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Bihar Elections 2020: मुजफ्फरपुर से चुनाव मैदान में उतरने जा रहे इन प्रत्याशियों के आंखों में आंसू और सीने में तूफान सा क्यों है?

Bihar Elections 2020 पिछले चुनाव में लोजपा ने सिंबल वापस लिया था तो रो पड़ी थीं बेबी कुमारी। बोचहां सीट तो फिर कटा बेबी का टिकट आंसू के साथ छलके दर्द। औराई सीट से राजद ने टिकट काटा तो समर्थक के बीच रो पड़े डॉ. सुरेंद्र।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 03:20 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 04:51 PM (IST)
Bihar Elections 2020: मुजफ्फरपुर से चुनाव मैदान में उतरने जा रहे इन प्रत्याशियों के आंखों में आंसू और सीने में तूफान सा क्यों है?
राजनीति में काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ सकती।

मुजफ्फरपुर, प्रेम शंकर मिश्रा। Bihar Elections 2020 :हर चुनाव अपना एक रंग जरूर छोड़ जाता है। इस बार बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों का टिकट कटा। कई ने सीधे तौर पर बगावत की। मगर, कई अपनी भावना पर नियंत्रण नहीं रख पाए। समर्थकों के बीच दर्द छलका तो आंसू भी टपक पड़े। अब इन आंसुओं के साथ वे मैदान में उतर रहे हैं।

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नामांकन करने के बावजूद सिंबल वापस ले लिया 

मुजफ्फरपुर की बोचहां सीट से बेबी कुमारी को दोबारा दर्द झेलना पड़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव में लोजपा ने उन्हेंं सिंबल दिया था। मगर, रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु के लिए नामांकन करने के बावजूद बेबी का सिंबल वापस ले लिया गया। दर्द साथ लिए बेबी ने निर्दलीय नामांकन किया। रोती हुई उनकी तस्वीर ने सहानुभूति दिलाई। करीब 25 हजार वोट से रमई राम पर जीत हासिल की थीं। इस चुनाव में भी कहानी वही है। बेबी ने भाजपा का दामन थामा। टिकट को लेकर निश्चिंत थीं। मगर, सीट वीआइपी के कोटे में जाने के साथ ही सिंबल भी चला गया। समर्थकों के बीच आईं तो फिर आंसू टपके। बगावत के स्वर निकले तो पिछली बार दर्द देने वाली लोजपा साथ हो गई। सिंबल भी दे दिया। मगर, इस बार कितनी सहानुभूति मिलेगी, यह कहना मुश्किल है। वीआइपी प्रत्याशी मुसाफिर पासवान कहते हैं, काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ सकती। पिछली बार टिकट कटा था तो लोजपा नेतृत्व को भला-बुरा कहा था। अब वीआइपी नेतृत्व को कह रही हैं।

समर्थकों ने तैयार की बगावत की जमीन

औराई के राजद विधायक डॉ. सुरेंद्र कुमार का भी यही दर्द है। यादव बहुल सीट होने के कारण पार्टी से सिंबल को लेकर बेफिक्र थे। मगर, गठबंधन के कारण सीट भाकपा माले के कोटे में चली गई। सीधे तौर पर पार्टी के निर्णय की खिलाफत तो डॉ. कुमार ने नहीं की। मगर, समर्थकों के बीच आए तो आपा खो बैठे। आंसू के साथ दर्द छलका तो समर्थकों ने बगावत की जमीन तैयार कर दी। वे निर्दलीय मैदान में उतरने को तैयार हैं। सोमवार को नामांकन दाखिल करेंगे। यहां भी सहानुभूति की आस है। मगर, यह कितना प्रभाव डालेगा यह समय के गर्त में है।  


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