Chhattisgarh Elections 2018 : तीन पांचवीं तो हैट्रिक की तैयारी में आधा दर्जन विधायक
Chhattisgarh Elections 2018 : इस बार यदि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बृजमोहन जीते तो लगातार सातवीं बार जीत उनके खाते में दर्ज होगी।
रायपुर। मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे करीब दो दर्जन विधायक जीते तो वे लगातार जीत का अलग- अलग रिकार्ड बनाएंगे। रायपुर दक्षिण सीट से भाग्य आजमा रहे भाजपा के कद्दावार नेता बृजमोहन अग्रवाल अगर अबकी जीते तो यह उनकी लगातार सातवीं जीत होगी।
अग्रवाल ऐसा करने वाले राज्य के इकलौते विधायक हैं। वहीं, आधा दर्जन विधायक हैट्रिक मारने की तैयारी में हैं, जबकि तीन को लागातार पांचवीं जीत के लिए भाग्य आजमा रहे हैं।
पहली विधानसभा से अब तक
बृजमोहन अग्रवाल (भाजपा) : छत्तीसगढ़ के मौजूदा विधायकों में बृजमोहन सबसे वरिष्ठ हैं। वे 1990 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। बृजमोहन ने 90, 93 और 2003 का चुनाव रायपुर शहर सीट से जीता था। 2008 में परिसीमन के बाद बने रायपुर दक्षिण सीट से वे 08 और 13 का चुनाव जीत चुके हैं। इस बार भी वे इसी सीट से प्रत्याशी हैं।
रामदयाल उइके (भाजपा) : उइके 1998 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। 98 का चुनाव उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के स्र्प में मरवाही सीट से जीता था। राज्य बनने के बाद उन्होंने अजीत जोगी के लिए यह सीट छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। उसके बाद 2003, 08 और 13 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के स्र्प मंे पाली-तानाखार सीट से जीता। इस बार भी वे पाली-तानाखार सीट से मैदान में हैं, लेकिन अब की वे भाजपा के प्रत्याशी हैंं।
अमर अग्रवाल (भाजपा) : अमर ने 1998 में पहली बार बिलासपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर मध्यप्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। राज्य बनने के बाद हुए तीनों चुनाव वे जीते हैं। इस बार भी अमर बिलासपुर सीट से ही भाग्य आजमा रहे हैं।
कवासी लखमा (कांग्रेस) : बस्तर संभाग की धुर नक्सल प्रभावित सीट कोंटा से चुनाव लड़ने वाले कवासी कांग्रेस के एक मात्र विधायक हैं जो लगातार चुनाव जीत रहे हैं। लखमा 1998 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते थे। उसके बाद से वे लगातार जीतते आ रहे हैं। इस बार भी वे कांेटा सीट से ही कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
इन्हें चौथी जीत का इंतजार
इस बार चुनावी रण में उतरे चार भाजपाई और एक कांग्रेसी विधायक ऐसे हैं जो अब की जीते तो उनकी यह लगातार चौथी जीत होगी। इनमें भाजपा के देवजी पटेल, राजेश मूणत, दयाल दास, विक्रम उसेंडी (2013 का चुनाव जीतने के बाद उसेंडी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते, इसकी वजह से उन्हेांने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था) और कांग्रेस के अमरजीत भगत शामिल हैं। पांचों विधायक राज्य में पहली बार 2003 में हुए विधानसभा के चुनाव से लगातार सदन में मौजूद हैं।
चौथी पारी की तैयारी में उपचुनाव के माध्यम से पहुंचे दो डॉक्टरों को भी
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और जकांछ की डॉ. रेणु जोगी भी इस बार चौथी जीत के लिए मैदान में हैं। दोनों की सदन में इंट्री उपचुनाव के जरिये हुए है। डॉ. सिंह 2003 में भाजपा के मुख्यमंत्री बनने के बाद डोंगरगांव उपचुनाव के जरिए 2004 में सदन में पहुंचे थे। वहीं राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल के निधन की वजह से खाली हुई कोटा सीट से 2006 में उपचुनाव लड़कर डॉ. जोगी सदन में पहुंचीं थीं।
हैट्रिक की तैयारी आधा दर्जन विधायक
मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे आधा दर्जन विधायक इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। इनमें तीन भाजपा और तीन कांग्रेस के हैं। भाजपा के भैयालाल राजवाड़े, पुन्नू लाल, विद्यारतन भसीन और कांग्रेस के टीएस सिंहदेव, जय सिंह व गुस्र्मुख सिंह होरा 2008 और 13 का चुनाव जीत चुके हैं।