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CG Election 2018 : सिंहदेव ने तोड़ा मिथक, गौरीशंकर नहीं बदल पाए ट्रेंड

CG Election 2018 : छत्तीसगढ़ में दोबारा चुनाव जीतने वाले पहले नेता प्रतिपक्ष बने टीएस सिंहदेव।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 06:52 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 06:52 PM (IST)
CG Election 2018 : सिंहदेव ने तोड़ा मिथक, गौरीशंकर नहीं बदल पाए ट्रेंड
CG Election 2018 : सिंहदेव ने तोड़ा मिथक, गौरीशंकर नहीं बदल पाए ट्रेंड

रायपुर। कांग्रेस के टीएस सिंहदेव चुनाव जीतने वाले छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं। सिंहदेव ने अपनी परंपरागत अंबिकापुर सीट से लगातार तीसरी जीत दर्ज की है। सिंहदेव से पहले जितने भी नेता प्रतिपक्ष हुए सभी अगला चुनाव हार गए थे। पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने भी ट्रेंड तोड़ने में सफल रहे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को भाग्य साथ नहीं मिला। अग्रवाल चुनाव हार गए हैं।

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छत्तीसगढ़ गठन के बाद पांचवीं बार सरकार का गठन होने जा रहा है। राज्य विधानसभा का गठन हुए 18 वर्ष हो चुके हैं। इस दौरान सदन और विधानसभा चुनाव को लेकर कई ट्रेंड बने। इनमें से ज्यादातर बीते तीनों चुनावों तक कायम रहे, लेकिन इस बार इनमें से कई परंपराएं टूट गईं।

ये था मिथक

नेता प्रतिपक्ष

नंदकुमार साय (2000) पहली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे भाजपा के नंद कुमार साय 2003 का चुनाव हार गए। महेंद्र कर्मा (2003) कांग्रेस के महेंद्र कर्मा नेता प्रतिपक्ष बने। कर्मा 2008 का चुनाव हार गए। रविंद्र चौबे (2008) कांग्रेस के रविंद्र चौबे को नेता प्रतिपक्ष बने। वे 2013 का चुनाव हार गए।

पंचायत मंत्री  

अब तक की चार सरकारों में पंचायत मंत्री रहे नेता भी लगातार दूसरा चुनाव नहीं जीते थे, लेकिन इस बार अजय चंद्राकर ने जीत कर इस मिथक को खत्म कर दिया है।

अमितेष शुक्ल (2000) : राज्य की पहली कांग्रेसी सरकार में राजिम विधायक अतिमतेष शुक्ल को पंचायत मंत्री बनाया गया। शुक्ल 2003 का विधानसभा चुनाव हार गए थे।

अजय चंद्राकर (2003):  भाजपा की पहली बार सरकार बनी तो कुस्र्द से लगातार दूसरी बार जीते अजय चंद्राकर को पंचायत मंत्री बनाया गया। चंद्राकर 2008 का चुनाव हार गए।

हेमचंद यादव (2008) : दूसरी बार सत्ता में भाजपा लौटी तो पहले रामविचार नेताम को पंचायत मंत्री बनाया गया। 2012 में नेताम को हटा कर दुर्ग से लगातार चुनाव जीत रहे हेमचंद यादव को पंचायत विभाग सौंप दिया गया। यादव 2013 का चुनाव हार गए। 

गौरीशंकर नहीं पहुंच पाए सदन में

भाजपा का कोई भी विधानसभा अध्यक्ष अब तक लगातार दूसरी बार सदन नहीं पहुंच पाया। यह ट्रेंड इस चुनाव में भी कायम रहा, क्योंकि मौजूदा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल कसडोल सीट से चुनाव हार गए हैं। इससे पहले धरमलाल कौशिक (2008) विधानसभा अध्यक्ष थे। कौशिक 2013 का चुनाव हार गए। वहीं, 2003 में अध्यक्ष रहे प्रेम प्रकाश पाण्डेय 2008 का चुनाव वे हार गए थे।

जांजगीर, बिल्हा व भिलाई का नहीं बदला ट्रेंड

जांजगीर-चांपा और बिल्हा विधानसभा सीट का अब तक का ट्रेंड रहा है कि वहां एक बार भाजपा और दूसरी बार कांग्रेस जीतती है। दोनों ही पार्टियां इन सीटों पर हर बार एक ही चेहरों को उतराती है। पिछले तीन चुनाव की तरह इस बार भी जांजगीर-चांपा से कांग्रेस मोतीलाल देवांगन और भाजपा नारायण प्रसाद चंदेल मैदान में थे।

पिछली बार देवांगन जीते थे, इस बार चंदेल जीते हैं। इसी तरह बिल्हा सीट से पिछली बार कांग्रेस के सियाराम कौशिक जीतते थे तो इस बार धरमलाल कौशिक जीते हैं।

हालांकि सियाराम इस बार जकांछ के प्रत्याशी के स्र्प में मैदान में थे। भिलाई इस सीट पर भाजपा के प्रेम प्रकाश पाण्डेय और कांग्रेस के बीडी कुरैशी के बीच ऐसा ही मुकाबला चलता था, लेकिन इस बार कुरैशी ने सीट बदल ली है, लेकिन पाण्डेय जीत नहीं पाए हैं।

अभनपुर में पलटी बाजी

अभनपुर सीट पर भी कांग्रेस के धनेंद्र साहू और भाजपा के चंद्रशेखर साहू के बीच मुकाबला चलता है। अब तक के मुकाबलों में एक बार धनेंद्र तो दूसरी बार चंद्रशेखर जीतते रहे हैं, लेकिन इस बार धनेंद्र ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर दी है। 


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