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Bihar Assembly Election 2020: कोसी क्षेत्र में विकास पर भारी पड़ेगा पलायन और बेरोजगारी का मुद्दा

कोसी क्षेत्र में इस बार पलायन व बेरोजगारी का मुद्दा भारी पड़ेगा। चुनाव को लेकर युवा मतदाताओं का रूझान प्रत्याशियों की जीत हार का फैसला करेगी। चुनाव में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी 18 से 39 आयुवर्ग के युवाओं की है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 05:55 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 05:55 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: कोसी क्षेत्र में विकास पर भारी पड़ेगा पलायन और बेरोजगारी का मुद्दा
ट़़ेन पकडने के लिए कटिहार रेलवे स्‍टेशन के बाहर प्रवासी मजदूर।

कटिहार [नंदन कुमार झा]। जिले में सात नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी रंग अब गहराने लगा है। विकास के सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश पर इस बार पलायन व बेरोजगारी का मुद्दा भारी पड़ेगा। चुनाव को लेकर युवा मतदाताओं का रूझान प्रत्याशियों की जीत हार का फैसला करेगी। विस चुनाव में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी 18 से 39 आयुवर्ग के युवाओं की है। वोटरों का बड़ा तबका इस बार पूरी तरह शांत दिख रहा है।हरफनमौला और बेबाक अंदाज वाले युवावर्ग की चुप्पी नेताजी का पसीना उतारने लगी है।

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बताते चलें कि जिले में चार लाख के करीब प्रवासी मजदूर अन्यत्र नौकरी की तलाश में पलायन करते हैं। काफी संख्या में युवावर्ग नौकरी की इंतजार में सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। मुख्य रूप से युवा वर्ग को रिझाने और मनाने का मुद्दा और घोषणा भी युवाओं को पल्ले नहीं पर रहा है। मुख्य रूप से रोजगार संकट से जूझ रहे युवावर्ग के सपने को पंख नहीं लग पाना इनकी बड़ी समस्या है। राजनीतिक उथल पुथल के बीच देशहित के मुद्दे को लेकर युवावर्ग गंभीर जरुर है, लेकिन उनकी प्रमुख समस्या का निदान उनकी प्राथमिकता है। इसको लेकर इस बार इस वर्ग के मतदाता भी किसी के पक्ष और विपक्ष को लेकर खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं। युवाओं की यह चुप्पी नेताजी की परेशानी बढ़ा रहा है।

जीत-हार में रहेगी युवाओं की भागीदारी

काफी संख्या में युवा वोटरों की संख्या प्रत्याशियों को अपनी ओर खींचती है। यही वजह है कि युवा वर्ग को रिझाना और उन्हें अपने पक्ष में खड़ा करना पार्टियों की प्राथमिकता होती है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में चल रही कैंपेङ्क्षनग के दौरान अधिक से अधिक युवाओं को जोडऩे की कवायद होती है। राजनीतिक उथल पुथल के बीच इस बार युवावर्ग पूरी तरह अलग दिख रहा है। यद्यपि पार्टी और संगठन से जुड़े युवा तो पहल करते दिख रहे हैं, लेकिन उनका उत्साह और प्रयास भी कुछ कह रहा है।

पलायन और बेरोजगारी बढ़ा रहा युवाओं का दर्द

युवाओं के लिए बेरोजगारी का मुद्दा सबसे बड़ा है। इसे पाटने को लेकर घोषणा और कवायद युवाओं का रास नहीं आ रहा है। मुख्य रूप से शिक्षित बेरोजगारों के समक्ष रोजगार की समस्या गंभीर हो चुकी है। इसके साथ ही युवा वर्ग को रोजगार की तलाश में पलायन की मजबूरी भी उनका दर्द बढ़ा रही है। घोषणा और आश्वासन के बाद भी कोसी और सीमांचल में रोजगार सृजन के अवसर पैदा होने की फिलहाल उम्मीद नहीं दिखने के कारण युवाओं का मनोबल गिरा है। लोकसभा के बाद अब विस चुनाव में युवाओं का मुद्दा और उनकी चुप्पी राजनीतिक दलों की हलचल बढ़ा रहा है।


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