Chhattisgarh Election Result 2018: छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री कौन, दौड़ में ये दिग्गज
chhattisgarh Election Result 2018 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत और सांसद ताम्रध्वज साहू दौड़ में आगे हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में दोपहर दो बजे तक की रुझान के बाद यह दिखने लगा है कि कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत की सरकार बन रही है। बहुमत का जादुई आंकड़ा पहुंचने के बाद अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ओर से कौन मुख्यमंत्री होगा। प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में चार नेताओं का नाम तेजी से चल रहा है। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. चरणदास महंत और सांसद ताम्रध्वज साहू दौड़ में आगे हैं। छत्तीसगढ़ में जिन नामों पर विचार हो सकता है, उसमें यह भी देखा ही जाएगा कि नए मुख्यमंत्री की जनता के बीच लोकप्रियता कैसी है, पिछले पांच वर्षों में पार्टी संगठन खड़ा करने में उसकी कैसी भूमिका रही है और आगामी लोकसभा चुनाव में सीटें जिताने की क्षमता कितनी है।
आक्रामक छवि के भूपेश को फायदे भी, नुकसान भी
मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल का नाम है। पिछले पांच साल में भूपेश बघेल ने ब्लॉक स्तर पर संगठन को खड़ा किया और कांग्रेस में एक नई जान फूंकी। लगातार दो बार से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर जमे भूपेश पिछड़ा वर्ग के कुर्मी से आते हैं। इस चुनाव में जीत के साथ उनको पांच बार विधानसभा चुनाव जीतने का अनुभव है। भूपेश अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे, छत्तीसगढ़ की पहली अजीत जोगी सरकार में भी मंत्री रहे। कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद जब बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया तब वे उपनेता प्रतिपक्ष थे। रमन सरकार के खिलाफ तीखे तेवरों से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच आक्रामक और लड़ाके नेता की छवि बनी है। भूपेश ने सीडी कांड, नान घोटाले को उठाकर सरकार, मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ खुली लड़ाई लड़ने वाले अकेले नेता की छवि भी बनाई है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो लोकसभा चुनाव छह महीने बाद हैं, इसलिए इनकी आक्रामक छवि का फायदा पार्टी को मिल सकता है।
भूपेश बघेल की कमजोरी
आक्रामक और लड़ाकू छवि के चलते पार्टी हाईकमान में कई बार शिकायतें भी पहुंची। मंत्री की कथित सीडी और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया की सीडी में नाम आना नकारात्मक जा सकता है।
जनघोषणा पत्र के जरिये प्रदेश में बनाई छवि
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव सरगुजा राजपरिवार से है। जनता के बीच लोकप्रियता ठीक-ठाक है, हालांकि पूरा प्रदेश उनकी उस तरह से पहचान नहीं है, जितनी लोकप्रियता सरगुजा में है। कांग्रेस के जनघोषणा पत्र बनाने के दौरान सिंहदेव ने प्रदेश स्तर के नेता की छवि बनाई। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सिंहदेव यह कहते अक्सर नजर आते थे कि वे प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के सहयोगी हैं। इस जीत के साथ ही वे तीसरी बार विधानसभा में आएंगे। नेता प्रतिपक्ष रहने के अलावा किसी प्रशासनिक पद पर नहीं रहे, कभी मंत्री भी नहीं रहे, लेकिन जोगी सरकार में उनको योजना आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। सिंहदेव की छवि विनम्र नेता की है। किसी भी नेता के खिलाफ बयान देने से बचते हैं, इसलिए वे पिछले पांच साल मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ को विवादास्पद बयान भी नहीं दिया। एक बार तो विधानसभा में उन्होंने डॉ रमन को बड़ा भाई कहा, जिसके बाद भाजपा ने निशाने पर लिया था।
सिंहदेव की कमजोरियां
वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह और राजपरिवारों से जुड़े भाजपा नेताओं से मधुर संबंध उनके सीएम बनने की राह में रोड़ा बन सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद विधानसभा में भूपेश बघेल की तुलना में सरकार के खिलाफ ज्यादा आक्रामक नहीं दिखे।
केंद्रीय नेताओं से पहुंच का महंत को मिल सकता है लाभ
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में तीसरे पायदान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ चरणदास महंत है। परिवार की विरासत को संभाल रहे महंत ओबीसी, पनिका समाज से आते हैं। अविभावित मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। लंबा प्रशासनिक अनुभव उनके पास है। कई बार विधानसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। पूरे प्रदेश में जनता के बीच उनकी पहचान है। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों में सीमित सक्रियता रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद विधानसभा चुनाव लड़ा। अगर वे मुख्यमंत्री बनते हैं, तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को सीमित लाभ होने की संभावना है।
महंत की कमजोरी
महंत चार बार कार्यकारी अध्यक्ष रहने के बावजूद पार्टी में जान फूंकने में असमर्थ रहे। पिछला विधानसभा चुनाव उनके ही नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन झीरम कांड में बड़े नेताओं की हत्या के बाद भी पार्टी को जीत नहीं दिला पाए।
साहू वोटर में पकड़ ताम्रध्वज को पहुंचा सकती है सीएम कुर्सी तक
छत्तीसगढ़ से एकमात्र कांग्रेस सांसद ताम्रध्वज साहू तीन बार विधानसभा के सदस्य रहे हैं। राज्यमंत्री के रूप में संक्षिप्त प्रशासनिक अनुभव भी उनके पास है। प्रदेश के साहू वोट बैंक ताम्रध्वज को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकता है। दरअसल, कांग्रेस की नजर अब 11 लोकसभा सीट पर है। ऐसे में चार लोकसभा सीट पर साहू वोटर निर्णयक हैं। राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ा वर्ग की जिम्मेदारी मिलने के बावजूद ओबीसी के बीच पहचान और सक्रियता निर्णयक रहेगी। साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन का बहुत अच्छा काम किया, जिसकी वजह से समाज के लोकप्रिय नेता हैं।
ताम्रध्वज की कमजोर
ताम्रध्वज अपेक्षाकृत कम पढ़े लिखे हैं सिर्फ हायर सेकेंडरी तक ही शिक्षा ग्रहण की है। प्रदेश स्तर पर संगठन में कोई खास पहचान नहीं है। संगठन के कार्यों में उनकी सीमित दिलचस्पी एक बड़ी कमजोरी है।