Bihar Assembly Elections 2020 : मुजफ्फरपुर शहरवासियों की पीड़ा चुनाव के दौरान रोकेगी उम्मीदवारों की राह
Bihar Assembly Elections 2020 चैंबर ऑफ कॉमर्स और व्यवसायियों ने शहर की समस्याओं को बनाया चुनावी मुद्दा। शहर को रहने लायक नहीं बना सके जनप्रतिनिधि। जाम जलजमाव व जर्जर सड़कों से व्यवसाय चौपट। जाम की समस्या से शहरवासी त्रस्त हैं और वे इससे मुक्ति के लिए छटपटा रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Bihar Assembly Elections 2020 : शहर रहने लायक तो बने। सड़कें, गलियां व मोहल्ले साफ-सुथरे हों। लोग अपने गंतव्य तक बगैर जाम में फंसे पहुंच सकें। अपराधियों का भय न हो और शहरवासी चैन की नींद सो सकें। शहरवासियों ने वर्षों से ये उम्मीदें पाल रखी हैं। निकाय चुनाव हो या विधानसभा या फिर लोकसभा चुनाव, वे उम्मीदवारों के समक्ष अपने सपने पूरे करने की शर्त रखते आए हैं। लेकिन, शहर को समस्याओं से मुक्ति दिलाने का सपना दिखाकर कुर्सी पाने वाले नेताओं ने उनके सपने तोड़ दिए। एकबार फिर विधानसभा चुनाव में शहर की समस्याएं उम्मीदवारों की राह रोकेंगी।
मतदान के समय समस्याओं को याद रखें
नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं शहर के सभी छोटे-बड़े व्यवसायियों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया है। चैंबर के पदाधिकारियों ने व्यवसायियों के साथ-साथ आम मतदाताओं को आगाह किया है कि मतदान से पूर्व जनप्रतिनिधियों को विकास के तराजू पर तौलें और समस्याओं को याद रखें। संयुक्त मंत्री राजीव केजरीवाल कहते हैं कि मतदाता इस बार स्थानीय समस्याओं को उम्मीदवारों के समक्ष रखेंगे। वे इसे चुनावी मुद्दा बनाएंगे। जो शहर को रहने लायक बनाने की गारंटी लेगा, मतदाता उसके बारे में सोचेंगे। व्यवसायी शेखर कुमार कहते हैं कि व्यवसायी ही नहीं आम नागरिक भी जलजमाव, जर्जर सड़क व जाम की पीड़ा झेल रहे हैं। इन समस्याओं का कैसे हल होगा, इस बार चुनाव में उम्मीदवारों से बताने को कहेंगे।
उम्मीदवारों की राह में रोड़ा बन खड़ी होंगी ये समस्याएं
- जाम की समस्या से शहरवासी त्रस्त हैं और वे इससे मुक्ति के लिए छटपटा रहे हैं।
- सब्जी व फल मंडी में तब्दील हो चुकीं शहर की सड़कें, चौक-चौराहों पर भी खुली हैं दुकानें। अतिक्रमण से छटपटा रहा है शहर।
- नगर निगम पटना से अधिक टैक्स ले रहा रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं दे रहा है।
- करोड़ों खर्च के बाद भी निर्माणाधीन सिटी पार्क, इंदिरा पार्क व अन्य पार्क का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल रहा है।
- जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने से हर साल बरसात में शहर नदी में तब्दील हो जाता है।
- मोबाइल खोने पर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने में परेशानी होती है।
- शहर में बढ़ रहा है अपराध का ग्राफ, निशाने पर हैं व्यवसायी।
-आवारा पशुओं की मार से और मच्छरों के दंश से परेशान हैं शहरवासी।
-सड़क छाप मजनुओं से परेशानी, लड़कियों को स्कूल-कॉलेज भेजने से घबराते हैं अभिभावक।
-छोटे-छोटे बच्चे चलाते हैं मोटरसाइकिल और ऑटो, उनपर अंकुश नहीं।
-पाइप लाइन बिछाने के नाम पर काटी गईं सड़कों की मरम्मत नहीं की गई।