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Chhattisgarh : स्टील प्लांट के लिए ली गई जमीन किसानों को वापस करेगी सरकार

Chhattisgarh : मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए मंत्रिपरिषद में प्रस्ताव लाने के निर्देश। देश में अपनी तरह का पहला मामला जिसमें 10 वर्ष पहले अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस मिलेगी।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 06:43 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 07:40 AM (IST)
Chhattisgarh : स्टील प्लांट के लिए ली गई जमीन किसानों को वापस करेगी सरकार
Chhattisgarh : स्टील प्लांट के लिए ली गई जमीन किसानों को वापस करेगी सरकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार बस्तर के लोहंडीगुड़ा में टाटा के स्टील प्लांट के लिए करीब दस साल पहले किसानों से ली गई जमीन उन्हें वापस करेगी। देश में यह अपनी तरह का पहला मामला है जहां उद्योग के लिए अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस मिलेगी।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जमीन वापसी संबंधी प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत करें। सीएम के निर्देश के बाद वर्ष 2008 में अधिग्रहित इस जमीन को वापस करने की कवायद प्रारंभ हो गई है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बस्तर प्रवास के दौरान लोहांडीगुड़ा क्षेत्र के किसानों को विश्वास दिलाया था कि उनकी अधिग्रहित जमीन वापस दिलायी जाएगी। जन घोषणापत्र में प्रदेश के किसानों से यह वादा किया गया है कि औद्योगिक उपयोग के लिए अधिग्रहित कृषि भूमि, जिसके अधिग्रहण की तारीख से पांच वर्ष के भीतर उस पर कोई परियोजना स्थापित नहीं की गई है, वह किसानों को वापस की जाएगी।

टाटा इस्पात संयंत्र के लिए बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के 10 गांवों कुम्हली, छिंदगांव, बेलियापाल, बडांजी, दाबपाल, बड़ेपरोदा, बेलर और सिरिसगुड़ा में तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा की भूमि वर्ष 2008 में अधिग्रहित की गई थी। अब यह जमीन वापस होगी।

अवार्ड पारित होने के बाद भी खेती करते रहे हैं किसान

टाटा स्टील प्लांट के लिए जमीन देने का किसानों ने भारी विरोध किया था। इसे लेकर आंदोलन हुए और नक्सलियों ने एक स्थानीय जन प्रतिनिधि की हत्या भी कर दी थी। इसके बावजूद जमीन का अवार्ड पारित हुआ और अधिकांश किसानों को इसका मुआवजा भी दे दिया गया।

भूमि का अधिग्रहण फरवरी 2008 से दिसंबर 2008 के बीच किया गया था। बाद में टाटा यहां उद्योग नहीं लगा पाया और किसान अपनी भूमि पर खेती करते रहे। दो साल पहले टाटा ने हाथ खड़ा कर दिया। इसके बाद से किसान भूमि वापस देने की मांग कर रहे हैं।  


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