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Bihar Assembly Election 2020: बाहरी दलों से वोटरों का 'मोहभंग, राज्यस्तरीय दलों पर ज्यादा भरोसा

वक्त के साथ-साथ वोटरों का मिजाज बदलता रहा है। पिछले दो चुनावों में दूसरे राज्यों की नौ राज्यस्तरीय पार्टियों ने किस्मत आजमाई मगर उनको औसत 2.28 फीसद मत ही मिल सके। आजादी बाद से राष्ट्रीय पार्टी की सरकार रही पर क्षेत्रीय दलों पर ही वोटर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 04:18 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: बाहरी दलों से वोटरों का 'मोहभंग, राज्यस्तरीय दलों पर ज्यादा भरोसा
भारत निर्वाचन आयोग मुख्‍यालय के बाहर की फाइल तस्‍वीर।

चुनाव डेस्क, पटना : बिहार के वोटरों का मिजाज बदलता रहा है। आजादी के बाद लंबे समय तक यहां कांग्रेस की सरकार रही मगर एक बार जब राष्ट्रीय दल का मोह छूटा तो फिर क्षेत्रीय या राज्यस्तरीय दलों का उभार शुरू हुआ। इसमें भी बिहार के क्षेत्रीय दलों पर ही वोटर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं। पड़ोसी राज्यों के राजनीतिक दलों का चुनाव में खाता तक नहीं खुल पा रहा। पिछले दो चुनावों में दूसरे राज्यों की नौ राज्यस्तरीय पार्टियों ने किस्मत आजमाई मगर उनको औसत 2.28 फीसद मत ही मिल सके। एक समय उत्तरप्रदेश की बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल होते थे मगर अब उनके उम्मीदवार जीत को तरस रहे हैं।

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राष्ट्रीय दलों का औसत बढ़ा मगर अब भी पीछे

बिहार विधानसभा चुनाव के विगत दो चुनावों के आंकड़ों पर गौर करें तो कुल वैध वोट का मत फीसद पाने के मामले में राष्ट्रीय पार्टियों की तुलना में राज्यस्तरीय पार्टियों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। 2015 में राज्यस्तरीय पार्टियों को कुल वैध वोट का 42.58 फीसद और राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों को 35.60 फीसद मत मिला। वहीं, 2010 में राज्यस्तरीय दलों को 48.16 फीसद और राष्ट्रीय दलों को 32.29 फीसद मत मिले थे। 2010 की तुलना में राष्ट्रीय पार्टियों का औसत बढ़ा जरूर मगर फिर भी वह राज्यस्तरीय दलों की तुलना में काफी पीछे है।

पंजीकृत छोटी पार्टियों की बात करें तो 2010 में कुल 72 दलों ने चुनाव में भाग लिया और 3.89 फीसद मत हासिल किया। 2015 में ऐसे दलों की संख्या 138 हो गई जिन्होंने 7.82 फीसद मत हासिल किया। इस प्रकार 2015 में पंजीकृत पार्टियों को 2010 की तुलना में 3.93 फीसद ज्यादा मत मिले। 2015 के चुनाव में कुल वैध वोट का 2.48 फीसद मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था।

निर्दलीयों का मत फीसद घटा

पिछले कुछ चुनावों में जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या घटी है और इसके साथ ही उनका वोट फीसद भी कम हुआ है। 2010 में 1342 स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे जिन्हें कुल वैध वोट का 13.22 फीसद मत हासिल हुआ था। वहीं, 2015 में 1150 स्वतंत्र उम्मीदवार लड़े और 9.39 फीसद ही मत हासिल कर पाए। स्वतंत्र उम्मीदवारों को 2010 की तुलना में 2015 में कम मत फीसद मिला।

कुल वैध वोट का प्राप्त मत फीसद

2010 विधानसभा चुनाव

श्रेणी             मत फीसद

राष्ट्रीय पार्टियां    32.29  

राज्यस्तरीय पार्टियां 48.16

दूसरे राज्यों के दल  2.44

पंजीकृत छोटे दल   3.89

स्वतंत्र उम्मीदवार    13.22

2015 विधानसभा चुनाव

श्रेणी              मत फीसद

राष्ट्रीय पार्टियां      35.60  

राज्यस्तरीय पार्टियां  42.58

दूसरे राज्यों के दल   2.13

पंजीकृत छोटे दल    7.82

स्वतंत्र उम्मीदवार     9.39

 नोटा                 2.48


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