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भाजपा के पक्ष में त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के रूझान, कांग्रेस पर संकट के बादल

पूर्वोत्तर कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर 'मोदी लहर' के बाद अब कांग्रेस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 03 Mar 2018 12:35 PM (IST)Updated: Sat, 03 Mar 2018 12:38 PM (IST)
भाजपा के पक्ष में त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के रूझान, कांग्रेस पर संकट के बादल
भाजपा के पक्ष में त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के रूझान, कांग्रेस पर संकट के बादल

नई दिल्‍ली, जेएनएन। देश में 'मोदी लहर' बरकरार है...! त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय विधानसभा चुनावों के रुझान तो इस ओर ही संकेत कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी दावा कर रही है कि तीनों पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में सरकार बनाएगी। रूझानों में साफ नजर आ रहा है कि त्रिपुरा में लेफ्ट का किला ढहने जा रहा है। माणिक सरकार अब 'सरकार' से बाहर जाते नजर आ रहे हैं। इधर नगालैंड और मेघालय में भी सरकार बनाने के समीकरण भाजपा के पक्ष में ही नजर आ रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने तो जश्‍न मनाना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती नजर आ रही है। भाजपा का कांग्रेस मुक्‍त भारत का सपना धीरे-धीरे हकीकत में तबदील होता नजर आ रहा है।

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त्रिपुरा रंग लाई भाजपा की कड़ी मेहनत

त्रिपुरा में लगभग 35 साल में पहली बार भाजपा को में इतनी बड़ी कामयाबी मिली है। 25 साल से लगातार सत्ता में रहा लेफ्ट यहां कमजोर हुआ है। इसके लिए भाजपा ने पिछले काफी समय से कड़ी मेहनत की है। दर्जनों मंत्रियों ने त्रिपुरा में चुनाव प्रचार किया। लेफ्ट की विचारधारा को धराशायी करने में भाजपा को समय तो लगा, लेकिन वो कामयाब होती नजर आ रही है। रुझानों में भाजपा गठबंधन 40 से ज्‍यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। दरअसल, त्रिपुरा में इस बार की सियासी लड़ाई पूरी तरह माकपा और भाजपा के बीच है। कांग्रेस फ्रेम में कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। हालांकि त्रिपुरा में भी कांग्रेस के सामने अस्तित्व बचाने की लड़ाई है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दस सीटों और 36 फीसदी मतों के साथ दूसरे स्थान पर थी। लेकिन कई बार विभाजन के बाद पार्टी का सियासी भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। कांग्रेस से जीते 7 विधायक भाजपा में शामिल होकर इस बार कमल के फूल को खिलाने में जुटे हैं। भाजपा ने 2013 चुनावों के 2 फीसद वोट शेयर को बढ़ाकर 2014 में 6 फीसदी कर लिया था। त्रिपुरा भले ही छोटा राज्य है लेकिन भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। त्रिपुरा की जीत न सिर्फ चुनावी जीत होगी बल्कि यह वैचारिक जीत भी साबित होगी।

नगालैंड में भाजपा को रोकने में नाकाम कांग्रेस

नगालैंड विधानसभा के रुझानों में भाजपा और एनपीएफ के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है। हालांकि, भाजपा ने अपनी बढ़त बना रखी है और रुझानों में बहुमत के करीब दिखाई दे रही है। राज्य में अब तक आए 59 सीटों के रुझान में भाजपा 29 सीटों पर आगे है वहीं एनपीएफ 26 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस यहां महज 1 सीट पर आगे चल रही है। अन्य के खाते में 3 सीट जाते दिखाई दे रही है। नागालैंड में 15 साल पहले तक कांग्रेस सत्ता में थी। लेकिन 2003 के बाद से लगातार कांग्रेस के प्रदर्शन में गिरावट आई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को राज्य की सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार तक नहीं मिले। कांग्रेस राज्य की 23 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए लेकिन 19 उम्मीदवार ही अपनी किस्मत आजमां रहे हैं। कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों को समर्थन का ऐलान किया है। नागालैंड में भाजपा ने एनडीपीपी से के साथ गठबंधन किया है। 60 सीटों में से एनडीपीपी 40 और 20 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए एनपीएफ को समर्थन दिया है। लेकिन भाजपा को यहां भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है या ये कहें कि मोदी लहर के आगे कांग्रेस टिक नहीं पा रही है।

मेघालय में भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ में लगाई सेंध

पूर्वोत्तर में कांग्रेस की आखिरी उम्मीद मेघालय से है, लेकिन यहां भी भाजपा उसके सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहा है। रुझानों को देखते हुए अगर मेघालय में भी भाजपा सरकार बना ले तो कोई हैरानी नहीं होगी। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। मेघालय में सभी 59 विधानसभा सीटों पर रुझान आ गया है। 22 सीटों पर कांग्रेस, 7 सीटों पर भाजपा, 17 पर एनपीपी व 14 पर अन्य आगे चल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यहां भाजपा और एनपीपी मिलकर सरकार बना सकती है। राज्य में कांग्रेस भले ही सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन एनपीपी और भाजपा के आपस में मिलने से समीकरण बदल सकता है। बता दें कि कांग्रेस को अगर उम्मीदों के मुताबिक, मेघालय से नतीजे नहीं आते हैं, तो पूर्वोत्तर में पार्टी सिर्फ मिजोरम तक सीमित हो जाएगी। मिजोरम में भी इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस की चिंता इस बार किसी भी तरह मेघालय में सरकार को बचाने की है। लेकिन भाजपा यहां भी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की पूरी कोशिश में है। 2013 में मेघालय विधानसभा चुनावों की 60 सीटों में से कांग्रेस को 29 सीटें मिलीं थीं, जिनमें से पांच विधायकों ने भाजपा का दामन थामकर चुनावी मैदान में हैं।

भाजपा दावा कर रही है कि पूर्वोत्‍तर के तीनों में राज्‍यों में सरकार बनाएगी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'तीनों राज्यों के रुझान नई राजनीतिक दिशा का संकेत देते हैं। इसका राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर होगा। हम सभी तीनों राज्यों में सरकार बनाने को लेकर विश्वस्त हैं।'

गौरतलब है कि पूर्वोत्तर कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर 'मोदी लहर' के बाद अब कांग्रेस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सियासत ने ऐसी करवट ली कि कांग्रेस के हाथ से असम और मणिपुर निकल गया। त्रिपुरा भी कांग्रेस के हाथ नहीं आ रहा है। नगालैंड में भी भाजपा को रोकने में कांग्रेस नाकाम रही है। अब पार्टी मेघालय में अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए कवायद कर रही है। इसके अलावा नागालैंड में कांग्रेस की सियासी हालत बहुत ही खराब नजर आ रही है।


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