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Asthawan Election 2020: अस्थावां में त्रिकोणात्मक संघर्ष, आसान नहीं है जदयू की राह, 51 फीसद हुआ मतदान

Asthawan Election News 2020 बिहारशरीफ जिले की अस्‍थावां सीट पर जदयू और राजद के बीच मुकाबले का पेंच लोजपा ने फंसा दिया है। लोजपा को यहां अच्‍छे-खासे वोट मिलते रहे हैं। ये वोट जदयू उम्‍मीदवार के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं।

By Shubh NpathakEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 01:28 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 09:08 PM (IST)
अस्‍थावां विधानसभा क्षेत्र से जदयू के जितेंद्र कुमार और राजद के अनिल कुमार 'महाराज' की तस्‍वीर ।

जेएनएन, नालंदा। अस्थावां विधानसभा क्षेत्र में बीते दो चुनाव से लोजपा अलग-अलग गठबंधनों में शामिल होकर चुनाव लड़ती आई है। जीत जद यू की हुई, पर निकटतम प्रतिद्वंद्वी लोजपा ही रही। इस बार भी लोजपा ने एनडीए से अलग होकर प्रत्याशी उतारा है। जदयू ने लगातार चार चुनाव से जीतते आ रहे विधायक जितेंद्र कुमार को फिर से मैदान में उतारा है। महागठबंधन में यह सीट राजद के हिस्से आई है। राजद ने अनिल कुमार 'महाराज' को प्रत्याशी बनाया है। अनिल जद यू के पुराने बागी हैं। लोजपा प्रत्याशी ई. रमेश कुमार लड़ाई को त्रिकोणीय बनाते दिख रहे हैं। ऐसा हुआ तो जद यू के लिए जीत की राह कठिन हो सकती है। क्योंकि अब तक जद यू सीधी लड़ाई में ही चुनाव जीतते आई है। जद यू के लिए दूसरी मुसीबत एक मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी व जद यू कार्यकर्ताओं के एक धड़े की नाराजगी भी हैं। इस सीट से कुल 19 प्रत्‍याशी मैदान में हैं। इस बार यहां 51.01 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।

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प्रमुख प्रत्‍याशी

डॉ. जितेंद्र कुमार : जदयू

अनिल कुमार : राजद

ई. रमेश कुमार : लोजपा

प्रमुख तथ्‍य

कुल वोटर: 2,89,991

पुरुष: 1,55,107

महिला : 1,34,875

ट्रांसजेंडर : 9

मतदान केंद्र : 293

सहायक मतदान केंद्र : 129

वर्ष - कौन जीता - कौन हारा

2015 - डॉ जितेंद्र, जदयू - छोटेलाल यादव, लोजपा

2010 - डॉ जितेंद्र, जदयू - कपिलदेव प्रसाद, लोजपा

2005 - डॉ जितेंद्र, जदयू - डॉ. पुष्पंजय, आइएनडी

प्रमुख मुद्दे

1. अस्थावां बने अनुमंडल - जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से 25 किमी दूर राजगीर और 35 किमी दूर हिलसा को अनुमंडल बना दिया गया परंतु 15 से 30 किमी दूरी के दायरे में बसे अस्थावां को अब तक यह दर्जा नहीं मिल सका। यहां के बाशिंदों का तर्क है कि बिहारशरीफ के पश्चिम हिलसा व दक्षिण राजगीर को न्याय मिल गया परंतु पूर्वी हिस्सा अस्थावां अब तक उपेक्षित है। बीते 15 साल से हर लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अस्थावां को अनुमंडल व ओइयाव को प्रखंड का दर्जा दिलाना मुद्दा बनता रहा है। 2006 से अनुमंडल बनाओ संघर्ष समिति समय-समय पर आंदोलन करती रही है। समिति के सदस्य आज भी प्रयत्नशील हैं। अपनी मांग के पक्ष में इनके पास कई मजबूत तर्क भी हैं। परंतु अब तक किसी विधायक या सांसद ने लोगों की इस मांग को पूरा कराने की पहल नहीं की। संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि शासन-सत्ता से आमजन की दूरी यहां पिछड़ेपन की प्रमुख वजह बनी हुई है। ओईयाव, नोआवां, उगवां एवं अस्थावां से लोगों को कोर्ट-कचहरी का काम निपटाने के लिए पंद्रह से तीस किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय बिहारशरीफ आना पड़ता है। यह इलाका 90 व 2000 के दशक में बदमाशों के चंगुल में रहा था। कई गिरोह सक्रिय थे। इसी कारण लोगों की सुरक्षा के लिए ओइयाव में पुलिस कैंप खोला गया था। क्षेत्रफल के हिसाब से अस्थावां विधानसभा लगभग 40 किलोमीटर दायरे में फैला है। नालंदा लोकसभा क्षेत्र की सातों सीट में सबसे बड़ा क्षेत्र इसी विधानसभा का है। फिर भी अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल रहा, वहीं ओइयाव को प्रखंड बना दिया जाए तो दर्जनों गांवों के लोगों का शासन से संवाद बेहतर हो जाएगा।

2. सड़क - अस्थावां विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांव का प्रमुख मुद्दा सड़क है। इस विस क्षेत्र में सरमेरा, ङ्क्षबद, अस्थावां व कतरीसराय प्रखंड आते हैं। इन प्रखंडों में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जो प्रखंड मुख्यालय से पक्की सड़क से नहीं जुड़ सके हैं। कच्ची राह से ही दूसरे गांव या मुख्य सड़क तक आ पाते हैं। कहीं सड़क आधी-अधूरी छोड़ दी गई तो कहीं बनते के साथ टूट गईं। उदाहरण के तौर पर अस्थावां प्रखंड मुख्यालय से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक गांव देशना है। प्रखंड मुख्यालय से गांव को जोडऩे वाली मुख्य सड़क चलने लायक नहीं है। गांव में प्रवेश करते सड़क पर नाले का पानी पसरा नजर आता है। बीते तीन साल से यह सड़क ठप पड़ी है। जिससे लगभग 300 घर के लोग प्रभावित हैं। इसी तरह एनएच 82 से सारे पंचायत के बहादुरपुर गांव को जोडऩे वाली सड़क आधी-अधूरी बनी है। जो हिस्सा बना है, उसमें दरारें पड़ गई हैं। इससे गांव के 284 घरों के लोग प्रभावित हैं। वहीं मुर्गियाचक पंचायत के बेदौली गांव जाने के लिए तीन रास्तों में किसी की भी हालत ठीक नहीं है।

3. सिंचाई - अस्थावां विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य आधार खेती है। खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था सबसे जरूरी है। सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने इस जरूरत को समझा और सिंचाई के लिए नवादा जिले के पौर से बरहगैन तक नहर बनवाई। जिससे कतरीसराय, अस्थावां व ङ्क्षबद के किसानों को फायदा मिलता था। यह नहर 35 साल से सूखी पड़ी है। एक तो स्थानीय दबंगों ने जगह-जगह नहर का अतिक्रमण कर लिया है। दूसरे विभागीय अफसर भी उपेक्षा करते हैं। हद तो तब हो गई, जब विधायक फंड से ही मुर्गियाचक गांव में नहर का अतिक्रमण कर उस पर पुल बना दिया गया। यह भी इस बार क्षेत्र का बड़ा मुद्दा है।

4. एक भी कॉलेज न होने की टीस - क्षेत्र में प्रतिभा की कमी नहीं है। यहां के छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाते रहे हैं। लेकिन बदकिस्मती से अस्थावां, बिंद व सरमेरा में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। जिससे यहां के हजारों बेटे-बेटियां प्लस टू के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। क्षेत्र के युवाओं में एक अदद कॉलेज नहीं होने की टीस स्पष्ट दिखती है।

5. स्टेडियम है पुरानी चाह - अस्थावां में स्टेडियम बनाने की मांग वर्षों से हो रही है। हर चुनाव में वादे तो किए जाते हैं लेकिन पूरे  नहीं हुए। सरमेरा में हर साल राज्य स्तर की दंगल प्रतियोगिता होती है। परन्तु इसके लिए सुविधायुक्त स्थान का अभाव है।


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