Chhattisgarh Election Result 2018 : नई सरकार के सामने हाथी की समस्या बड़ी चुनौती
Chhattisgarh Election Result 2018 :छत्तीसगढ़ में मानव हाथी द्वंद्व में जा चुकी है ढाई सौ से ज्यादा लोगों की जान।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के सामने हाथी की समस्या से निपटने की बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में हाथी की समस्या से निपटने के लिए सरगुजा में लेमरू और कोरबा वन्य जीव अभयारण्यों को विकसित करने तथा वन्य जीव कॉरीडोर बनाकर जंगलों को जोड़ने का वादा किया है। यह काम इतना आसान तो नहीं होगा।
दरअसल वर्तमान में कोयला खदानों की वजह से लगातार रिजर्व फारेस्ट और नो गो एरिया में कंपनियों को घुसने की इजाजत दी गई है। वन्य जीवों के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस मामले में सरकार पर वन कानूनों को उल्लंघन करने तक का आरोप लगाती रही हैं। छत्तीसगढ़ में हाथी एक बड़ी समस्या के रूप में उभरे हैं। पिछले दस सालों में हाथी राज्य के 9 जिलों तक पहुंच चुके हैं।
रायगढ़, जशपुर, कोरबा, सरगुजा आदि इलाकों में हालत लगातार बिगड़ रही है। हाथियों के हमलों में अब तक ढाई सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इस दौरान सौ से अधिक हाथियों की भी मौत हुई है। अरबों की संपत्ति का नुकसान तो हुआ ही है। हाथी किसानों की खड़ी फसल बरबाद कर रहे हैं। लोगों के घर गिरा रहे हैं। हाथी प्रभावित इलाकों में लोग अपना घर छोड़कर सामुदायिक केंद्रों में रहने को मजबूर हैं। रतजगा किया जा रहा है। बच्चों का स्कूल तक छूट गया है।
यह समस्या जितनी बड़ी है इससे निपटने के प्रयास उतने ही मामूली किए जाते रहे हैं। हाथी को गांव से दूर रखने के लिए सोलर फैंसिंग से लेकर पटाखे फोड़ने, ड्रम पीटने, मशाल जलाने जैसे उपाय बेकार साबित हो चुके हैं। हाथी की चुनौती के बहाने अब तक सौ करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च हो चुकी है। करोड़ों रूपए का मुआवजा भी बांटा गया है। अब इस नीति में क्या बदलाव आएगा यह देखना होगा।
अभयारण्यों की स्थापना कैसे होगी
रायगढ़ के लारा इलाके में दो साल पहले हाथी ने एक विदेशी इंजीनियर को कुचल डाला था। तब हाथी का मामला खूब उछला। यह सवाल भी उठा कि जहां कंपनी है वहां हाथी का इलाका है। सरगुजा में जिन इलाकों में हाथी दहशत मचा रहे हैं वहां कोयले की खदानें हैं। कोरबा में भी यही स्थिति है।
नई सरकार इन जगहों पर जंगल को हाथी अभ्यारण्य बनाने की बात कह रही है। नो गो एरिया से अगर काम बंद कर दिया जाएगा तो कोयला कैसे निकलेगा। फिर उन कंपनियों का क्या होगा जिनके पास कोयला निकालने का अनुबंध है। सरकार ने कहा है तो इसका कोई न कोई समाधान निकाला जाएगा यह सभी मान रहे हैं।