नारी को शक्ति प्रदान करने की राज्य सरकार के स्तर से नई पहल हुई है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में पांच लाख तक की विकास योजनाओं का जिम्मा गांव की महिलाओं को दिया जाएगा।

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आठ मार्च। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस। आधी आबादी को नमन करने का दिन। अच्छी बात यह कि अबला कही जानेवाली नारी को शक्ति प्रदान करने की राज्य सरकार के स्तर से नई पहल हुई है। कैबिनेट ने फैसला किया है कि ग्रामीण इलाकों में पांच लाख तक की सरकारी विकास योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा गांव की महिलाओं को दिया जाएगा। स्वाभाविक रूप से इस पहल से उनकी आर्थिक मजबूती के नए द्वार खुल सकेंगे। लेकिन इसी से काम नहीं चलनेवाला। महिलाओं के सम्मान व विकास के लिए व्यापक फलक पर काम करना होगा। सरकार के साथ समाज को भी आगे आना होगा। नारी को समर्पित यह दिन हमें संकल्प लेने का अवसर देता है। राज्य में एक ऐसी मुकम्मल व्यवस्था बने जो महिलाओं की विकास योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से सुनिश्चित करा सके। राह में आनेवाली दिक्कतों का समयसीमा के भीतर निपटारा करे। यदि ऐसा हो गया तो आधी आबादी के अंतिम पायदान तक विकास की किरण पहुंचाने का सपना साकार हो सकेगा।

आज भी झारखंड के सुदूर इलाकों में डायन-बिसाही के नाम पर महिलाओं के साथ क्रूरता की हद तक अत्याचार होता है। अंधविश्वास की आड़ में हैवानियत अक्सर किसी न किसी इलाके में होती है। सरकार के साथ समाज को भी यह संकल्प लेना चाहिए कि इस कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकने का महाअभियान चला उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लिया जाए। सुदूर ग्र्रामीण इलाकों में तो इसे जनजागरण के तौर पर चलाया जाना चाहिए।

इसके साथ यह भी जरूरी है कि महिलाओं को शिक्षित बनाकर उन्हें स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित किया जाए। शिक्षा ही वह माध्यम है जिसके जरिये सही मायने में विकास आता है और उसका दीर्घकालिक असर दिखता है। यदि महिला शिक्षित होगी तभी वह अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए प्रयास कर सकेगी और उससे सामाजिक कर्तव्यों के वहन की उम्मीद बंधेगी। इसलिए महिला शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए भी प्रभावी कदम उठाना चाहिए। जरूरत के हिसाब से महिला कॉलेज व विश्वविद्यालय की स्थापना को अभियान का रूप दिया जाना चाहिए। तो क्यों नहीं हम अगले 12 माह का समय इसी महाअभियान के नाम कर दें? ऐसा हो जाने पर तय मानिए राज्य में महिलाओं की दशा व दशा में ऐसा गुणात्मक बदलाव दिखेगा जिसे दूसरे राज्यों में भी उदाहरण के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]