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Bihar Assembly Elections 2020: दिग्गजों ने कोसने के सिलसिले पर लगाया ब्रेक, ताख पर तल्खी, केंद्र में वादे-इरादे

Bihar Assembly Elections 2020 महागठबंधन और राजग दोनों के दिग्गजों के अंदाज का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि बयानों में अब तल्खी ताख पर है। अपने संबोधन में नेता वादे-इरादे पर ज्यादा बोल रहे एक-दूसरे को कम कोस रहे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 06:50 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: दिग्गजों ने कोसने के सिलसिले पर लगाया ब्रेक, ताख पर तल्खी, केंद्र में वादे-इरादे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव। जागरण आर्काइव।

दीनानाथ साहनी, पटना। महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) यानी दोनों के दिग्गजों के अंदाज का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि तल्खी अब ताख पर है। अपने संबोधन में नेता वादे-इरादे पर ज्यादा बोल रहे, एक-दूसरे को कम कोस रहे। एक बार फिर नीतीश कुमार राजग के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। वे अपने भाषणों में काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं। अपने सात निश्चय-2 से हर खेत को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराने और रोजी-रोजगार के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षण दिलाने की बात कर रहे हैं, ताकि लोगों को मजबूरी में पलायन नहीं करना पड़े। उद्यमिता के लिए युवाओं को सात फीसद ब्याज पर ऋण भी उपलब्ध कराने की चर्चा कर रहे हैं। नीतीश का मुख्य फोकस इन्हीं बिंदुओं पर है। वे अगर राजद पर आक्रमण कर रहे तो अपने काम की तुलना करते हुए।

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जेपी नड्डा ने सरकार के कामों पर दी तरजीह

भाजपा का प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फोकस है। उसके होर्डिंग्स में भी मोदी की सौम्य छवि को जन आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। चुनाव की तिथियों के एलान के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई वर्चुअल रैलियां हुईं। उस दौरान उन्होंने बिहार को कई सौगातें दीं। इसी सप्ताह गया की अपनी एक्चुअल रैली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने भाषण को केंद्र सरकार द्वारा बिहार को दी जा रही तरजीह पर केंद्रित रखा। उन्होंने नीतीश कुमार के कार्यों की भी तारीफ की, लेकिन सीमा लांघ कर विपक्ष की खिंचाई कतई नहीं। अलबत्ता उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी राजद पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।

तेजस्वी बता रहे वादे-इरादे

महागठबंधन का चुनाव प्रचार भी रफ्तार पकड़ चुका है। उस खेमे में मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार तेजस्वी यादव अपने भाषणों में भाजपा-जदयू पर हमलावर तो हैं, मगर अपने वादे-इरादे भी खूब बता रहे। वह जनता से काम करने का एक मौका मांग रहे हैं और दस लाख नौकरियों के साथ शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार का वादा कर रहे। पिता लालू प्रसाद के अंदाज में वे आरक्षण से जुड़े सवालों को भी उठा रहे। 

मगर नहीं बढ़ रही जुबानी तल्खी...

ग्रैंड यूनाइटेड सेक्युलर फ्रंट ने रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है। कभी कुशवाहा का अंदाज बेहद आक्रामक हुआ करता था, लेकिन इन दिनों वे संतुलित बातें कर रहे। जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव अपने भाषणों में नीतीश सरकार की कमियों को बेशक गिनाते है, लेकिन एक हद से परे जाकर जुबानी तल्खी नहीं बढ़ रही। इसकी वजह भी है। सभी का दावा चुनाव में जीतने और बिहार में सरकार बनाने का है, जबकि सरकार से कोई अभद्र-असभ्य आचरण की उम्मीद कतई नहीं कर सकता।  


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