CG Election 2018: सियासी सर्कस में फंसा धान, उलझा अन्नदाता
CG Election 2018 छत्तीसगढ़ में चुनावी घमासान के बीच राजनीतिक दलों में किसानों को रिझाने की होड़ लगी हुई है।
रायपुर। राजनीतिक दलों के सियासी सर्कस ने छत्तीसगढ़ के अन्नदाताओं को उलझा दिया है। सबसे बड़े वोट बैंक (किसान) को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां ही नहीं छोटे दल भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
चुनावी घमासान के बीच राजनीतिक दलों में किसानों को रिझाने की होड़ लगी हुई है। रोज दावे हो रहे हैं, नए-नए पासे फेंके जा रहे हैं। ऐसे में मौसम और त्योहार की वजह से पहले ही धान की कटाई पिछड़ी हुई है। अब किसान धान बेचने के लिए चुनाव परिणाम आने का इंतजार करने लगे हैं।
25 से 50 फीसद कटाई नहीं हो पाई
राज्य के ज्यादातर हिस्सों में धान कटाई इस बार पिछड़ गई है। कुछ हिस्सों में पानी की कमी के कारण पौधे अभी पके नहीं हैं। वहीं पहले दिवाली और अब चुनाव के कारण लेबर नहीं मिल रहे हैंं जिन किसानों की फसल तैयार हो गई है और मशीन से कटाई की सुविधा है, वहां कटाई शुरू हो गई है। बाकी लेबर की तलाश में हैं। किसानों के अनुसार वैसे भी अरली वैरायटी को छोड़ दें तो राज्य में 15 नवंबर के बाद ही धान की कटाई हो पाती है।
खरीद केंद्रों पर अभी चहल-पहल कम
धान खरीद केंद्रों ने एक नवंबर से काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी वहां चहल-पहल नहीं दिख रही है। चुनाव ड्यूटी के कारण कर्मचारी कम हैं। फसल की कटाई नहीं होने के कारण किसान भी पर्याप्त संख्या में नहीं पहुंच रहे हैं।
इंतजार में किसान
किसान छगन देशमुख ने कहा कि चुनाव का माहौल है किसानों के लिए नेताओं ने कई वादे किये हैं और धान खरीदी को लेकर भी घोषणा हुई है इसलिए देख रहे हैं कि चुनाव के बाद वे वादे पूरे करते हैं या नहीं। इसलिए कुछ दिन तक धान नहीं बेच रहे हैं । सरकार जो भी घोषणा की है उसे पूरा तो करेंगे ही।
नवागांव के शालिकराम ने कहा कि 5 एकड़ की खेती है घर बनवाने की सोच रहा हूं। इसलिए पैसों की तो जरूरत है ही। दोनों पार्टियों ने किसानों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की है। जो भी सरकार बनेगी तो जो अपनी घोषणा की है तो पूरी करेंगे इसकी उम्मीद है। इसलिए पैसों की जरूरत को दूर करने के लिए धान कटाई के बाद में धान बेचने के लिए जाऊंगा। दो-तीन दिन में टोकन कटवाकर आने वाला हूं
कई किसानों के खाते में नहीं पहुंचा पैसा
बालोद जिले के ग्राम सकरी के किसान पंचराम साहू ने बताया कि पांच नवंबर को करीब 60 क्विंटल धान बेचा था जिसका पैसा अभ्ाी तक खाते मे नही आया है। वहीं पोखन वर्मा ने भी बताया कि धान बेचने के 9 दिन बाद मेरे बैंक खाते में पैसा नहीं आया है। इसके विपरीत बाकी ज्यादातर जिलों में धान बेचने के चार-पांच दिन में किसानों के खाते में रकम पहुंच जा रही है। दंतेवाड़ा के ग्राम कतियाररास ने बताया कि धान विक्रय की राशि खाते में जमा हुई है। बोनस जुड़ा है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। इस बार बोनस की राशि जुड़कर ही खाते में रकम जमा की जा रही है।
अभी केवल बोहनी ही
खरीद केंद्रों में धान की आवक कमजोर है। अभी केवल वे ही किसान पहुंच रहे हैं जिन्होंने अर्ली वैराइट की धान उगाई थी और पैसे की जस्र्रत है। बलौदाबाजार अब तक मात्र दो लाख 47 हजार 820 क्विंटल धान खरीदी हुई है। बालोद में दो से तीन हजार कट्टा धान की आवक है। दुर्ग जिले में एक लाख 82 हजार क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। अंबिकापुर में 245.53, कोरबा में 23832, रायगढ में 60730, दंतेवाड़ा में 58.80, कांकेर में 54454, जांजगीर में 3400, कोरिया में 1148, जशपुर में 2647, बस्तर में 1971.60 क्विंटल धान की खरीद हुई है। बीजापुर, नारायणपुर तथा सुकमा जिले के किसी भी केन्द्र में धान नहीं आया है। महासमुंद चार लाख 76 हजार 270 क्विंटल धान की खरीद हुई है।