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Bihar Chunav 2020: शरद यादव हैं राहुल गांधी के गुरु, समाजवादी पूछ रहे हैं-कब दिया ज्ञान

Bihar Chunav 2020 प्रदेश जदयू के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा-उन्हें राहुल गांधी के दावे पर भरोसा नहीं हो रहा है। कांग्रेस के विरोध में हुए जेपी आन्दोलन में शरद की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे उस दौर के अग्रणी नेताओं में थे।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 07:39 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:57 PM (IST)
Bihar Chunav 2020: शरद यादव हैं राहुल गांधी के गुरु, समाजवादी पूछ रहे हैं-कब दिया ज्ञान
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव।

पटना, जेएनएन। वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता है। गुरु का नहीं, शिष्य का तो दावा यही है। इधर समाजवादी लोग चकरा रहे हैं कि आखिर शरद ने कब राहुल गांधी को शिक्षक की तरह राजनीति और इतिहास का पाठ पढ़ाया। क्योंकि शरद की पहचान धुर कांग्रेस विरोध की है। प्रदेश जदयू के  अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने राहुल गांधी के गुरु वाले खुलासा पर हैरत में हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के दावे पर सहज विश्वास का कोई कारण नजर नहीं आता है।

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मालूम हो कि बुधवार को राहुल गांधी मधेपुरा जिला के बिहारीगंज में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। शरद यादव की पुत्री सुहासिनी वहां कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। उसी सभा में राहुल ने कहा-शरद यादव हमारे गुरु हैं। इस नाते सुहासिनी उनकी गुरु बहन हैं। वह अपनी बहन के लिए वोट मांगने आए हैं। राहुल ने बताया कि आंध्र प्रदेश की एक यात्रा के दौरान उन्हें दो घंटे तक शरद के साथ कार में सफर करने का मौका मिला था। उसी समय उन्होंने राजनीति का पाठ पढ़ाया।

प्रदेश जदयू के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा-उन्हें राहुल गांधी के दावे पर भरोसा नहीं हो रहा है। कांग्रेस के विरोध में हुए जेपी आन्दोलन में शरद की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे उस दौर के अग्रणी नेताओं में थे। संसद में और संसद के बाहर उन्होंने कांग्रेस का मुखर विरोध किया है। पता नहीं, कब उन्होंने कब राहुल गांधी को शिक्षा दी। दो घंटे के सफर में किसी को गुरु मान लेना भी अजूबा है। जदयू विधायक दल के पूर्व नेता गणेश प्रसाद यादव ने कहा कि गुरु और शिष्य दोनों समरूप हैं। उन्हें इस खबर से न हर्ष है न विषाद। सिर्फ यही समझ में आ रहा है कि देश में समाजवाद की इतनी खराब दशा क्यों हुई।


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