पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढ़ते जनाधार से तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व कुछ ज्यादा ही परेशान है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही ऊपरी तौर भाजपा को ज्यादा महत्व नहीं देती हों लेकिन उनकी बातों से लेकर परेशानी साफ झलकती है। हाल ही में संपन्न हुई तृणमूल कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक व विधानसभा में अपने भाषण में ममता ने जो बातें कही उससे साफ झलकता है कि वह भाजपा के बढ़ते जनाधार को लेकर चिंतित हैं। ममता ने विधानसभा में कहा कि अब तक देश में लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार उनका कर्ज माफ करने के लिए तैयार नहीं है। केंद्र के आम बजट में किसानों के कर्ज माफी का कोई उल्लेख नहीं है।

ममता के इस कथन से स्पष्ट है कि वह भाजपा को ही राज्य में अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानने लगी हैं। हाल ही में संपन्न हुए नोआपाड़ा विधानसभा उपचुनाव और उलबेडिय़ा लोकसभा उपचुनाव में भले ही तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई लेकिन भाजपा इन दोनों चुनाव में फिर उभर कर दूसरे नंबर आ गई है। इसके पहले हुए सबंग विधानसभा उपचुनाव में भी भाजपा ने 38 हजार से अधिक वोट पाकर मत प्रतिशत में संतोषजनक वृद्धि की।

2016 के विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में लगातार भाजपा का ग्राफ बढ़ रहा है। वामपंथी दल कमजोर पड़ते जा रहे हैं। तृणमूल ने कांग्रेस में सेंधमारी कर उसे खोखला कर दी है। इसलिए बंगाल कांग्रेस ममता से क्षुब्ध है। कांग्रेस हाईकमान के ममता के प्रति नरम होने के बावजूद बंगाल कांग्रेस विरोध की नीति पर अडिग है। आगामी होनेवाले पंचायत चुनाव को ध्यान में रख कर ममता ने जो रणनीति बनाई है उसमें भाजपा को ही मुख्य प्रतिद्वंदी माना गया है। ममता ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को यह प्रचारित करने के लिए कहा है कि माकपा और कांग्रेस के साथ भाजपा का अप्रत्यक्ष साठगांठ है। कहने का मतलब है कि ममता भाजपा, कांग्रेस और वाममोर्चा तीनों को एक ही विपक्षी शक्ति मान ली हैं। तीनों विपक्षी दलों में देखा जाए तो भाजपा राज्य में तेजी से उभर रही है। तृणमूल विरोधी वोट भाजपा की झोली में जा रहे हैं। असंतुष्ट वामपंथी भी भाजपा से जुडऩे लगे हैं। बंगाल में भाजपा का जनाधार बढऩा ममता के लिए चिंता का विषय बन गया है।

हाईलाइटर:: (हाल ही में संपन्न हुए नोआपाड़ा विधानसभा उपचुनाव और उलबेडिय़ा लोकसभा उपचुनाव में भले ही तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई लेकिन भाजपा इन दोनों चुनाव में फिर उभर कर दूसरे नंबर आ गई है)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]