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बिहार में भाजपा के नि:शुल्‍क कोरोना वैक्सीन देने को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने बताया कानून सही, लेकिन उठाए ये सवाल

देश के तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों का कहना है कि भाजपा का यह कदम कानूनी रूप से गलत नहीं हो सकता है। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि ऐसा वादा नैतिक सवाल भी उठाता है। जानें तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने और क्‍या बातें कही हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 06:31 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 06:34 PM (IST)
बिहार में भाजपा के नि:शुल्‍क कोरोना वैक्सीन देने को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने बताया कानून सही, लेकिन उठाए ये सवाल
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों का कहना है कि भाजपा का संकल्‍प पत्र कानूनी रूप से गलत नहीं हो सकता है।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने संकल्‍प पत्र में लोगों को नि:शुल्‍क कोविड-19 वैक्सीन देने का वादा किया है। कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियां इस पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं देश के तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों का कहना है कि भाजपा का यह कदम कानूनी रूप से गलत नहीं हो सकता है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी (SY Quraishi) ने कहा कि यह कदम नैतिक सवाल उठाता है क्योंकि आदर्श आचार संहिता नैतिकता के बारे में है।

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बता दें कि कुरैशी ने साल 2010 से 2012 के बीच मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त के तौर पर काम किया था। वहीं पूर्व मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त ओपी रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि अपने घोषणा-पत्र में कुछ वादा करने वाली पार्टी को इस बारे में संबंधित बजटीय प्रावधानों का भी उल्लेख करना चाहिए। घोषणा-पत्र में कुछ भी डाला जा सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, पार्टियों को वादे को पूरा करने के लिए जरूरी बजट का भी जिक्र करना चाहिए।

एक अन्य पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि घोषणा पत्र जारी करने का समय भी महत्वपूर्ण है। हालांकि चुनाव आयोग अब तक इस सुझाव को लागू नहीं कर पाया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव सुधारों पर अपने एक फैसले में पार्टियों द्वारा किए गए वादों का पालन करने के लिए एक तंत्र का प्रस्ताव दिया था। वहीं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी (SY Quraishi) ने कहा कि कानूनी तौर पर घोषणा-पत्र में कुछ भी वादा किया जा सकता है।

हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि वादे अनुचित नहीं होने चाहिए। यह नैतिक सवाल नहीं उठाता है क्योंकि मॉडल कोड नैतिकता के बारे में है। ऐसा कोई कानून तो नहीं है लेकिन इसकी नींव नैतिकता है। चुनावी वादों के समय के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्‍होंने पूर्व की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र ने पंजाब चुनावों के लिए मॉडल कोड लागू होने पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के लिए चुनाव पैनल से संपर्क किया था।  


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