CG Election 2018 : दलबदलू और बागी लगेंगे किनारे या लगाएंगे किनारे
bagi neta chhattisgarh एक्जिट पोल की मानें तो करीब पांच बागी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने क्षमता भी रख रहे हैं।
रायपुर । नईदुनिया, राज्य ब्यूरो
छत्तीसगढ़ के चुनाव में इस बार दलबदलू और बागी की बहार आ गई है। कांग्रेस और भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कई नेता या तो छोटे दलों की टिकट पर मैदान में उतरे हैं, तो कुछ निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। प्रदेश में राजनीति में डॉ विमल चोपड़ा निर्दलीय विधायक चुने गए। उसके बाद से कद्दावर नेताओं को यह लगने लगा कि अगर पार्टी टिकट नहीं देती है, तो वे निर्दलीय मैदान मार सकते हैं।
यही कारण है कि विजय अग्रवाल रायगढ़, संपत अग्रवाल बसना, सुमन वर्मा चंद्रपुर, टिकेंद्र सिंह ठाकुर अभनपुर, मुरारी मिश्रा भाटापारा और नीलम चंद्राकर कुस्र्द सीट से बागी होकर दोनों बड़े दलों को चुनौती दे रहे हैं। प्रदेश की करीब एक दर्जन सीट पर निर्दलीय, दलबदलू और बागी प्रभावी भूमिका है। एक्जिट पोल की मानें तो करीब पांच बागी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने क्षमता भी रख रहे हैं।
प्रदेश के चुनावी समीकरण को देखे तो मतदाताओं का स्र्झान राजनीतिक दलों के पक्ष में रहा है। यहां निर्दलीय या छोटे दलों से चुनाव लड़ने वाले महज उपस्थिति दर्ज कराने की स्थिति में रहते हैं। 95 फीसदी से ज्यादा तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं। लेकिन इस चुनाव में जकांछ-बसपा के गठजोड़ के बाद मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद कई महत्वाकांक्षी नेता गठबंधन की टिकट पर ताल ठोक रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी कोटा से कांग्रेस विधायक हैं। कांग्रेस ने जब उनको टिकट नहीं दिया तो वे जकांछ के टिकट पर मैदान में उतरीं। मनेंद्रगढ़ में भाजपा नेता लखन श्रीवास्तव भी जकांछ उम्मीदवार बन गये।
जांजगीर के ब्यास नारायण में भी आखिरी समय में दल बदल करके बसपा का दामन थाम लिया। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो तीनों नेता अपनी विधानसभा में बेहतर परफार्मेंस कर रहे हैं। 11 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणाम में नतीजे अप्रत्याशित भी आ सकते हैं।
बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे रायगढ़ के विजय अग्रवाल भाजपा की टिकट पर पूर्व विधायक रह चुके हैं। मतदान के आंकड़ों को देखें तो एक बड़ा वर्ग विजय के साथ खड़ा नजर आ रहा था। प्रचार अभियान के दौरान भी विजय के समर्थकों का हुजूम साथ था। ऐसे में विजय के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। बसना में संपत अग्रवाल के पक्ष में भी जनता को दिख रही थी, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भीड़ को वोट में कितना बदल पाते हैं।
कुरुद से मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ कांग्रेस ने लक्ष्मीकांता साहू को मैदान में उतारा है। लेकिन कुर्मी बाहुल विधानसभा में नीलम चंद्राकर भी जोर दिखा रहे हैं। भाटपारा में भाजपा से टिकट मांग रहे मुरारी मिश्रा और अभनपुर से कांग्रेस की टिकट मांग रहे टिकेंद्र सिंह ठाकुर राकांपा से मैदान में है।
मतदान के एक दिन पहले राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश जग्गी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने पार्टी का विलय कर दिया। बावजूद इसके राकांपा उम्मीदवार मैदान में रहे। मुरारी और टिकेंद्र अपने क्षेत्र में जनाधार वाले नेता माने जाते हैं, लेकिन अपनी पार्टी से अलग हटकर कितना वोट बटोर पाते हैं, यह तो 11 दिसंबर को ही पता चल पाएगा।
हाईप्रोफाइल चंद्रपुर में चतुष्कोणीय मुकाबला
पूर्व विधायक नोबल वर्मा की पत्नी सुमन वर्मा चंद्रपुर से ताल ठोंक रही है। यहां से जूदेव परिवार की बहु संयोगिता जूदेव भाजपा से, पिछले चुनाव में बसपा उम्मीदवार और दूसरे स्थान पर रहे रामकुमार कांग्रेस से और बसपा से गीतांजली पटेल टक्कर में हैं। कांग्रेस से टिकट मांग रही सुमन के बागी होकर मैदान में आने से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है।
चोपड़ा ने निर्दलीय जीतकर जगाई उम्मीद
पिछले विधानसभा चुनाव में महासमुंद से निर्दलीय चुनाव जीतकर डॉ विमल चोपड़ा ने कई नेताओं की उम्मीद को पर लगा दिया। डॉ चोपड़ा इस बार भी महासमुंद से मैदान में है। उनको कांग्रेस के विनोद चंद्राकर और भाजपा के पूनम चंद्राकर एक बार फिर कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉ चोपड़ा को जनता एक बार फिर चुनती है, या फिर यहां बदलाव प्रभावी रहता है।
फैक्ट फाइल
दलबदलू
रेणु जोगी कोटा, लखन श्रीवास्तव मनेंद्रगढ़, व्यास नारायण जांजगीर।
निर्दलीय
विमल चोपड़ा महासमुंद।
बागी
विजय अग्रवाल रायगढ़, संपत अग्रवाल बसना, सुमन वर्मा चंद्रपुर, टिकेंद्र सिंह ठाकुर अभनपुर, मुरारी मिश्रा भाटापारा, नीलम चंद्राकर कुरुद।