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Bihar Chunav 2020: नए वोट हासिल करने की आस में जदयू की नई रणनीति, क्या निशाने पर लगेगा तीर

Bihar Chunav 2020 जीरादेई में जदयू ने कमला कुशवाहा को मैदान में उतारा है। जदयू ने यहां अपने विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को बेटिकट कर दिया। यहां 2015 में जदयू की जीत का मार्जिन 4.55 प्रतिशत था। रघुनाथपुर में राजेश्वर चौहान जदयू के नए प्रत्याशी हैैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 12:49 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 12:49 PM (IST)
Bihar Chunav 2020: नए वोट हासिल करने की आस में जदयू की नई रणनीति, क्या निशाने पर लगेगा तीर
सत्ता में वापसी के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नई-नई रणनीति बना रहे हैं।

पटना [ भुवनेश्वर वात्स्यायन ]। Bihar Chunav 2020 जदयू के 15 नए प्रत्याशी 2015 की हार-जीत और उसके बाद गठबंधन बदलने के बाद बदल गए समीकरण के आधार पर गुणा-भाग के बाद मैदान में उतारे गए हैं। कोशिश यह हुई है कि आधार वोट तो अपने पास रहे ही, प्रत्याशी बदलने पर कुछ नए वोट भी हासिल हो जाएं।  हालांकि यह रणनीति कितनी सफल होगी यह तो 10 नवंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। 

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नालंदा जदयू का गढ़

जदयू के गढ़ के रूप में जाने वाले नालंदा जिले में राजगीर विधानसभा क्षेत्र की स्थिति यह थी कि लगातार उस सीट से भाजपा की टिकट पर जीतने वाले सत्यदेव नारायण आर्या जदयू के रवि ज्योति से चुनाव हार गए थे। रवि ज्योति का नालंदा से यह वास्ता था कि वह राजगीर में पुलिस निरीक्षक के रूप में काम कर चुके थे। सत्यदेव नारायण आर्या मात्र 3.66 प्रतिशत मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। 62,009 वोट रवि ज्योति को मिला था और सत्यदेव नारायण आर्य ने 56,619 वोट हासिल किया था। इस बार जदयू ने रवि ज्योति को बेटिकट कर सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर को अपना प्रत्याशी बना दिया। एनडीए प्रत्याशी का समीकरण यह है कि जदयू के अपने वोट के साथ-साथ एसएन आर्या के पारंपरिक व भाजपा का कैडर वोट उनके साथ है।

परबत्ता में 17.72 प्रतिशत का था हार-जीत का अंतर

खगडिय़ा के परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में भी फैमिली फैक्टर है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू की टिकट पर आरएन सिंह मैदान में थे। उनकी जगह इस बार उनके पुत्र डॉ संजीव कुमार जदयू की टिकट पर हैैं। 2015 में जदयू के सामने भाजपा प्रत्याशी रामानुज चौधरी मैदान में थे। आरएन सिंह की जीत 17.72 प्रतिशत मतों के अंतर से हुई थी। पुराने प्रत्याशी के खिलाफ कोई शिकायत होगी, तो उसे नए प्रत्याशी के नाम पर दूर कर दिया जा रहा। आधार वोट तो है ही। खगडिय़ा के अलौली को लोजपा की पारंपरिक सीट के रूप में जाना जाता है। पर 2015 में लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस 18.41 प्रतिशत मतों के अंतर से हार गए थे। तब राजद के चंदन कुमार जीते थे। इस बार जदयू ने साधना सदा को वहां से अपना प्रत्याशी बनाया है। जदयू की कोशिश है कि जो लोग यहां पारस से नाराज थे, वह जदयू के साथ रहें।

गठबंधन से बदल गया समीकरण

साहेबपुर कमाल में इस बार एनडीए और महागठबंधन दोनों के प्रत्याशी नए हैैं। 2015 में राजद के श्रीनारायण यादव को 34.19 प्रतिशत मतों से जीत मिली थी। तब नीतीश कुमार और कांग्रेस फैक्टर भी उनके साथ था। श्रीनारायण यादव के नहीं रहने पर उनके पुत्र सम्बुद इस बार महागठबंधन की टिकट पर मैदान में हैं, वहीं जदयू की टिकट पर शशिकांत कुमार शशि मैदान में है। 34.19 प्रतिशत के इस अंतर के आधार पर जदयू ने अपनी चुनावी रणनीति बनाई है। इसे ही आगे बढ़ाया जा रहा है।

10 फीसद से भी कम वोट से जीते उम्मीदवारों को बदला गया है

जीरादेई में जदयू ने कमला कुशवाहा को मैदान में उतारा है। जदयू ने यहां अपने विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को बेटिकट कर दिया। यहां 2015 में जदयू की जीत का मार्जिन 4.55 प्रतिशत था। रघुनाथपुर में राजेश्वर चौहान जदयू के नए प्रत्याशी हैैं। वहां पिछली बार राजद ने 7.52 प्रतिशत मार्जिन से चुनाव जीता था।  एकमा में सीता सिंह मैदान में हैं। वहां पिछली बार जदयू को 6.03 प्रतिशत से जीत हासिल हुई थी। फूलपरास से भी जदयू ने अपने विधायक गुलजार देवी को बेटिकट कर शीला मंडल को पहली बार मैदान में उतारा है। यहां 2015 में 8.78 प्रतिशत के मार्जिन से जदयू को जीत मिली थी।


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