चुनावी सभाओं में उमड़ रही भीड़, सभी को सुनने जुटी जनता, फिर तय करेगी वोट
ग्रामीण कहते हैं कि हम तो जो भी आएगा उसे देखने सुनने जाएंगे। वोट किसे देना है यह बाद में तय करेंगे।
रायपुर (नईदुनिया राज्य ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में चुनावी सभाओं में जनता की भीड़ जमकर उमड़ रही है। सवाल यह है कि क्या यह भीड़ वोट में भी तब्दील भी होगी। इसका जवाब भी जनता ही दे रही है। मोदी की सभा में मौजूद एक शख्स ने कहा- सुनेंगे तभी तो समझ में आएगा कि क्या सही है और क्या गलत।
पिछले दिनों बस्तर से ही खबर आई कि कांग्रेस और भाजपा की सभाओं में वही ग्रामीण जुट रहे हैं। तो वे हैं किसकी ओर। दरअसल बस्तर के मतदाता अपना पक्ष तय करने से पहले खूब सोच विचार करना जानते हैं। यह उनकी परंपरा में ही है कि निर्णय लेने से पहले बैठक और सभा की जाए। ग्रामीण कहते हैं कि हम तो जो भी आएगा उसे देखने सुनने जाएंगे। वोट किसे देना है यह बाद में तय करेंगे।
भीड़ जुटाना मैनेजमेंट का हिस्सा
सभाओं में भीड़ जुटाना भी मैनेजमेंट का हिस्सा होता है। बस्तर के एक पत्रकार से पूछा कि फलां नेता के नामांकन में तो भारी भीड़ दिख रही है। वे बोले-भीड़ का तो ऐसा है कि आप गाड़ियां भेज दीजिए, पैसे दीजिए, कल हम भी जुटा देंगे। भीड़ से वोट नहीं मिलता। लोग जिसे तय कर लेते हैं उसे ही वोट देते हैं। हां यह अलग बात है कि जनता जागरूक हो गई है और चुनाव में समय निकालकर नेताओं को सुनना चाहती है ताकि समझ विकसित की जा सके।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जगदलपुर पहुंचे तो जमकर भीड़ उमड़ी। यही हाल पखांजुर, डोंगरगढ़ और राजनांदगांव में राहुल गांधी की सभाओं का रहा। भानुप्रतापपुर में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुनने के लिए भी भारी संख्या में लोग पहुंचे। भीड़ अजीत जोगी की सभाओं में भी हो रही है और कांग्रेस के भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की सभाओं में भी। ऐसे में भीड़ किसकी ओर जाएगी यह बड़ा सवाल है।