चुनावी बहस को विकास के ट्रैक से नहीं भटकने देना चाहता महागठबंधन, राजद-कांग्रेस नेताओं को दी गई यह सलाह
बिहार में चुनाव अभियान के चरम पर पहुंचने के बीच महागठबंधन विकास के मुद्दों से नहीं भटकने को लेकर बेहद सतर्क है। महागठबंधन का मानना है कि उसके एजेंडे का जमीनी सियासी करंट सबसे ज्यादा प्रभावी नजर आ रहा है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। चुनाव अभियान के चरम पर पहुंचने की सियासी सरगर्मी में विकास के मुद्दों से नहीं भटकने को लेकर महागठबंधन बेहद सतर्क है इसीलिए चुनाव प्रचार की तीखी जंग में मुद्दों के ट्रैक से नहीं उतरने को लेकर महागठबंधन के नेताओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। पहले चरण के मतदान से चार दिन पूर्व के अपने आकलन के आधार पर महागठबंधन का मानना है कि रोजगार-विकास के उसके एजेंडे का जमीनी सियासी करंट सबसे ज्यादा प्रभावी नजर आ रहा है।
महागठबंधन ने सेट किया एजेंडा
महागठबंधन की चुनावी रणनीति का संचालन कर रहे रणनीतिकारों में शामिल कांग्रेस के एक नुमाइंदे ने इस बात की पुष्टि कि राजद और कांग्रेस के प्रत्याशियों, प्रदेश नेताओं के साथ सभी स्टार प्रचारकों को अपने चुनावी भाषणों में ऐसी बातों से परहेज करने को कहा गया है जिससे चुनावी विमर्श विकास के मुद्दों से भटक सकता है। उनके मुताबिक 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे पर महागठबंधन के टिके रहने की गंभीरता नेजनमानस की चर्चा में बड़ी जगह बना ली है। इस लिहाज से विकास और रोजगार के मुद्दे पर महागठबंधन ने एजेंडा सेट कर दिया है।
...तो कमजोर पड़ जाएगी महागठबंधन के एजेंडे की धार
महागठबंधन रणनीतिकारों के मुताबिक एनडीए चुनावी विमर्श की दिशा बदलने के लिए इसे राजद-कांग्रेस की पिच से बाहर ले जाने की पूरी कोशिश में जुटी है। अपने चुनाव प्रचार के पहले ही दिन पीएम नरेंद्र मोदी के अनुच्छेद-370 और तीन तलाक कानून जैसे मुद्दे उठाने को महागठबंधन एनडीए की इसी रणनीति का हिस्सा देख रहा है। इसीलिए महागठबंधन के नेताओं को इन मुद्दों पर वार-पलटवार की जंग से बचने को कहा गया है। विपक्षी खेमे का मानना है कि चुनावी विमर्श को भाजपा अपने मुद्दों के पिच पर एक बार लेकर यदि चली गई तो एजेंडे की धार कमजोर पड़ जाएगी।
एजेंडे से नहीं भटक रहे तेजस्वी
यही कारण है कि महागठबंधन के चुनावी अभियान की कमान थाम रहे राजद नेता तेजस्वी यादव एनडीए के तीखे तीरों के बावजूद अपनी हर रैली में 10 लाख सरकारी नौकरी देने के एजेंडे से बिल्कुल भी नहीं भटक रहे हैं। इतना ही नहीं यादव और मुस्लिम वर्ग के अलावा सूबे के दूसरे समुदायों से राजद की दूरी पाटने के लिए तेजस्वी जोर लगा रहे हैं। रैलियों में पहुंचते ही सभी को पैर छूकर प्रणाम बोलने की उनकी रणनीति इस दूरी को घटाने का संदेश देने की एक कोशिश मानी जा रही है।
एनडीए जंगल राज का दे रहा हवाला
पीएम के बिहार दौरे के पहले दिन हुई रैलियों के विश्लेषण में जुटे कांग्रेस-राजद के रणनीतिकारों का आकलन है कि एनडीए लालू प्रसाद के 15 साल पहले के जंगल राज के एजेंडे की टक्कर में महागठबंधन ने विकास के एजेंडे के जरिए काफी पीछे छोड़ दिया है।
जोखिम नहीं लेना चाहता महागठबंधन
महागठबंधन के चुनावी और रणनीतिक विश्लेषकों का आकलन है कि एनडीए ने विकास के मुद्दे को अभी भी पानी, बिजली, सड़क और सड़क की सीमा पर ही रखा हुआ है जबकि सूबे की जनता की अपेक्षाएं विकास के अगले पायदान की हैं। जनाकांक्षाओं को लेकर सूबे की राजग सरकार और जनता के बीच इस गैप को महागठबंधन के रणनीतिकारों ने बखूबी भांप लिया है। इसीलिए वह विकास के अपने एजेंडे से भटकाव का जरा भी जोखिम नहीं लेना चाहता।