पानी अनमोल है, लेकिन पृथ्वी का सबसे समझदार प्राणी इंसान इसे प्रयोग करते समय यह भूल जाता है। यही कारण है कि लोगों को हर साल गर्मी के मौसम में पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। नारों व दावों को छोड़ दें तो ऐसे बहुत कम लोग मिलेंगे, जो पानी बचाने के लिए गंभीरता से प्रयास करते हैं। पानी का संकट ऐसी चुनौती है, जिससे आम तौर पर हर व्यक्ति जूझ रहा है। भविष्य में पानी की कमी की समस्या को सुलझाने के लिए जरूरी है कि इसके संरक्षण के लिए सभी लोग मिलकर प्रयास करें। हिमाचल प्रदेश में इस साल सर्दी में बारिश व बर्फबारी कम होने के कारण भूजलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश के कुछ हिस्सों में गर्मी की दस्तक के साथ ही पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी शिमला हो या प्रदेश का कोई अन्य भाग, गर्मी के मौसम में यह समस्या हर साल लोगों की परेशानी का सबब बन रही है। पानी की कमी इसलिए हो रही है क्योंकि लोग उसके दुरुपयोग से पीछे नहीं हट रहे। हर दिन लोग पानी बर्बाद करते हैं, जिससे यह समस्या विकराल हो जाती है।

दैनिक कार्यों से लेकर हर जगह पानी का मोल समङो बिना व्यर्थ बहाया जाता है। जल संकट से निपटने का जिम्मा सिर्फ सरकार का ही नहीं है, लोगों का भी सामूहिक दायित्व है कि वे कुछ ऐसा करें, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बने। सिर्फ सरकार के भरोसे रहने की सोच सही नहीं है बल्कि खुद जागरूक होकर लोगों को जगाना होगा। प्राकृतिक जलस्नोतों का संरक्षण करने के लिए लोगों को ही कदम उठाने होंगे। नदियों को प्रदूषण से बचाना भी जनता की जिम्मेदारी है। संकट आने से पहले उसके उपाय पर गौर करना ही सार्थक सोच है। लोगों को पानी की बर्बादी रोकनी होगी व उतना ही पानी प्रयोग करने को आदत बनाना होगा, जितनी जरूरत है। हमें बारिश की बूंदों को संजोने की आदत विकसित करनी होगी। सरकार और आमजन को नदियों के पानी का सदुपयोग करना सीखना होगा। जरूरी है भविष्य की चिंता में लोग अभी से गंभीर हो जाएं।

[ स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश ]