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Bihar Election 2020: इस बार प्रवासी बिहारी बना-बिगाड़ सकते हैं खेल, 16 लाख से अधिक बने वोटर

Bihar Assembly Election 2020 इस बार के चुनाव में प्रवासी बिहारियों के वोट मायने रखते हैं। करीब 67 लाख नए मतदाताओं में प्रवासियों की संख्या 16 लाख 24 हजार है। यह संख्‍या खेल को बना या बिगाड़ सकती है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:54 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 11:27 AM (IST)
लॉकडाउन के दौरान घर लौटते प्रवासी बिहारी श्रमिक। फाइल तस्‍वीर।

पटना, जयशंकर बिहारी/ दीनानाथ साहनी। Bihar Assembly Election 2020: कोरोना (CoronaVirus) के कारण घर लौटे 'प्रवासी बिहारी' (Migrant Biharis) इस चुनाव में बड़े गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। इस बार बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के नाम मतदाता सूची में जोड़े गए हैं, ऐसे में कम अंतर वाली सीटों पर प्रवासियों का वोट जीत-हार तय कर सकता है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार करीब 67 लाख नए मतदाता बने हैं, जिनमें प्रवासियों की संख्या 16 लाख 24 हजार है। इनके अंदर बेरोजगार होने और मुश्किल हालात में कर्मभूमि से विस्थापित होने का दर्द बरकरार है। हालांकि, इनमें से कुछ को घर में भी रोजगार मिल चुका है, किंतु कई को फिर लौटकर जाना पड़ा है। बिहार में एक ट्रेंड और देखा जाता है कि चुनाव के समय प्रवासी लोग अपने-अपने गांव लौटकर आते हैं। मनपसंद प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालते हैं। ऐसे में 2.22 फीसद प्रवासियों का रुझान परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

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'परदेसियों' को रिझाने की कोशिश

प्रवासी मतदाताओं की संख्या को देखते हुए तमाम राजनीतिक दलों के दिग्गज और चुनाव विश्लेषक हालात की समीक्षा में जुटे हैं। प्रवासियों का मनोभाव पढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। माना जा रहा कि लॉकडाउन की पीड़ा झेल कर लौटे मतदाता कई सीटों पर जीत-हार का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में उन्हें रिझाने, समझाने और मनाने का दौर जारी है। उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण देने के साथ-साथ रोजगार मुहैया कराने का वादे-इरादे किए जा रहे हैं। चूंकि दूसरे प्रदेशों से लौटे बिहारी मतदाताओं में ज्यादातर पिछड़े और निम्न मध्यम वर्ग के हैं। अमूमन यह वर्ग मतदान को लेकर सबसे अधिक जागरूक होता है, इसलिए हर दल को डर सता रहा है कि ये मतदाता कहीं उनकी जीत का समीकरण न बिगाड़ दें।

पश्चिम चंपारण में सबसे ज्यादा प्रवासी वोटर

चुनाव आयोग के मुताबिक 25 सितंबर तक मतदाता सूची में सात करोड़ 29 लाख 75 हजार 565 मतदाता हैं। इनमें प्रवासियों की संख्या 16 लाख 24 हजार है। सबसे अधिक एक लाख नौ हजार 108 प्रवासी मतदाता पश्चिम चंपारण में हैं। जबकि, सबसे कम 10 हजार 557 प्रवासी मतदाता लखीसराय के हैं। जहानाबाद, अरवल, भागलपुर, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर और सारण में लौटे सभी प्रवासी मतदाता सूची में शामिल कर लिए गए हैं। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि 13 लाख 93 हजार 872 प्रवासी पहले से मतदाता सूची में शामिल थे। इसके अलावा दो लाख 30 हजार 812 प्रवासी को अभियान चलाकर मतदाता बनाया गया है।

दो जिलों में एक लाख से अधिक प्रवासी मतदाता

पूर्वी चंपारण और मधुबनी जिले में एक लाख से अधिक प्रवासी मतदाता हैं। मधुबनी में एक लाख छह हजार 605 प्रवासी मतदाता हैं। 50 हजार से अधिक मतदाता वाले 12 जिले हैं। इनमें अररिया, दरभंगा, गया, कटिहार, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, पूर्णिया, रोहतास, समस्तीपुर व सारण शामिल हैं। जहानाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, कैमूर, मुंगेर व शिवहर में 15 हजार से भी कम प्रवासी मतदाता हैं।

60 से अधिक सीटों पर आठ हजार से कम वोट में जीत-हार

2015 के विधान सभा चुनाव में 60 से अधिक सीटों पर हार-जीत का अंतर आठ हजार वोट से कम रहा है। इन सीटों पर प्रवासी मतदाता अहम भूमिका निभा सकते हैं। प्रवासी मजदूरों पर शोध कर रही तान्या शर्मा का कहना है कि कोरोना काल में प्रवासी काफी परेशानी झेलकर अपने घर लौटे हैं। इस बार उनका मतदान फीसद जरूर बढ़ेगा। राज्य में धान कटनी शुरू होने को है। दुर्गापूजा, दीपावली व छठ भी मतदान तिथि के आसपास है। यह मौसम प्रवासी के लौटने का है। सामान्य दिनों में भी अक्टूबर व नवंबर में सबसे कम पलायन होता है।  

जिला,                          प्रवासी      बने मतदाता

1. अररिया                    65,947    53,819

2. अरवल                    18,035    16,407

3. औरंगाबाद                42,209    36,824

4. बांका                       31,712    25,984

5. बेगुसराय                  43,041    34,948

6. भागलपुर                  49,170    44,190

7. भोजपुर                    47,883    39,990

8. बक्सर                      39,890    34,733

9. दरभंगा                     84,831    81,845

10. गया                       82,310    70,968

11. गोपालगंज               32,565    27,125

12. जमुई                     22,609    18,799

13. जहानाबाद              13,279    11,697

14. कैमूर                     16,232    13,506

15. कटिहार                 97,820    90,697

16. खगडिय़ा                47,372    46,366

17. किशनगंज              40,348    36,205

18. लखीसराय              14,109   10,557

19. मधेपुरा                  45,561    33,836

20. मधुबनी                  1,16,718   1,06,605

21. मुंगेर                     17,746    12,750

22. मुजफ्फरपुर            62,758   57,732

23. नालंदा                   45,302   40,882

24. नवादा                   47,485    28,713

25. पश्चिम चंपारण         88,577   82,641

26. पटना                    26,560   24,461

27. पूर्वी चंपारण            1,17,088   1,09,108

28. पूर्णिया                   77,983   65,141

29. रोहतास                  64,832   51,408

30. सहरसा                  46,870   34,974

31. समस्तीपुर               75,619   54,044

32. सारण                     67,674   61,513

33. शेखपुरा                  11,466  10,833

34. शिवहर                  17,254   14,925

35. सीतामढ़ी                37,051   27,180

36. सिवान                   40,213    34,181

37. सुपौल                    55,046   46,331

38. वैशाली                   36,302    32,766

(स्रोत : चुनाव आयोग)

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