Bihar Assembly Election 2020: चुनाव के रंग में अपना कैमरा, अपना माइक और बातें भी केवल अपनी
पहली नजर में लगेगा कि आप कोई न्यूज चैनल या पोर्टल को देख रहे हैं। कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ इसी अंदाज में बहुत सारे नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार को गति दिया हुआ है।
पटना, जेएनएन। अपना कैमरा, अपना माइक और बात भी केवल अपनी ही। पहली नजर में लगेगा कि आप कोई न्यूज चैनल या पोर्टल को देख रहे हैं। कोरोना काल में हो रहे विधानसभा चुनाव में कुछ इसी अंदाज में बहुत सारे नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार को गति दिया हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि आपने उस चैनल या पोर्टल का कभी नाम तक नहीं सुना पर वे खूब मजे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर व्यूज गिना रहे हैैं।
इस तरह सेरोगेट अंदाज में है प्रचार
जब सिगरेट का प्रचार बंद हो गया तो सिगरेट बनाने वाली कंपनियों ने सेरोगेट विज्ञापन का कंसेप्ट निकाला। सिगरेट के ब्रांड नाम से कोई दूसरा उत्पाद बाजार में ले आए और ब्रांड का नाम आगे रख संबंधित उत्पाद का प्रचार शुरू कर दिया। कैंसर के खिलाफ जंग लडऩे वाले गैर सरकारी संगठनों ने इसका बड़ा विरोध किया। ठीक इसी सेरोगेट अंदाज में अनेक प्रत्याशियों ने अपना प्रचार को गति दी है। उन्होंने अपने हिसाब से किसी चैनल का नाम तय कर लिया। उसके लोगो के साथ एक माइक तैयार कर लिया। संबंधित क्षेत्र के बारे में थोड़ा रिव्यू दिखाते हैैं। इसके बाद इस कथित चैनल के माध्यम से प्रत्याशी अपना पूरा इंटरव्यू व लाइव जनसंपर्क दिखाना शुरू कर देते हैैं। प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी की आलोचना भी शुरू हो जाती है। इस तरह के तैयार वीडियो फेसबुक पर खूब डाले जा रहे। व्हाट्सएप पर भेजे जा रहे। इसे वायरल भी कराने का सिस्टम है।
चुनाव आयोग की है पूरी नजर
चुनाव में इस तरह के प्रचार पर चुनाव आयोग की पूरी नजर है। वह संबंधित प्रत्याशियों से इस बारे में हिसाब भी ले सकती है कि उन्होंने किस आधार पर संबंधित चैनल में बात की। जब उक्त चैनल का कोई निबंधन या फिर पूर्व में प्रसार का कोई इतिहास ही नहीं है तो फिर यह कैसे संभव हो पाया? उक्त चैनल ने उनके अलावा किसी अन्य की कोई खबर क्यों नहीं ली?