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Bihar Assembly Elections 2020: गंगा के आंगन में यहां अंगराई लेती रही है सियासी धारा

कोसी क्षेत्र में गंगा व महानंदा के आंचल में भी सियासी धारा अब अंगराई लेने लगी है। तय सामाजिक समीकरणों के भंवर से निकलने की चाहत अब बढऩे लगी है। यह राजग के साथ महागठबंधन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 09:04 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 09:04 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: गंगा के आंगन में यहां अंगराई लेती रही है सियासी धारा
कटिहार में इस बार भारी बारिश के कारण नदी में बाढ

कटिहार [प्रकाश वत्स]। अररिया के रानीगंज से मनिहारी गंगा स्नान को पहुंचे किसान रामदेव यादव चुनावी चर्चा पर पूरी तरह गंभीर हो गए। रामदेव ने कहा कि लोकसभा चुनाव में बात दूसरी थी। यह तो विधानसभा चुनाव है। उस समय जिस पार्टी को वोट किया था, यह निश्चित नहीं है कि अबकी भी उसे ही वोट करेंगे। उनके साथ आए भवनाथ झा की राय भी कुछ ऐसी ही थी। बात गत विधानसभा तक पहुंच गई। उनकी दिलचस्पी भी बढ़ी। समझाते हुए बताया कि उस बार का दलीय समीकरण अलग था, अबकी अलग है। निश्चित रुप से वोट भी उसी तरह होगा।

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दरअसल, सन 2015 के विस चुनाव व फिर 2019 के लोस चुनाव के परिणाम उन दोनों की बातों को बहुत हद तक पुष्ट भी करता है। गंगा व महानंदा के आंचल में भी सियासी धारा अब अंगराई लेने लगी है। तय सामाजिक समीकरणों के भंवर से निकलने की चाहत अब बढऩे लगी है। यह राजग के साथ महागठबंधन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। सीमांचल कहे जाने वाले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज व कटिहार के कुल 24 विधानसभा सीटों पर किनकी कश्ती किनारा लगेगी, यह कहना भी अब मुश्किल होने लगा है।

2015 के विस चुनाव में महागठबंधन में कांग्रेस को मिला था फायदा

वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस व जदयू साथ थी। भाजपा ने रालोसपा व लोजपा के साथ चुनाव लड़ा था। इसमें दोनों गठबंधनों पर सर्वाधिक सीट कांग्रेस को मिली थी। सीमांचल की कुल 24 में से आठ सीटों पर कांग्रेस विजयी रही थी। छह सीट जदयू के खाते में गया था। एक सीट पर माले तो तीन पर राजद को जीत मिली थी। इससे इतर भाजपा महज छह सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब रही थी। लोजपा व रालोसपा का साथ भी वोट समीकरण में दरार को नहीं रोक पाया था। माय समीकरण के साथ महादलितों के साथ अन्य वर्ग के वोट का महागठबंधन की ओर शिफ्ट होने से भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी और उनके छह विधायक को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव के ठीक चार साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में स्थिति पूरी तरह विपरीत रही। इसमें भाजपा के साथ जदयू व लोजपा थी। महागठबंधन विस चुनाव में पक्ष में बने वोटों के समीकरण को सहेजने में पूरी तरह नाकाम रही। फलाफल कटिहार सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता तारिक अनवर को भी हार का सामना करना पड़ा। कटिहार की सात में से छह विधानसभा क्षेत्र में राजग की ओर से मैदान में उतरे जदयू के दुलालचंद गोस्वामी को बढ़त हासिल हुई। इसमें चार सीटों पर महागठबंधन का ही कब्जा था। इसी तरह पूर्णिया में जदयू प्रत्याशी संतोष कुशवाहा कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में मैदान में मौजूद दिग्गज नेता उदय ङ्क्षसह उर्फ पप्पू ङ्क्षसह को धूल चटाने में कामयाब रहे। अररिया में एक बार कमल खिला। केवल किशनगंज सीट महागठबंधन के खाते में गई। मोदी लहर में वोटों का समीकरण तहस नहस हो गया।

वोटों की शिङ्क्षफ्टग का नया ट्रेंड से उलझ रहा चुनावी गणित

गत दो चुनावों में वोट समीकरणों में उलट-पुलट दोनों ही गठबंधन की सांसें अभी से फूला रहा है। दोनों ही गठबंधन प्रत्याशी उतारने में इन पहलूओं पर इस बार कुछ ज्यादा ही सतर्क है। शिङ्क्षफ्टग वाले वोटों पर दोनों गठबंधनों की पैनी नजर है। अपने-अपने सामाजिक समीकरणों की गोलबंदी को लेकर पूर्व से खूब जमीनी कवायद भी चलती रही है।


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