राजनीतिक दलों के गले की फांस बना नोटा, मध्यप्रदेश-राजस्थान में हार-जीत का बना कारण
कांग्रेस और भाजपा की जीत-हार में नोटा की एक बड़ी भूमिका रही।
देश के दो बड़े राज्यों- मध्यप्रदेश और राजस्थान की चुनावी फिजा इस बार कई अन्य कारणों से भी बेहद दिलचस्प रही है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिन आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में भाजपा को कांटे की टक्कर में उलझाया है, वह नोटा के हिस्से में गए वोट का लगभग 15वां हिस्सा है। राजस्थान में भाजपा को जितने फीसदी वोट से हार मिलती दिख रही है, वह नोटा के पक्ष में गए वोट के एक-तिहाई से भी कम है। इस बार वोटों के गणित में नोटा की भूमिका का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब तक हुई मतगणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में भाजपा को कुल 41.3 फीसदी और कांग्रेस को 41.4 फीसदी वोट मिला है। साफ तौर पर दोनों के वोट फीसदी में महज 0.1 फीसदी का अंतर है, जो एक फीसदी का दसवां हिस्सा है। जबकि राज्य में नोटा के खाते में गए वोटों का फीसदी लगभग 1.5 है, यानी हार के अंतर का 15वां गुना। यानी कुल 4,56,151 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में वोट दिया है।
इसी तरह की दिलचस्प तस्वीर राजस्थान की भी है। वहां भाजपा को 38.8 फीसदी और कांग्रेस को 39.2 फीसदी वोट मिला है। दोनों के वोट फीसदी का अंतर महज 0.4 फीसदी है, जबकि अब तक राज्य में नोटा के खाते में गए वोटों का प्रतिशत 1.3 है। यानी हार और जीत के अंतर के तीन गुने से भी अधिक लोगों ने नोटा के पक्ष में वोट दिया है। वहां कुल मिलाकर 4,47,133 लोगों ने नोटा के पक्ष में वोट दिया।
हालांकि सत्ता विरोधी रुझान के कारण छत्तीसगढ़ के मामले में तस्वीर थोड़ी अलग है। वहां भाजपा को जहां 33 फीसदी वोट मिला, वहीं कांग्रेस के खाते में 43.3 फीसदी वोट गया। जबकि नोटा के पक्ष में वोट डालने वालों का फीसदी वहां 2.1 है, यानी 2,01,793 लोगों ने नोटा का बटन दबाया।
कमोबेश छत्तीसगढ़ जैसा ही हाल तेलंगाना का भी रहा, हालांकि यहां एंटी इनकम्बैंसी जैसी कोई चीज नहीं थी, बल्कि उसके उलट यहां प्रो-इनकम्बैंसी थी। यानी वर्तमान सरकार के पक्ष में जोरदार हवा चली और टीआरएस को 47 फीसदी वोट मिला, जिसपर सवार होकर वह दो-तिहाई सीटें जीतने में सफल रही। जबकि कांग्रेस को 28.7 फीसदी वोट ही मिला। लेकिन नोटा की हवा यहां भी बही और 1.1 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में वोट किया।
पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में नोटा के पक्ष में वोट डालने वालों का प्रतिशत 0.5 रहा, जबकि जीत और हार का अंतर 7.4 फीसदी रहा। एमएनएफ को जहां 37.6 फीसदी वोट मिला, वहीं कांग्रेस को मिले वोट का फीसदी 30.2 रहा।