Gobindpur Election 2020: दशकों से एक ही परिवार के कब्जे में रही है नवादा जिले की गोविंदपुर सीट
Gobindpur Election News 2020 नवादा जिले की गोविंदपुर विधानसभा सीट दशकों से एक ही परिवार के कब्जे में रही है। इस परिवार के चार सदस्य अलग-अलग दल से यहां विधायक चुने जाते रहे हैं। मौजूदा विधायक पूर्णिमा यादव को राजद के मो. कामरान चुनौती दे रहे हैं।
जेएनएन, नवादा। Gobindpur Election News 2020 : गोविंदपुर विधानसभा सीट बिहार के 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह नवादा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। यह क्षेत्र नवादा जिले में है। पहाड़ों व जंगलों से आच्छादित बिहार- झारखण्ड सीमा पर स्थित यह क्षेत्र जेपी व विनोबा भावे की कर्मभूमि रह चुका है। कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो एक ही परिवार के चार सदस्य दशकों से यहां से चुने जाते रहे हैं। 2015 के चुनाव में कांग्रेस की पूर्णिमा यादव यहां से विधायक चुनी गईं थीं। 1969 में युगल किशोर सिंह यादव लोकतांत्रिक कांग्रेस से विजयी हुए थे। पूर्णिमा यादव उनकी पुत्रवधू हैं। उनके पति कौशल यादव भी उनसे पहले विधायक रह चुके हैं।
प्रमुख प्रत्याशी
1. पूर्णिमा यादव, जदयू
2. मो. कामरान, राजद
3. रंजीत यादव, लोजपा
प्रमुख मुद्दे
1. पर्यटन - ककोलत व सोखोदेवरा के विकास के लिए कोई खास काम नहीं हो सका है। ककोलत में कुछ दिखता भी है तो सोखोदेवरा में वह भी नहीं।
2. सिंचाई - 1977 के दशक में गोविंदपुर प्रखंड क्षेत्र में कोलमहादेव व पुरैनी के साथ कौआकोल में जलाशयों का निर्माण कराया गया, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल सका। जंगली व पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण भूगर्भीय जलस्रोतों से सिंचाई संभव नहीं है। ऐसे में यहां की कृषि भगवान भरोसे है। कभी 52 गांवों को सिंचाई की सुविधा देने वाले रोह प्रखंड क्षेत्र के रजाइन पैन की उङाही के लिए आज भी किसानों को आन्दोलन करना पङ रहा है ।
3. स्वास्थ्य - कौआकोल का रेफरल अस्पताल हो या फिर अन्य क्षेत्रों का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। दस बजे लेट नहीं, बारह बजे भेंट नहीं कि कहावत चरितार्थ होती है। यही कारण है कि कौआकोल प्रखंड क्षेत्र में प्रतिवर्ष दर्जनों लोगों की मौत मलेरिया बीमारी से हो जाती है । गंभीर रूप से जख्मी हो या बीमार तो मौत निश्चित है।
4. शिक्षा - उच्च शिक्षा की बात है तो कौआकोल प्रखंड क्षेत्र के पांडेय गंगौट में स्थापित वारसी डिग्री महाविद्यालय है। यह भी मान्यता प्राप्त है। इसे अगर अपवाद माना जाए तो रोह व गोविंदपुर में एक भी महाविद्यालय नहीं है।
5. उद्योग - 77 के दशक में कौआकोल में बांस की खेती को देखते हुए कागज कारखाना खोलने की घोषणा बिहार सरकार ने की थी। जनता पार्टी की सरकार के जाने के बाद तक बेरोजगार नौजवानों को आश्वासन का घूंट पिलाया जाता रहा, लेकिन अब तो कोई चर्चा तक नहीं करता।
6. रोड - बिहार- झारखंड को जोडऩे वाली दर्शन- मंझवे पथ की हालत जर्जर है। इसके राजमार्ग बनने में अङचने डाली जा रही हैं। परिणाम है कि अति महत्वपूर्ण पथ होने के बावजूद उक्त पथ पर बङी यात्री बसों का चलना ठप है। कमोवेश यही स्थिति बरेब-गोविंदपुर पथ की है। रोह इलाके की कई सड़कें चलने लायक नहीं हैं।
वर्ष - कौन जीता - कौन हारा
2015 - पूर्णिमा यादव, कांग्रेस - फूला देवी, बीजेपी
2010 - कौशल यादव, जदयू - प्रो. केबी प्रसाद, एलजेपी