सिचाई व्यवस्था का मुद्दा भी चुनाव में पड़ेगा भारी
कृषि आधारित इस क्षेत्र में इस बार के चुनाव में सिचाई की व्यवस्था भी हावी है। किसान मतदाता इससे बहुत अधिक खुश नहीं हैं। जिसके कारण इसकी मांग भी उठ रही है। नहरों के पुनस्र्थापन के बाद भी अभी कई खेतों तक इसका पानी नहीं पहुंच पाता है।
रामनगर । कृषि आधारित इस क्षेत्र में इस बार के चुनाव में सिचाई की व्यवस्था भी हावी है। किसान मतदाता इससे बहुत अधिक खुश नहीं हैं। जिसके कारण इसकी मांग भी उठ रही है। नहरों के पुनस्र्थापन के बाद भी अभी कई खेतों तक इसका पानी नहीं पहुंच पाता है। वहीं क्षेत्र का विस्तार उत्तर की तरफ ऊंचा होने के कारण नहरों से इधर की सिचाई संभव नहीं है। इससे बड़े भूभाग की खेती प्रभावित होती है। हालांकि कुछ मोटर पंप आदि की व्यवस्था की गई है। पर, यह नाकाफी है। इससे कृषकों में नाराजगी है। जिसका खामियाजा प्रत्याशियों को इस चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। बता दें कि इस क्षेत्र से मुख्य रूप से त्रिवेणी नहर व दोन नहर गुजरती है। जिससे क्षेत्र के हजारों एकड़ कृषि भूमि का पटवन होता है। पर, इससे उत्तर क्षेत्र व दोन का भूभाग सिचित नहीं हो पाता है। जहां के सिचाई का काम भगवान के भरोसे हीं होता है।
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साफ सफाई व पुनस्र्थापना पर खर्च हुआ करोड़ों रुपये पर, किसानों को समुचित लाभ नहीं
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बीते कुछ सालों पहले नहरों के पुनस्र्थापना के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। पर, उसके बाद भी गहराई व साफ सफाई को लेकर किसानों में असंतोष है। किसानों की माने तो खेतों तक समुचित मात्रा में पानी नहीं पहुंच पाता है। वहीं नहरों से निकले छोटे-छोटे पइन भी अतिक्रमण की मार से खत्म हो चुके हैं। इसे कई लोगों ने अपने खेतों में मिला लिया है। जिससे इसका पानी कैनाल के आसपास हीं जमा रहता है। जिसका लाभ आगे के किसानों को नहीं मिल पाता है।
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ट्यूबवेल से भी विशेष लाभ नहीं
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कृषि कार्य को बढ़ावा देने के लिए सरकार के तरफ से बंद पड़े ट्यूबवेल को सही कराया गया है। कुछ स्थलों पर नए पंप भी लगाए गए हैं। पर, इसमें भी पेंच यह है कि कहीं बिजली की समस्या है तो, कहीं पानी सुचारू नहीं है। वहीं दोन क्षेत्र का काफी बड़ा भूभाग इससे भी वंचित है। जिससे पनवट की समस्या अधिक है।
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कहते हैं मतदाता
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पनवट सरकार वसूलने में देरी नहीं करती है। पर, किसानों के सिचाई व्यवस्था को दुरूस्त नहीं किया जाता है। यह कहना है सबेया निवासी लालबागू का। कहते हैं कि कभी समय से पानी नहीं तो कभी इतनी कम मात्रा में आता है कि सिचाई करना मुश्किल होता है। अबकी बार यह मुद्दा प्रमुख है। वहीं दोन के मंकेश्वर महतो का कहना है कि कितना भी विकास की बात की जाए। पर, इस क्षेत्र के किसानों की दशा नहीं सुधरने वाली है। आज भी भगवान के बारिश के सहारे हीं खेती होती है। इस तरफ जो ध्यान देगा। मतदान उसी को जाएगा।
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बयान : कई सारे कार्य क्षेत्र में कराए गएं हैं। सिचाई व कृषि के क्षेत्र में भी कार्य हुआ है। पइन की सफाई मनरेगा से कराई जा रही है। जो बाकी रह गया है। उसको प्राथमिकता सूची में रखा गया है। उसपर शीघ्र कार्य होगा।
भागीरथी देवी, विधायक