अनुसार करीब 3264 करोड़ रुपये का कर्ज किसानों ने ले रखा है। यह सभी कर्ज सहकारी बैंकों का है। सरकार बनते ही कैबिनेट कर्ज माफी का कानून पास करेगी। साथ ही बैंकों को निर्देश जारी कर दिया जाएगा कि वे कर्ज की वसूली न करें। 31 मार्च तक सरकार सभी बैकों को प्रमाण पत्र जारी करेगी।
केंद्र देगी धान खरीद की राशि
केंद्र सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 1770 रुपये तय कर रखा है। इस हिसाब से 13 हजार करोड़ की जरूरत पड़ेगी। प्रो. भारद्वाज बताते हैं कि इस राशि की व्यवस्था नाबार्ड से लोन ले कर की जाती है, जिसे बाद में केंद्र सरकार चुका देगी। राज्य सरकार को बाकी बचे करीब 54सौ करोड़ की व्यवस्था करनी है। इसमें से भी 27 सौ करोड़ की व्यवस्था बांड बेचकर भाजपा सरकार कर चुकी है।
धान की आधी व्यवस्था कर गई है भाजपा सरकार
धान खरीद के लिए आधे बजट की व्यवस्था तो भाजपा सरकार ही कर गई है। तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने के लिए निवर्तमान सरकार ने अनुपूरक बजट के लिए 27 सौ करोड़ की व्यवस्था की । नई सरकार को लगभग इतनी और राशि की जरूरत है। इसके लिए सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट ला सकती है।
केंद्रीय अंशदान से होगी पूर्ति
इस कवायद की वजह से बढ़ने वाले आर्थिक बोझ की पूर्ति राज्य सरकार केंद्र से मिलने वाले अंशदान से करेगी। राज्य सरकार केंद्र से अंशदान बढ़ाने का आग्रह करेगी। वैसे भी सरकारी कर्मियों का सातवां वेतनमान लागू हो चुका है। इसकी भरपाई केंद्र सरकार को ही करना है। आर्थिक जानकारों के अनुसार 15वें वित्त का गठन हो चुका है। इसके माध्यम से राज्य सरकार ज्यादा से ज्यादा केंद्र से राशि प्राप्त करने की कोशिश करेगी।
राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत
राज्य को खनिज रायल्टी के स्र्प में केंद्र से बड़ी राशि प्राप्त होती है। राज्य की वित्तीय स्थिति बेहतर है। ऐसे में बांड बेचकर पैसे का इंतजाम करना छत्तीसगढ़ सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। सरकार ने अब तक करीब 18 हजार करोड़ रुपये का बांड बेचा है।