छत्तीसगढ़ में किसानों की नाराजगी में फायदा तलाश रही कांग्रेस
किसानों को साधने में रमन सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, लेकिन किसान हैं कि मान ही नहीं रहे। वहीं कांग्रेस के रणनीतिकारों का फोकस किसानों और आदिवासियों को एक साथ साधने की है।
रायपुर (नईदुनिया)। चुनावी साल में किसानों को साधने में रमन सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, लेकिन किसान हैं कि मान ही नहीं रहे। सरकार ने दो दिन पहले ही किसानों को धान का बोनस बांटने के लिए 2400 करोड़ का अनुपूरक बजट पास किया। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना पड़ा। इससे पहले दो साल का बोनस बांटने के लिए बोनस त्योहार मनाया गया। फिर भी किसान इसे घोषणा पत्र के साथ धोखेबाजी बता रहे हैं और बस्तर व राजनांदगांव से पदयात्रा शुरू कर दी है। कांग्रेस इसका फायदा उठाने की जुगत में है।
कांग्रेस के रणनीतिकारों का फोकस किसानों और आदिवासियों को एक साथ साधने की है। कांग्रेस भी जानती है कि 15 वर्षो का वनवास तोड़ने के लिए 35 लाख किसानों और 54 लाख आदिवासी वोटरों के बीच भावनात्मक पैठ बनानी होगी। शायद यही वजह है कि कांग्रेस अब सीधे जंगल, पहाड़ और खेत में पहुंचकर किसानों व आदिवासियों को साधने और भाजपा का वोटबैंक काटने में जुट रही है। कांग्रेस हफ्ता भीतर किसान अधिकार यात्रा निकालने की तैयारी में है। दूसरी तरफ आदिवासियों के लिए जंगल सत्याग्रह चलेगा। किसान अधिकार यात्रा का सम्मेलन बिलासपुर या दुर्ग संभाग में हो सकता है, जबकि जंगल सत्याग्रह की सभा सरगुजा या बस्तर संभाग में कराई जाएगी।
सरकार को ऐसे घेर रहे किसान
10 सितंबर से बस्तर के करीब दो हजार किसान रायपुर तक 300 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं। 14 सितंबर से राजनांदगांव के किसान रायपुर तक पदयात्रा करेंगे। प्रदेश भर के किसान राज्य मुख्यालय पर बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। किसानों के तेवरों से सरकार भी हैरान है। चुनावी साल में किसानों का यह रवैया सरकार के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। राजनांदगांव के किसान इस बात से नाराज हैं कि फसल बीमा के भुगतान में उनके साथ छल किया गया। वे धान का समर्थन मूल्य 21 सौ रुपये करने और हर साल तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग पर अड़े हैं। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार ने चुनावी साल में बोनस तो दिया लेकिन इससे पहले के दो साल का बोनस नहीं मिल पाया। वनाधिकार पट्टा न मिलने की शिकायतें भी अब आक्रोश है। इधर बस्तर के किसान कर्ज की सख्ती से वसूली से खासे नाराज हैं।
मोदी, शाह और राहुल के दौरे
भाजपा व कांग्रेस ने चुनावी विसात पर जंग तेज कर दी है। भाजपा ने फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम तय किए हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी अक्टूबर से नवंबर के बीच छत्तीसगढ़ की 17 से 20 विधानसभा सीटों पर दौरा संभावित है। राहुल गांधी किसानों और आदिवासियों के साथ हर सीट पर कम से कम एक-एक सम्मेलन करेंगे। कांग्रेस ने राहुल गांधी का कई किश्तों में दौरा कराने की तैयारी शुरू कर दी है। राहुल के दौरे में किसान, आदिवासी और अनुसूचित जाति के वोटरों पर फोकस होगा।