जेएनएन, गोपालगंज। जिला, लोकसभा और विधानसभा तीनों का नाम गोपालगंज है। इस बार यहां से कुल 22 प्रत्याशी मैदान में हैं। साल 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कमला राय विधायक बने थे। 2015 में हुए चुनाव में भाजपा के सुबाष सिंह तथा राजद के रेयाजुल हक राजू के बीच सीधा मुकाबला हुआ था। पिछले तीन चुनावों से यहां भाजपा के सुभाष सिंह जीतते आ रहे हैं। उनका सीधा मुकाबला राजद के रेयाजुल हक राजू से होता रहा है। इस चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर अपने विधायक पर भरोसा जताया है। लेकिन उनके सामने इसबार प्रतिद्वंद्वी बदल गए हैं। महागठबंधन से यह सीट इस बार कांग्रेस के पाले में गई है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के नाती आसिफ गफूर को पंजा थमाया है। वहीं लालू प्रसाद यादव के साले पूर्व सांसद अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव बसपा की टिकट पर लड़ रहे हैं।
3 लाख 24 हजार वोटर करेंगे 22 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या तीन लाख 24 हजार 605 है। इनमें पुरुष 1 लाख 63 हजार 476 जबकि महिला वोटरों की संख्या 1 लाख 61 हजार 129 है। इन्हीं के हाथों में 22 प्रत्याशियों का भाग्य है।
प्रमुख प्रत्याशी
सुभाष सिंह - भाजपा
आसिफ गफूर - कांग्रेस
साधु यादव - बसपा
मुख्य मुद्दे
1. सड़क जाम- गोपालगंज शहर में जाम एक बड़ी समस्या है। शत्रुघ्न सिंह बताते हैं कि जाम से तो हर दिन हमलोगों का वास्ता पड़ता है। शायद ही कोई दिन होता है जब जाम नहीं लगता। भले शहर की मुख्य सड़कें चौड़ी हुईं। वाहनों की संख्या भी तो बढ़ती गईं। लेकिन, ट्रैफिक कंट्रोल की व्यवस्था दशकों पुरानी बनी हुई है।
2. रोजगार- क्षेत्र में कल-कारखाने की कमी भी एक बड़ी समस्या है। मो नईम कहते हैं कि पूरे विधानसभा क्षेत्र में एक चीनी मिल है। इसके अलावा कोई ऐसा उद्योग नहीं है जिसमें लोगों को काम मिल सके। मजबूरी में पलायन करना पड़ता है। हर साल काफी संख्या में युवक खाड़ी देशों को रुख करते हैं।
3. खेतों तक नहीं पहुंचा पानी- चीनी मिल होने से गन्ना किसानोंं को कुछ राहत तो है लेकिन सिंचाई के सरकारी संसाधन रामभरोसे हैं। किसान सुखदेव सिंह बताते हैं कि कहने को तो नहरों का जाल बिछा है। लेकिन समय पर पानी नहीं मिल पाता है। अधिकांश सरकारी नलकूप खराब पड़े हैं।
4. बाढ़ व कटाव से परेशानी- इस विधानसभा क्षेत्र के दियारा इलाके में गंडक नदी में हर साल आने वाली बाढ़ तथा कटाव एक बड़ी समस्या बनी हुई है। हर साल निचले इलाके के लोग विस्थापित हो जाते हैं।
5. दो रेलखंड का लाभ नहीं- इस विधानसभा क्षेत्र से दो रेलखंड के गुजरने के बाद भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। दोनों रेलखंड पर लंबी दूरी की नियमित ट्रेनोंं का परिचालन नहीं होने से ट्रेन पकडऩे के लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ता है।
अब तक ये रहे विधायक
वर्ष विजेता उपविजेता
1952 कमला राय (कांग्रेस) हरिशंकर सिंह (सोशलिस्ट पार्टी)
1957 कमला राय (कांग्रेस) हरिशंकर सिंह (सोशलिस्ट पार्टी)
1961 सत्येंद्र नारायण सिंह (कांग्रेस) हरिशंकर सिंह (सोशलिस्ट पार्टी) - उप चुनाव
1962 अब्दुल गफूर (कांग्रेस) हरिशंकर सिंह (सोशलिस्ट पार्टी)
1967 हरिशंकर हरिशंकर सिंह (सोशलिस्ट पार्टी) कमला प्रसाद सिंह (जनसंघ)
1971 रामदुलारी सिन्हा (कांग्रेस) कमला प्रसाद सिंह (जनसंघ) - उप चुनाव
1972 रामदुलारी सिन्हा (कांग्रेस) नागेश्वर सिंह (संगठन कांग्रेस)
1977 राधिका देवी (जनता पार्टी) काली प्रसाद पाण्डेय (निर्दलीय)
1980 काली प्रसाद पाण्डेय (निर्दलीय) जगत नारायण ङ्क्षसह (कांग्रेस)
1985 सुरेंद्र सिंह (निर्दलीय) अंबिका प्रसाद यादव (दमकिपा)
1990 सुरेंद्र सिंह (जनता दल) अंबिका प्रसाद यादव (निर्दलीय)
1995 रामावतार (जनता दल) पुतुल देवी (कांग्रेस)
2000 अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव (राजद) सुभाष सिंह (बिपिपा)
2005 फरवरी रेयाजुल हक राजू (बसपा) सुभाष सिंह (भाजपा)
2005 अक्टूबर सुबाष सिंह (भाजपा) रेयाजुल हक राजू (राजद)
2010 सुबाष सिंह (भाजपा) रेयाजुल हक राजू (राजद)
2015 सुबाष सिंह (भाजपा) रेयाजुल हक राजू (राजद)
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