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Chhattisgarh : सरकार बदलते ही जलाए गए गोपनीय सूचनाओं के दस्तावेज

Documents of Confidential Information इन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से पूर्व की भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सकता था।

By Sandeep ChoureyEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 11:43 AM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 11:43 AM (IST)
Chhattisgarh : सरकार बदलते ही जलाए गए गोपनीय सूचनाओं के दस्तावेज
Chhattisgarh : सरकार बदलते ही जलाए गए गोपनीय सूचनाओं के दस्तावेज

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही खुफिया विभाग के दस्तावेज जलाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। खुफिया विभाग ने पिछली सरकार के कुछ गोपनीय दस्तावेज जला दिए हैं। दस्तावेज जलाने की खबर लीक होने के बाद विवाद बढ़ गया। स्पेशल इंटेलीजेंस ब्यूरो(एसआइबी) के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो भाजपा सरकार में कई तरह की गोपनीय सूचनाएं एकत्र की गई थी, जिसे समय से पहले नष्ट कर दिया गया।

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दरअसल, इन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से पूर्व की भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सकता था। ऐसे में अधिकारियों ने इसे नष्ट करने का आदेश दिया। इस बीच, एडीजी अशोक जूनेजा ने पूरे मामले में सफाई दी है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं। रिपोर्ट के बाद अगर कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो दोषियों पर कार्रवाई होगी।

रमन की सुराज यात्रा से संबंधित थे दस्तावेज

बताया जा रहा है कि रमन सरकार की सुराज यात्रा के दौरान के कुछ गोपनीय रिपोर्ट तैयार की गई थी। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव से पहले भी सरकार के कामकाज और जनता के मूड को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिसे जलाया गया है।

सूत्रों की मानें तो आला अधिकारियों ने गोपनीय तरीके से फाइल को जलाने का निर्देश दिया, लेकिन राजधानी में फाइल जलाने के कारण जानकारी मिल गई। एसआइबी के आला अधिकारियों ने बताया कि पिछले 15 साल से भाजपा की सरकार थी। इस दौरान तमाम रिपोर्ट एसआइबी ने तैयार की थी। इसमें सरकार और जिलों के कामकाज की भी रिपोर्ट थी, जिसे जलाया गया है।

कांग्रेस ने उठाया सवाल, इतनी हड़बड़ी क्यों

भाजपा की निवर्तमान मंत्रियों और चंद आला अफसरों के बंगलो में दस्तावेजोंं को जलाये जाने की खबरों पर प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार के शपथग्रहण करने के पहले दस्तावेजों को क्यों जलाया गया?

दस्तावेज यदि गैर जरूरी थे, तो उसको नष्ट करने का काम आने वाली सरकार करती। इसका निर्णय सत्ता से बाहर जाने वाले लोग कैसे कर सकते हैं? इस मामले में जिस जल्दबाजी से अनुपयोगी कहकर दस्तावेजों को जलाया जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि दाल में काला है।


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