इस विधानसभा सीट पर 7 उम्मीदवार, सभी आपस में रिश्तेदार
दंतेवाड़ा सीट से पहले बस्तर टाइगर महेन्द्र कर्मा चुनाव लड़ते थे।
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ की दंतेवाड़ा विधानसभा सीट में एक अनोखा चुनावी समीकरण नजर आ रहा है। इस सीट का पुराना इतिहास रहा है कि यहां से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार आपस में रिश्तेदार रहे हैं। इस चुनाव में भी यहां यही रिश्तेदारी का समीकरण नजर आ रहा है।
यहां से अलग-अलग दलों की टिकट लेकर 7 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं और सभी आपस में रिश्तेदार हैं। यहां रिश्तेदारों के बीच चुनावी प्रतिद्वंदिता का चलन पुराना रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां ऐसा ही कुछ समीकरण देखने को मिला था। सभी उम्मीदवार एक ही जनजातीय समूह से हैं और सभी के बीच कुछ न कुछ रिश्तेदारी है। इस तरह का समीकरण रखने वाली इस विधानसभा सीट पर मुकाबला भी काफी रोचक होने वाला है।
आपस में इन रिश्तों से बंधे हैं उम्मीदवार
भाजपा उम्मीदवार भीमा मंडावी कांग्रेस उम्मीदवार देवती कर्मा के बहनोई हैं। वहीं सीपीआई उम्मीदवार नंदाराम सोरी व देवती आपस में भाई-बहन हैं। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बल्लू भवानी देवती को चाची बोलते हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं जया कश्यप रिश्ते में देवती की भतीजी हैं। दूसरी तरफ बसपा उम्मीदवार केशव नेताम और सुदरू कुंजाम का आप उम्मीदवार बल्लू से मामा-भांजा का रिश्ता है।
रिश्तेदार पर हुआ हमला तो सब हुए एकजुट
रविवार को दंतेवाड़ा के जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता पर नंदलाल मुड़ामी पर जानलेवा हमला हुआ। नंदलाल भी इन्हीं उम्मीदवारों के रिश्तेदार हैं। जब उम्मीदवारों को इस घटना की खबर मिली तो सभी एकजुट होकर अस्पताल पहुंचे और साथ बैठकर बातें करते नजर आए। इसके साथ ही सभी उम्मीदवारों के बीच भले ही राजनैतिक प्रतिद्वंदिता हो, लेकिन वे आपस में मान सम्मान के साथ रिश्तेदारी निभाते हैं। चुनावी मोर्चे पर यह सभी उम्मीदवार आपस में रिश्तों की गरिमा का पालन करते नजर आते हैं।
ये हैं उम्मीदवार-
देवती कर्मा- कांग्रेस
जया कश्यप- निर्दलीय
भीमा मण्डावी- भाजपा
केशव नेताम- बसपा
बल्लू भवानी- आप
नंदाराम सोरी- सीपीआई
सुदरू कुंजाम- निर्दलीय
थोड़े से अंतर के साथ होता है हार-जीत का फैसला
दंतेवाड़ा सीट से पहले बस्तर टाइगर महेन्द्र कर्मा चुनाव लड़ते थे। उस वक्त भी उनके रिश्तेदार ही चुनावी मैदान में नजर आते थे। कर्मा की मौत के बाद उनकी पत्नी देवती ने पिछला चुनाव लड़ा और वे अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार भीमा मंडावी से करीब 6 हजार मतों के अंतर से जीती थीं।
इस विधानसभा में करीब 1 लाख मतदाता हैं और रिश्तेदारों की वजह से दो प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच में कांटे की टक्कर की स्थिति बनी रहती है। इस बार महेन्द्र कर्मा के बेटे छबिन्द्र ने बागी होकर मां के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। इस बात ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया था, लेकिन छबिन्द्र मान गए और अपना नामांकन वापस ले लिया था।