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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : घटा बाहुबल का धमक, इस बार धनबल को भी नकारे जनता

मुंगेर के बुद्धिजीवियों ने माना कि निर्वाचन आयोग की सख्ती और आम लोगों के जागरूक होने के कारण चुनाव में अब बाहुबल का प्रभाव कम हुआ है। अब भी राजनीतिक दल बाहुबलियों के रिश्तेदारों को टिकट देकर बैकडोर से उनकी राजनीति में इंट्री की कोशिश करते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 11:41 PM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 11:41 PM (IST)
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : घटा बाहुबल का धमक, इस बार धनबल को भी नकारे जनता
दैनिक जागरण के पैनल डिस्कसन में अपनी बात रखते लोग

मुंगेर, जेएनएन। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी परवान चढऩे लगी है। जमालपुर में रविवार को दैनिक जागरण की ओर से आयोजित पैनल डिस्कशन में लोगों ने चुनाव पर धनबल और बाहुबल के प्रभाव पर खुल कर अपनी राय रखी। बुद्धिजीवियों ने माना कि निर्वाचन आयोग की सख्ती और आम लोगों के जागरूक होने के कारण चुनाव में अब बाहुबल का प्रभाव कम हुआ है। अब भी राजनीतिक दल बाहुबलियों के रिश्तेदारों को टिकट देकर बैकडोर से उनकी राजनीति में इंट्री की कोशिश करते हैं। आम लोगों ने काफी हद तक बाहुबलियों को राजनीति से किनारे कर दिया। लेकिन, चुनाव में धनबल का प्रभाव बढ़ते जा रहा है। महंगे होते चुनाव के कारण अब कोई गरीब चुनाव लडऩे की सोच भी नहीं सकता है। चर्चा में मौजूद लोगों ने एक स्वर में कहा कि मतदाताओं को धन बल को भी नकारा देना पड़ेगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।

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देश की आत्मा गांव में निवास करती है। स्मार्ट गांव की जरुरत है। चुनाव के समय वादे तो सभी करते हैं, लेकिन बाद में भूल जाते हैं। मतदाताओं को धनबल के प्रभाव में नहीं आना चाहिए। विकास करने वाले जनप्रतिनिधि को ही मत देना चाहिए।

जयप्रकाश ङ्क्षसह बादल, फिल्म अभिनेता

मुद्दे के आधार पर उम्मीदवारों का चयन होना चाहिए। बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए संकल्पित होना होगा। लोकतंत्र की मजबूती के लिए बिन धनबल के प्रभाव में आए, अपने मत का प्रयोग करें।

चंदन पासवान

चुनाव में अब बाहुबल का प्रभाव कम हुआ है। लेकिन, अब भी कहीं कहीं से मतदाताओं को डराने-धमकाने की खबर सुनने को मिल जाती है। हालांकि, आम लोग जागरूक हो गए हैं। इसलिए अब लोग सोच समझ कर अपने मत का इस्तेमाल करते हैं। राज गुप्ता उर्फ ङ्क्षसटू

ईमानदार एवं शिक्षित उम्मीदवार होना चाहिए। जो समाज की विभिन्न समस्याओं से रूबरू हो कर भ्रष्टाचार मुक्त समाज निर्माण में सार्थक पहल करे। इसके लिए चुनाव में धनबल बाहुबल से ऊपर उठकर मतदान करना चाहिए।

मोबिन चांद

सियासत अब तिजारत बन गई है। राजनीति का स्वरूप बदल गया है। पहले राजनीति समाजसेवा का जरिया हुआ करती थी। अब यह पेशा बन गया है। वर्तमान समय में जिसके पास कैश और कास्ट होता है, राजनीति में उसका दबदबा देखा जाता है। जिसमें चरित्रवान प्रतिनिधि का चुनाव नहीं हो पाता है।

वासुदेवपुरी, अध्यक्ष चैंबर आफ कामर्स, जमालपुर शाखा

भारतीय लोकतंत्र दिनोंदिन मजबूत हो रहा है। अब चुनाव में बाहुबल का प्रभाव कम हुआ है। लेकिन, राजनीति से पूरी तरह से बाहुबल का प्रभाव समाप्त नहीं हुआ है। अच्छे जनप्रतिनिधि का चयन करें।

प्रो. राजीव नयन, समाजसेवी

धनबल का प्रयोग हमारे समाज में भ्रष्टाचार का स्रोत है। प्रत्याशी जब धन खर्च कर चुनाव जीत जाते हैं तो अपने खर्च किए गए पैसे के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। इसलिए धनबल का इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए खतरा है।

रंजीत प्रसाद, पूर्व अध्यक्ष लायंस क्लब जमालपुर

विधानसभा चुनाव में धनबल की बढ़ती भूमिका हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है। चुनाव में धन पानी की तरह बहाया जाता है। अत्याधिक चुनाव खर्च के कारण सामान्य व्यक्ति निर्वाचन की प्रक्रिया से दूर होता जा रहा है।

आशीष कुमार, अधिवक्ता


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