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Bihar Assembly Election 2020: यह सियासत है जनाब, इस मैदान में सिपाही से मात खा गए पूर्व डीजीपी

Bihar Assembly Election 2020 बिहार चुनाव में बक्‍सर सीट पर पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर पांडेय के एनडीए से लड़ने की चर्चा थी लेकिन बीजेपी ने वहां से एक पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को मैदान में उतार दिया है। एक पूर्व डीजीपी का पूर्व सिपाही से मात खाना चर्चा में है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 02:13 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 02:23 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: यह सियासत है जनाब, इस मैदान में सिपाही से मात खा गए पूर्व डीजीपी
पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर पांडेय एवं परशुराम चतुर्वेदी। फाइल तस्‍वीर।

बक्सर, कंचन किशोर। Bihar Assembly Election 2020: करीब एक पखवारा पहले राज्य पुलिस के मुखिया (DGP) पद को छोड़ राजनीति में कूदने वाले गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) को यह अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि सियासत एक अलग तरह का खेल है, जहां हाकिम और मुलाजिम बराबर की हैसियत रखते हैं। कब कौन किस पर भारी पड़ जाए, यह कोई नहीं जानता। संयोग यह कि पूर्व डीजीपी का राजनीति में पहला सामना उनके ही महकमे में सिपाही (Constable) रहे परशुराम चतुर्वेदी (Parshuram Chaturvedi) से हुआ और सियासी उठा-पटक में सिपाही भारी पड़ा। परशुराम 16 साल पहले 2004 में पुलिस की नौकरी छोड़ सियासत में उतरे थे।

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बक्सर का प्रत्याशी तय करने में बीजेपी को करनी पड़ी मशक्कत

बक्सर सदर सीट पर प्रत्याशी तय करने के लिए राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को जितनी मशक्कत करनी पड़ी, उतनी मेहनत बिहार के किसी भी अन्य सीट के लिए नहीं करनी पड़ी थी। चुनाव की घोषणा होने से पहले यह तय था कि बक्सर सदर सीट एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में आएगी। इसके बावजूद गुप्तेश्वर पांडेय ने डीजीपी का पद छोड़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन थामा। अपने बयान में वे बार-बार यह कहते रहे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले प्यार से अभिभूत होकर यह राजनीति में आ रहे हैं और पार्टी जहां से उन्हें लड़ाएगी वे चुनाव लड़ेंगे। 

टिकट मिलने से पहले ही बक्सर में खुल गए थे कार्यालय

हालांकि, बात केवल कहने भर की थी, उनकी पहली और आखरी इच्छा बक्सर से ही चुनाव लड़ने की थी। इसका अंदाजा तभी हो गया, जब टिकट फाइनल होने से पहले ही बक्सर में उनके कार्यालय खुल गए। उनकी तैयारियों के बीच बीजेपी में अंदर ही अंदर असंतोष बढ़ने लगा। यह असंतोष तब बगावत का रूप लेने लगा, ब्रह्मपुर की परंपरागत सीट बीजेपी ने एनडीए में अपने नए साथी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को दे दी।

अश्विनी कुमार चौबे की नाराजगी से अंतिम समय में फैसला

स्थानीय सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे पहले ही बक्सर सदर सीट पर बीजेपी के ही किसी समर्पित कार्यकर्ता के प्रत्याशी बनने की बात कह चुके थे। परिस्थितियां बदलती देख उन्होंने नामांकन की अंतिम तिथि से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर कोरोना का हवाला दे खुद के होम-क्वारंटाइन पर जाने की जानकारी दी। उनके इस पोस्ट के भी राजनीतिक मायने निकाले गए और अंत मे चुनाव समिति को संगठन के वरिष्ठ कार्यकर्ता राज्य कार्यकारिणी सदस्य परशुराम चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाना पड़ा।

गुप्‍तेश्‍वर पांडेय से 10 किमी दूर परशुराम चतुर्वेदी का गांव

पूर्व डीजीपी के गांव गेरुआ बांध से 10 किलोमीटर दूर महदह के रहने वाले परशुराम चतुर्वेदी 1985 में बिहार पुलिस में सिपाही पद पर बहाल हुए थे और 2004 में हवलदार पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में आ गए। महान संत ब्रह्मलीन त्रिदंडी स्वामी के परिवार से आने वाले परशुराम ने राजनीति में खुद को स्थापित करने के लिए कड़ी मे मेहनत की। पिछले बार भी यह टिकट की रेस में थे, तब भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के पूर्व अध्यक्ष रहे प्रदीप दुबे से यह पार नहीं पा सके थे।


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