छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल बेल्ट में घमासान तेज, गांवों में जाने से कतरा रहे नेता
12 सीटों पर नामांकन की अधिसूचना जारी होते ही चुनाव का माहौल गरमा गया है। नक्सली इलाकों में नेता गांवों में घुसने से परहेज कर रहे हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण की अधिसूचना जारी होते ही बस्तर में चुनावी घमासान शुरू हो गया है। अभी कांग्रेस और भाजपा के टिकटों का वितरण नहीं हुआ है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जो महीनों से तैयारी कर रहे थे उन्हें टिकट मिल ही जाएगा। वक्त कम और काम ज्यादा, लिहाजा प्रत्याशी बनने की उम्मीद पाले नेता मोर्चे पर उतर गए हैं।
12 सीटों पर नामांकन की अधिसूचना जारी
बस्तर की सभी 12 सीटों पर नामांकन की अधिसूचना जारी होते ही चुनाव का माहौल गरमाने लगा है। नक्सली इलाकों में नेता गांवों में घुसने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन मुख्य मार्गों और शहरी इलाकों में सारी चर्चा चुनाव पर ही सिमट गई है। कोंटा विधानसभा सीट पर भाजपा की ओर से तीन नेता प्रचार करने में जुटे हैं। तीनों ही अपने-अपने कार्यकर्ताओं को साधने में जुट गए हैं।
बसपा-जकांछ गठबंधन
सीपीआइ ने इस बार बसपा-जकांछ गठबंधन से हाथ मिला लिया है। यहां मनीष कुंजाम कद्दावर नेता माने जाते हैं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद भले ही कुंजाम कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं लेकिन हर चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले का रोमांच पैदा करते रहे हैं। कांग्रेस से कवासी लखमा का टिकट पहले से तय माना जा रहा है। कवासी पिछले तीन महीने से गांव-गांव घूम भी रहे हैं। अति नक्सल प्रभावित इस सीट पर कवासी लखमा ही ऐसे
नेता हैं, जो गांवों में जाने का साहस कर पा रहे हैं। बीजापुर भी धुर नक्सल प्रभावित सीट है। यहां प्रदेश सरकार के मंत्री महेश गागड़ा प्रचार अभियान में लगे हैं। उनकी यह सीट इस बार कांटे के संघर्ष में फंसती दिख रही है। इस सीट पर कांग्रेसी खेमेबाजी से दूर रहने की कोशिश में भी दिख रहे हैं।
बस्तर संभाग की एकमात्र सामान्य सीट जगदलपुर में टिकट के कई दावेदार रहे। अब दो कांग्रेसी दावेदारों ने मोर्चा खोल दिया है। हालांकि पिछले चुनाव में 16 हजार मतों के भारी अंतर से हारे सामू कश्यप रायपुर में रहकर लगभग तय कांग्रेसी पैनल के खिलाफ मुहिम भी चला रहे हैं। दंतेवाड़ा में सीपीआइ ने पूर्व विधायक नंदाराम सोरी को टिकट दिया है।
भाजपा में पूर्व विधायक भीमा मंडावी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ ही सुखदेव ताती की भी चर्चा हो रही है। भाजपा में असंतोष का पता तो टिकट के बाद चलेगा, लेकिन कांग्रेस में कर्मा परिवार में ही फूट पड़ गई है। देवती कर्मा का टिकट तय है जबकि उनके बेटे छबिंद्र कर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं। कोंडगांव में भाजपा से पूर्व मंत्री लता उसेंडी दावेदार हैं।
कांग्रेस से सिटिंग विधायक मोहन मरकाम का टिकट पक्का माना जा रहा है। इस सीट पर मुकाबला रोचक होने की पूरी उम्मीद है। भानुप्रतापुर, अंतागढ़, कांकेर, केशकाल, नारायणपुर, चित्रकोट आदि सीटों पर भी प्रचार का रंग दिखने लगा है।