पटरी से उतरी जम्मू में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने में आइजीपी ट्रैफिक की भूमिका सराहनीय है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि अगर दृढ़ इच्छा और ईमानदारी से कोई भी काम किया जाए तो उसे आसानी से पूरा किया जा सकता है। शुरुआत में आइजीपी ट्रैफिक ने किसी फिल्मी हीरो की तरह काम किया और लोगों को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाने के साथ ऐसे सख्त कदम भी उठाए जिससे उनकी आलोचना भी हुई । उन्होंने कुछ चालकों के वाहन चलाते समय मोबाइल फोन भी तोड़े। जिस पर कुछ कानूनविदों ने एतराज भी जताया। यहां तक कि जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने भी लेटर लिख उन्हें वर्दी पहनने और किसी का नुकसान न करने की चेतावनी तक दे दी। लेकिन आइजीपी ट्रैफिक ने इसकी परवाह न कर अपने अंदाज में काम किया।

उन्होंने सोशल साइट पर यह संदेश दिया कि मेरा नाम बंसत है और मैं वही करता हूं जो मेरी मर्जी करती है। उनके इस अंदाज से लोग उनमें सिंघम, राबिन हुड, और पाइड पाइपर ऑफ हेमलिन की छवि देख रहे हैं। करीब बीस दिन पहले बंसत रथ ने राज्य में ट्रैफिक आइजीपी का पदभार संभाला। इन दिनों में जम्मू शहर में 96 प्रतिश्त लोगोंं ने हेलमेट पहना शुरू कर दिया। लाल बत्ती पर वाहन अपने आप रुकने लगे।

शहर में अब ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा नहीं होती। आइजीपी ट्रैफिक अभियान के दौरान अपनी मम्मी का ट्रैफिक कर्मियों को यह वास्ता भी देते है कि अगर काम नहीं हुआ तो मम्मी नाराज हो जाएगी, यह वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव, जम्मू कठुआ रेंज के आइजी एसडी सिंह जंवाल और आर्म्ड पुलिस के आइजी दानिश राणा भी उनके सिंघम आइजी की छवि से खुश है। उन्होंने सोशल साइट पर यह संदेश देकर कि मेरा नाम बंसत है और मैं एक सेल्समैन हूं और एक डिजाइनर भी हूं, जिसके जरिये मैं लोगों में व्यवहारिक बदलाव को बेचना चाहता हूं। मैं आपकी ट्यून और अटेंशन चाहता हूं ताकि मेरा व्यापार बढ़ सके। यहां तक कि पीडीपी नेता और चीफ जस्टिस की सुरक्षा में चल रहे वाहन का चालान काट कर यह साबित कर दिया कि कानून की नजर में सब बराबर हैं। लोग अब यह भी मांग कर रहे है कि सरकार में भी बंसत जैसे अधिकारियों को शामिल किया जाए जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]