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Bihar, Jahanabad Election 2020: यहां 38 वर्षों बाद टूटा एक परिवार का एकाधिकार, इसबार फिर चुनौती

जहानाबाद घोसी विधानसभा राज्य की चर्चित सीटों में से एक है। यहां एक ही परिवार का 38 वर्षों तक कब्जा रहा। जगदीश शर्मा लगातार आठ बार विधायक चुने गए। इसके बाद उनकी पत्नी और पुत्र यहां से निर्वाचित हुए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 04:06 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 04:06 PM (IST)
Bihar, Jahanabad Election 2020: यहां 38 वर्षों बाद टूटा एक परिवार का एकाधिकार, इसबार फिर चुनौती
घोसी विधानसभा बिहार की चर्चित सीटों में से एक है।

मदन शर्मा, जहानाबाद। घोसी विधानसभा राज्य की चर्चित सीटों में से एक है। यहां एक ही परिवार का 38 वर्षों तक कब्जा रहा। जगदीश शर्मा लगातार आठ बार विधायक चुने गए। इसके बाद उनकी पत्नी और पुत्र यहां से निर्वाचित हुए। पिछले चुनाव में 2015 में इस परिवार का एकाधिकार टूटा जब जदयू के कृष्णनंदन वर्मा ने जीत हासिल की। इस बार एनडीए के जदयू प्रत्याशी राहुल कुमार, महागठबंधन के माले प्रत्याशी रामबली सिंह यादव समेत 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 

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अब तक विधायक

1952 रामचंद्र यादव

1962 मिथलेश्वर प्रसाद सिंह

1967 रामाश्रय प्रसाद सिंह 

1969 कौशलेंद्र प्रताप नारायण सिंह

1972 रामाश्रय प्रसाद सिंह

1977 जगदीश शर्मा

1980 जगदीश शर्मा

1985 जगदीश शर्मा

1990 जगदीश शर्मा

1995 जगदीश शर्मा

2000 जगदीश शर्मा

2005 फरवरी जगदीश शर्मा

2005 अक्टूबर जगदीश शर्मा

2009 उपचुनाव शांति शर्मा

2010 राहुल कुमार

2015 कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा

लगातार आठ बार जीते जगदीश शर्मा

1977 में जनता पार्टी के टिकट पर जगदीश शर्मा यहां से विधायक चुने गए। जेपी लहर में डॉ जगदीश शर्मा जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे और उन्होंने रामाश्रय प्रसाद सिंह को पराजित किया। जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले डॉ जगदीश शर्मा को क्षेत्र के सभी लोग पहचानते भी नहीं थे। फिर भी उनपर लोगों ने भरोसा किया। तो वर्ष 1980 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले जगदीश शर्मा को फिर विधानसभा में भेज दिया। 1985, 1990 और 1995 में वे कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और सफलता मिली। वर्ष 2000 और 2005 के फरवरी में वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े। तब भी जनता का समर्थन उन्हें मिला। 2005 अक्टूबर के चुनाव में वे जदयू प्रत्याशी के रूप में  विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2009 में वे सांसद बन गए। इसके बाद मध्यावधि चुनाव हुआ जिसमें उनकी पत्नी शांति शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत गईं। उनके पुत्र राहुल कुमार 2010 के चुनाव में जदयू प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे और सफलता हासिल किए। हालांकि 2015 के चुनाव में वे हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। 

रामचंद्र यादव थे पहले विधायक

वर्ष 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में रामचंद्र यादव विधायक चुने गए थे। वर्ष 1962 में कांग्रेस के मिथिलेश्वर प्रसाद सिंह को जनता ने चुना तो 1967 में भाकपा के रामाश्रय प्रसाद सिंह जीते। हालांकि वर्ष 1969 में रामाश्रय प्रसाद सिंह को कांग्रेस के कौशलेंद्र नारायण सिंह ने पराजित कर दिया। वर्ष 1972 में फिर भाकपा के टिकट पर रामाश्रय प्रसाद सिंह चुनाव लड़े और जीते भी। 


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