Bihar, Kaimur Assembly Election 2020: भाजपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, कैमूर जिले के चारों विधानसभा क्षेत्र भभुआ, चैनपुर, मोहनिया एवं रामगढ़ में है भाजपा
Bihar Kaimur Assembly Election 2020 2015 विधान सभा चुनाव में राजग महागठबंधन और बसपा की लड़ाई थी। बाजी जीती थी भाजपा ने। इस बार फिर रोमांच मुकाबले के आसार हैं। निर्दलीय भी मुकाबले को बना रहे रोचक। जानिए कैसे बागी बिगाड़ सकते हैं खेल ।
पटना, रविंद्र प्रिंस शुभम। Bihar Kaimur Assembly Election 2020: कैमूर जिले में चार विधानसभा क्षेत्र भभुआ, चैनपुर, मोहनिया एवं रामगढ़ हैं। चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। एक बार फिर मुकाबले में पुराने चेहरे मैदान में हैं। कुछ नए चेहरे भी हैं। वर्ष 2015 में भभुआ विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला था। जिसमें राजग, महागठबंधन और बसपा की लड़ाई थी। बाजी जीती थी भाजपा ने। इस बार फिर रोमांच मुकाबले के आसार हैं। राजग, महागठबंधन और रालोसपा के अतिरिक्त निर्दलीय भी मैदान में डटे हैं। यहां आज मतदान हो गया।
भभुआ में बागी बिगाड़ सकते हैं खेल
भभुआ विधानसभा सीट पर राजग से भाजपा की निवर्तमान विधायक रिंकी रानी पांडेय मैदान में हैं। यहां उनके पति आनंद भूषण 2015 में विधायक चुने गए। हालांकि 2017 में उनका निधन हो गया। इसके बाद 2018 में हुए उपचुनाव में पत्नी रिंकी रानी पांडेय भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीतीं।
यहां महागठबंधन से राजद के भरत बिंद चुनाव लड़ रहे हैं। वे बसपा में महासचिव, कार्यकारी जिलाध्यक्ष, प्रदेश सचिव, प्रदेश महासचिव के बाद प्रदेश अध्यक्ष भी रह। हाल ही में राजद में आए।
रालोसपा ने विरेंद्र कुशवाहा को मुकाबले में उतारा है। वे फिलहाल पार्टी के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष हैं।
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जदयू छोड़कर आए पूर्व विधायक डॉ. प्रमोद सिंह मैदान में हैं। जदयू के जिलाध्यक्ष रहते हुए टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वे वर्ष 2000, 2005 फरवरी व 2010 में विधायक रह चुके हैं। 2000 व 2005 में राजद व 2010 में लोजपा प्रत्याशी के रूप में चुने गए। वे 2015 में जदयू में आए। भभुआ सीट से चुनाव हार गए।
चैनपुर का समीकरण कर रहा बेचैन
जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट चैनपुर है। इसमें चैनपुर, चांद, अधौरा व भगवानपुर प्रखंड शामिल हैं। यहां वर्ष 2015 में भाजपा और बसपा की जोरदार टक्कर हुई थी। जिसमें भाजपा की जीत लगभग 600 वोट से हुई। इस बार भी दोनों चेहरे फिर मैदान में है। महागठबंधन भी चुनाव मैदान में है। इस बार आजाद समाज पार्टी व एक निर्दलीय उम्मीदवार के मैदान में आ जाने से यहां की लड़ाई काफी रोमांचक हो गई है। यहां वर्ष 2015 में भाजपा और बसपा दोनों को 58 हजार के आसपास वोट मिले थे।
वर्तमान विधायक व खनन मंत्री बृज किशोर बिंद एक बार फिर भाजपा के टिकट पर राजग प्रत्याशी हैं। वर्ष 2009 के उपचुनाव से ये लगातार 2015 तक चैनपुर के विधायक रहे हैं। वर्ष 2000 में इन्होंने भभुआ विधानसभा की सीट पर बसपा से चुनाव भी लड़ा। लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद चैनपुर से वर्ष 2005 में भाजपा से चुनाव पहली बार लड़े। लेकिन इसमें भी हार गए। लेकिन 2009 के उपचुनाव में इन्हें जीत मिली। तब से यह विधायक बन रहे हैं।
बसपा ने मो जमां खां को प्रत्याशी बनाया है। वे तीन बार चुनाव भी लड़े हैं। पिछले वर्ष 2015 में काफी कम मतों से उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी थी। एक बार कांग्रेस के टिकट पर भी उपचुनाव में भाग्य आजमा चुके हैं। लेकिन वर्ष 2015 तक उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी है।
महागठबंधन से कांग्रेस के प्रकाश सिंह मैदान में हैं। वर्तमान में ये कांग्रेस की प्रदेश किसान सेल के महासचिव भी हैं। वहीं निर्दलीय नीरज पांडेय के आने से मुकाबला कड़ा हो गया है। इस बार आजाद समाज पार्टी के दीवान अरशद हुसैन खां भी ताल ठोक रहे हैं। जिला परिषद के सदस्य रह चुके हैं। एक बार एक बार कांग्रेस के टिकट पर चैनपुर विधानसभा से उपचुनाव में भाग्य भी आजमा चुके हैं।
मोहनिया में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
मोहनियां सुरक्षित विधानसभा सीट से निरंजन राम को एक बार फिर भाजपा ने टिकट दिया है। ये वर्ष 2010 में मोहनियां से राजद की सीट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। इसके बाद वर्ष 2015 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीते। उधर राजद महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष संगीता कुमारी महागठबंधन की उम्मीदवार हैं। जिला परिषद सदस्य श्वेता सुमन रालोसपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं।
रामगढ़ में कड़ा होगा मुकाबला
रामगढ़ में वर्ष 2015 में में भाजपा और राजद के बीच टक्कर हुई। फैसला भाजपा के पक्ष में गया। इस बार यहां भाजपा, राजद और बसपा तीनों के बीच टक्कर माना जा रहा है। निवर्तमान विधायक अशोक सिंह भाजपा प्रत्याशी हंै। ये काफी दिनों तक जदयू जिलाध्यक्ष रहे। इसके बाद वर्ष 2015 में भाजपा की सीट पर विजयी हुए। मुकाबले में इस बार महागठबंधन से राजद के सुधाकर ङ्क्षसह को मैदान में उतारा है। वे छह बार यहां के विधायक रह चुके जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। एक बार रामगढ़ विधानसभा से भाजपा से चुनाव भी लड़े थे। वहीं बसपा ने पूर्व विधायक अंबिका सिंह पर भरोसा जताया है। ये वर्ष 2009 के उपचुनाव और 2010 में राजद के टिकट पर विधायक चुने गए।