कश्मीर में अनंतनाग के जिला उपायुक्त कार्यालय पर ग्रेनेड हमला यही बता रहा है कि तमाम सतर्कता के बावजूद आतंकियों के दुस्साहस का दमन नहीं हो सका है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह दूसरा आतंकी हमला है। इस हमले में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें तीन की हालत गंभीर है। चूंकि किसी आतंकी गुट ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली इसलिए ऐसा लगता है कि वे सुरक्षा बलों की निगाह में आने से बचना चाह रहे हैं। सच्चाई जो भी हो, उन्हें सिर उठाने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए। वास्तव में ऐसा करके ही कश्मीर के हालात सामान्य किए जा सकते हैं। यह काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए ताकि कश्मीर पर लगी पाबंदियों को जल्द हटाया जा सके।

आतंकियों और उनके समर्थकों को नियंत्रित करने के साथ ही इसकी भी कोशिश होनी चाहिए कि घाटी के आम लोग अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ मुखर हों। इससे ही कश्मीर को लेकर जारी दुष्प्रचार थमेगा। केंद्र सरकार को इससे परिचित होना चाहिए कि इस दुष्प्रचार को भारत के साथ-साथ बाहर के भी कुछ लोग हवा देने में लगे हुए हैं। इसके लिए वे फर्जी खबरें गढ़ने का भी काम कर रहे हैं। कश्मीर को लेकर दुष्प्रचार की एक वजह देश-दुनिया का इस तथ्य से अनभिज्ञ होना है कि अनुच्छेद 370 न केवल अस्थाई था, बल्कि उसके कुछ प्रावधानों को पहले भी शिथिल किया गया था।

वैश्विक मीडिया का एक हिस्सा इससे परिचित ही नहीं कि अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधान किस तरह कश्मीरी जनता के साथ भेदभाव करते थे। वह इससे भी अनजान है कि अगर कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव अमल में नहीं लाया जा सका तो पाकिस्तान के कारण। नि:संदेह कश्मीर में बचे-खुचे आतंकियों पर लगाम लगाने में सफलता तभी मिलेगी जब उनके साथ-साथ उनके छिपे-खुले समर्थकों से भी सख्ती से निपटा जाएगा। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि उनके समर्थक और संरक्षक सीमा के उस पार भी हैं। वे कश्मीर का माहौल बिगाड़ने की ताक में भी हैं। पाकिस्तान उन्हें किस तरह उकसाने में लगा हुआ है, इसका पता गुलाम कश्मीर में शुरू किए गए धरना-प्रदर्शन से चलता है।

पाकिस्तान सरकार प्रायोजित कश्मीर मार्च यही इंगित कर रहा है कि इमरान खान कश्मीर के बहाने अपने कुशासन से अपनी जनता का ध्यान हटाना चाहते हैं। वह एक ओर पाकिस्तानियों को सीमा पार करने से आगाह कर रहे हैं और दूसरी ओर इसकी भी कोशिश में है कि कश्मीर में हालात बिगड़ें ताकि उन्हें आंसू बहाने का मौका मिले। चूंकि पाकिस्तान आसानी से नहीं सुधरने वाला इसलिए उसे कुछ और सख्त संदेश देने की जरूरत है।